बिहार स्वास्थ्य व्यवस्था आर सी पी का रखैल।।…

कार्यकारी औषधि नियंत्रक रविंद्र सिन्हा को कुर्मी होने के कारण नाजायज रूप से पद पर बने रहने का गुमान
पटना हाईकोर्ट ने भी उठाया था इस पर प्रश्न
शशि रंजन सिंह :-आज बिहार में एक कहावत है सारे विकार( रोग) की एक दवा आरसीपी छाप कुर्मी! हम यह बात यूं ही नहीं कह रहे हैं,आज स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है करोना के प्रलयंकारी समय में भी स्वास्थ विभाग के अधिकारी हो या औषधि नियंत्रण प्रशासन मोटा कमीशन से बाज नहीं आ रहा है, सिविल सर्जन पटना अभी भी करोना के प्रलयंकारी समय में भी अपने पति यू पी सिंह के साथ मिलकर मोटा वसूल रहे हैं। अभी भी जो हाहाकार मचा हुआ है उसमें भी चाहे बात हो हॉस्पिटल रजिस्ट्रेशन का या बात हो हॉस्पिटल को कोविड-19 हॉस्पिटल बनाने का सेवा शुल्क चाहिए ही चाहिए ,उसका सीधा असर गरीब जनता पर पड़ रहा है।
आज बिहार में मंत्री और प्रधान सचिव से भी ज्यादा जिनकी चलती है उनका नाम है कार्यकारी औषधि नियंत्रक रविंद्र सिन्हा आपको बताते चलें कि और औषधि एवं अंगराज अधिनियम में कार्यकारी औषधि नियंत्रक का कोई भी पद नहीं है मतलब यह पद टोटली नाजायज है, पटना हाईकोर्ट ने भी इस पर सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए जल्द से जल्द औषधि नियंत्रक बहाल करने का आदेश दिया है।
अभी बिहार में कोविड-19 मैं जो दो चीज सबसे ज्यादा आवश्यक है हुआ है रेमदेसीविर रेमेडीसिविर दवा और ऑक्सीजन जिसकी भारी किल्लत बनी हुई है, उस दोनों के लिए जिम्मेदार विभाग हैं औषधि नियंत्रक प्रशासन भारत सरकार के औषधि नियंत्रक महानिदेशक ने पिछले कोविड-19 काल में ही ऑक्सीजन प्लांट का लाइसेंस 24 घंटा में देने का निर्देश दिया था ,लेकिन रविंद्र सिन्हा ने दिया 180 से 200 दिन में जिसके कारण राज्य में ऑक्सीजन की किल्लत बनी हुई है ।
जन अधिकार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्री राघवेंद्र कुशवाहा का कहना है कि रेमेडीसिविर के खेल में बड़े बड़े अधिकारियों तक पैसा पहुंच रहा है, उनका कहना है कि सबसे पहले पटना के कोविड-19 हॉस्पिटल के साथ मिलकर रेमेडीसिविर इंजेक्शन का अप्रूवल दिया जाता है , फिर दवा पेशेंट को ना मिल कर सीधे बाजार में कालाबाजारी के लिए मिलने लगती है क्योंकि सैंया भए कोतवाल अब डर काहे का औषधि नियंत्रक आरसीपी के नजदीकी हैं ,और साथ ही सरकारी जाति ‘कुर्मी ‘से आते हैं इसलिए कोई उन पर उंगली नहीं उठा सकता है, गरीब तो मरने के लिए ही पैदा हुआ है उनका कहना है हमारे नेता पप्पू यादव महंगी दवाइयां खरीद कर गरीबों को फ्री में दे रही है और सत्ता लोभी को शर्म तक नहीं आ रही है उनका कहना है कि पटना में मुख्य रूप से ओनकोमेड , पूरन, केसर, किंग इंटरप्राइजेज रेमेडीसिविर इंजेक्शन के मुख्य वितरक हैं इन फॉर्म के मालिक सहित कार्यकारी औषधि नियंत्रक रविंद्र सिन्हा ,सहायक औषधि नियंत्रक विश्वजीत दास गुप्ता दवा एजेंसियों के मालिक पूरन शर्राफ, मिंकु जी ,दीपक कुमार, राजा प्रीतम कालाबाजारी के पैसे से प्रॉपर्टी बना रहे हैं ।इन सभी दवा व्यवसायियों का भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी से भी करीबी का रिश्ता है ।जन अधिकार पार्टी की मांग है की बात बात पर आयकर विभाग से विरोधियों के यहां छापा मरवाने वाली भाजपा सरकार इन एजेंसियों के मालिक और दवा कंपनियों पर छापा मरवा कर इन्हें एनएसए के तहत जेल में बंद करें तथा इनकी संपत्ति जप्त करें साथ ही दोषी अधिकारियों अधिकारियों पर भी एनएसए लगाकर इन्हें जेल में बंद करें।