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महाशिवरात्रि।..
पटना डेस्क:-आज के दिन पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध की स्थिति के
कारण, मनुष्य की ऊर्जा, नीचे से ऊपर की ओर शीघ्रता
से प्रवाहित होती हैं, जिसके कारण जीव का
आध्यात्मिक झुकाव बढ़ जाता हैं। इस दिन व्रत रखने
से सात्विक ऊर्जा का प्रभाव मन मस्तिष्क पर पड़ता
हैं, जिससे स्वाभाविक रूप से जीव को आत्मिक शांति
मिलती हैं। अधिक से अधिक मनुष्य अपने सारे दुःख
दर्द भूलकर, अपने आप को, अपने आप में ही समाहित
कर ले, इसलिए इस पर्व में नाच गाना अनिवार्य हैं। यह
प्रक्रिया सभी जीवों में होती हैं, इसलिए दिन को उत्सव
यानि विवाह के प्रतीक में मनाया जाने लगा, जिसमें
सभी जीव चाहे बिच्छू हो या बैल, भूत प्रेत आदि
सभी, अपनी चेतना के स्तर को ऊपर उठाकर, अपने
मुक्ति मार्ग की ओर बढ़े, इसलिए इसे प्रकृति एवं पुरूष
के मिलन का पर्व कहा जाता हैं।