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NEP 2020 : एग्जिट एंड एंट्री (Exit & Entry) के तहत पढ़ाई के लिए अब सात साल तक मान्य होगा रजिस्‍ट्रेशन

रांची युनिवर्सिटी में राष्ट्रीय शिक्षा नीति तथा भारतीय ज्ञान परंपरा पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन, एनईपी 2020 के प्रावधानों और भारतीय ज्ञान परंपरा के विभिन्‍न बिंदुओं के बारे प्राध्‍यापकों एवं विशेषज्ञों ने साझा की जानकारियां


रांची : रांची युनिवर्सिटी (Ranchi University) में राष्ट्रीय शिक्षा नीति और भारतीय ज्ञान परंपरा पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। मोरहाबादी परिसर स्थित आर्यभट्ट सभागार में आयोजित कार्यशाला में NEP 2020 के प्रावधानों और भारतीय ज्ञान परंपरा के विभिन्‍न बिंदुओं के बारे प्राध्‍यापकों एवं विशेषज्ञों ने जानकारियां साझा की। एनईपी 2020 के विभिन्‍न प्रावधानों पर डा. नीरज ने स्‍लाइड शो के माध्‍यम से जानकारी दी। वहीं आरयू के प्राध्यापक डा. राजकुमार शर्मा ने विस्‍तार से छात्रों के लिए सभी विकल्‍पों के बारे में जानकारी दी। डा. शर्मा ने बताया कि चार वर्षीय पाठ्यक्रम को पूरा करने वाले छात्र पूर्ण स्‍नातक होंगे। छात्र किसी मजबूरी में दो सेमेस्‍टर पास करके अगर पढाई छोड़ते हैं तो उन्‍हें एक वर्षीय सर्टिफिकेट कोर्स का प्रमाण पत्र दिया जाएगा। वहीं वह बाद में आकर बाकी सेमेस्‍टर को पूरा कर सकते हैं। दूसरी युनिवर्सिटी से भी आकर या किसी अन्‍य युनिवर्सिटी जाकर छात्र अपनी पढ़ाई पूरी कर सकते हैं। वहीं डबल मेजर की सुविधा (दो मुख्‍य विषयों को एक साथ रखकर) उन्‍हीं छात्रों को प्राप्‍त होगी जिन्‍होंने 12वीं या समकक्ष में 75 प्रतिशत से ज्‍यादा अंक प्राप्‍त किए हों। एग्जिट एंड एंट्री के तहत पढ़ाई के लिए सात साल तक रजिस्‍ट्रेशन मान्‍य होगा। 

वेबसाइट पर उपलब्ध कराएं जानकारी :
आरयू के कुलपति डा. अजीत कुमार सिन्हा ने कार्यशाला में मौजूद पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि एनईपी 2020 की सारी जानकारियां आरयू की वेबसाइट पर उपलब्‍ध कराएं। हर महीने के तीसरे शनिवार को एक सेमिनार आयोजित करने के प्रस्‍ताव पर कार्यशाला में सहमति जताई गई। एनईपी 2020 के सारे प्रावधानों को सुनने के बाद कुलपति ने कहा कि छात्रहित में एनईपी में बहुत सारे प्रावधान हैं, सारे प्रावधानों को याद रख पाना संभव नहीं है। इसलिए उन्‍होंने सुझाव दिया कि इस कार्यशाला में दी गई सारी जानकारियों को आरयू की वेबसाइट के अलावे प्राध्‍यपकों, विभागों, कालेजों के ई-मेल पर भी उपलब्‍ध कराएं। कुलपति ने सभागार में उपस्थित प्राध्‍यापकों, हेड, डीन तथा आरयू के सभी पदाधिकारियों से महीने के तीसरे शनिवार को एक सेमिनार या बैठक आयोजित करने का सुझाव दिया ताकि आरयू अपने पठन पाठन या अन्‍य चुनौतियों के निदान में सजग रहे। कुलपति के इस सुझाव पर सबों ने सहर्ष सहमति दी।

भारतीय ज्ञान परंपरा के माध्‍यम से अध्‍यापन पर दिया जोर :
वोकेशनल स्‍टडीज की डिप्‍टी डायरेक्‍टर डा. स्‍मृति सिंह ने अध्‍यापन में भारतीय ज्ञान परंपरा के उपयोग पर विस्‍तार से स्‍लाइड शो दिखा कर जानकारी साझा की। उन्‍होंने कहा कि हमारे पारंपरिक ज्ञान वेद से लेकर पंचतंत्र, हितोपदेश, जातक कथाओं में भी विज्ञानी विषयों को सरल तरीके से बताया गया है। आज पश्चिमी देशों में भी हमारी इन ज्ञान परंपरा को अनुवाद कर अध्‍यापन में उपयोग हो रहा है। जबकि हम इससे अनभिज्ञ हैं। उन्‍होंने भारतीय ज्ञान परंपरा के स्‍टोरी टेलिंग जैसी विधा के साथ विज्ञान एवं जटिल विषयों को सरल तरीके से पढाने के तथ्‍यों से सभागार में सभी लोगों को प्रभावी तरीके से परिचित कराया। कार्यशाला के आखिरी सत्र में एनईपी 2020 तथा भारतीय ज्ञान परंपरा से संबंधित सवाल जवाब का सेशन आयोजित किया गया। 

ये रहे उपस्थित :
कार्यशाला में कुलपति के अलावे कुलसचिव डा. मुकुंद चंद्र मेहता, सीसीडीसी डा. पीके झा, डीएसडब्ल्यू डा. सुदेश साहु, परीक्षा नियंत्रक डा. आशीष कुमार झा, सभी वरीय पदाधिकारी, विभिन्‍न विभागों के हेड, संकायाध्‍यक्ष, प्राध्‍यापक आदि उपस्थित रहे।

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