बिहार में एनडीए को 50 साल तक सत्ता वापसी का आशा नही

डॉ लक्ष्मी नारायण सिंह -फतुहा। मतदाताओं को आशा भरी उत्साह रहती है कि चुनाव के बाद अपराध, भ्रष्टाचार, घूसखोरी, कमीशनखोरी में परिवर्तन होगी। चुनाव के बाद बीडीओ,सीओ, कमीशनखोर, घूसखोर वहीं का वहीं रह जाता है। बताया जाता है कि प्रधानमंत्री आवास योजना में खुलेआम 50 से 70 हजार रुपए लिया जा रहा है। क्या चुनाव के बाद बंद हो जाएगी। पूरा बिहार भ्रष्टाचारियों के कब्जा में है। सरकार अपराध और भ्रष्टाचार क्यों नहीं रोकना चाहती है?यह एक बहुत गंभीर बिषय है। अपराध, भ्रष्टाचार और घूसखोरी के संदर्भ में राजनीतिक लोग बात भी करना नहीं चाहता है। इसका मतलब साफ है कि अपराध हो परंतु मेरा परिवार सुरक्षित रहे। इसका मुख्य कारण है कि अपराधियों और भ्रष्टाचारियों की बहुत बड़ी संख्या है। राजनीतिज्ञों को उससे भी वोट लेना है। वोट के लिए राजनीतिक लोग अपराधियों, भ्रष्टाचारियों,कमीशनखोरों घूसखोरों को नाराज करना नहीं चाहेगा। कितना लज्जा जनक बातें हैं कि जिस भ्रष्टाचारियों को हांथ मरोड़ने की आवश्यकता है उस भ्रष्टाचारियों को वोट के लिए संस्कारहीन बनकर हांथ जोड़कर वोट मांगना , वैसे संस्कारहीन व्यक्ति से बदलाव का आशा न करें।जो व्यक्ति कभी भ्रष्टाचार के विरुद्ध,धरणा,प्रर्दशन ,अनशन,आमरण अनशन तक नहीं किया वैसे लोगों से बदलाव की आशा न करें, माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के द्वारा 200 से भी ज्यादा जनहित में योजना चलाई जा रही हैं परंतु योजनाओं के बारे में विधायक, सांसद, मंत्री कार्यकर्ताओं को भी बताना नहीं चाहेगा क्यों कि अधिकांश योजना को कागज़ी घोड़ा बनाकर दौड़या जाता है। कानून के अनुसार भ्रष्ट लोगों को सस्पेंड , तबादला नहीं सीधे जेल और बर्खास्त करना करने का कानून है
तथा दोषी को छोड़ने पर जेल भेजने का भी कानून है परन्तु सरकार जेल भेज कर वोट खोना नहीं चाहेगा। यदि निर्दोष जेल जाता है तो नेताओं के नजरों में कानून अपना काम कर रहा है।इसी कारण आज हजारों निर्दोष लोग जेल में है। पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पाण्डेय ने स्वंय कहा था कि बहुत निर्दोष लोग में जेल में जा रहे हैं। यह कितना गंभीर विषय है कि पुलिस के सबसे बड़े अधिकारी ब्यान दे रहे है। इसके बावजूद सरकार खामोश है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देशहित में तीन तलाक़,हलाला जैसे कानून को समाप्त करने काम किया।धारा 370/35ए समाप्त कर ऐतिहासिक काम किया। काश्मीर को कांग्रेस ने देश से अलग कर दिया था। काश्मीर में भारत का कानून लागू नहीं होता था। काश्मीर का झंडा अलग था। भारत में पांच साल पर चुनाव होता है और काश्मीर में छह साल पर चुनाव होता था तथा सेना के जवानों पर नित्यदिन पत्थर फेंका जाता था।वह देश के लिए सबसे बड़ी समस्या था।वह काश्मीर को भारत में मिला लिया गया। आज समुचा देश में एक कानून एवं एक झंडा है ।
आज़ बिहार एक ऐसे मोड़ पर खड़ी है जो सत्ताधारी विधायक,संसद मंत्री को सत्ता का मद में झलकती ही नहीं है कि यह सत्ता चिराग का दिया गया तो गया तोहफा है। यदि चिराग पासवान राजद में चले गए तो पचास साल तक सत्ता वापसी मुश्किल है।आज सभी मंत्री, सांसद और विधायक को जनता के बीच जाकर समस्याओं में शामिल होकर समाधान करते रहने कि आवश्यकता है। दो -दो उप मुख्यमंत्री है लगता है कि इन दोनों मौनी बाबा है इन्हें नित्य दिन कार्यकर्ताओं को सूचना देकर विभिन्न प्रखणड,थाना जाकर वही पर जन समस्याओं को समाधान कर देते। जहां भी जाते बीडीओ, सीओ को आदेश देकर लाभार्थियों को सूची दिलवा देते। जानकारी के अनुसार मोदी सरकार द्वारा लगभग दो सो योजनाऐं चलाई जा रही है ,यह योजना कागजों में सिमट कर रह गई है तथा कमीशन के चक्रव्यूह में फंसकर कराह रही है। लाभार्थियों का सूची मिलने पर लूट का बहुत बड़ा भंडा फोर हों सकता है।