केंद्र सरकार के नोटबंदी के विरोध में बुधवार को तृणमूल कांग्रेस ने किशनगंज में समाहरणालय पर सर्वदलीय धरना प्रदर्शन का आयोजन किया।पश्चिम बंगाल के पंचायती एवं ग्रामीण विकास मंत्री मो0गुलाम रब्बानी ने कहा,नोटबंदी के 62 दिन बीत जाने के बाद भी देश की अर्थव्यवस्था में गिरावट का दौर जारी है।कई राज्यों के माइक्रो स्केल डंडस्ट्री बंद हो गए हैं।लोग बेरोजगार होकर भूखे पेट सोने को विवश हैं लेकिन पीएम मोदी लोगों को डिजिटल इंडिया के सपने दिखाकर भंवर जाल में छोड़ दिए हैं।इसी के चलते विरोधीदलों द्वारा सर्वदलीय धरना-प्रदर्शन किया गया है।

लोगों को संबोधित करते हुए रब्बानी ने कहा,स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देश में पहली बार केंद्र सरकार द्वारा नोटबंदी मामले में विपक्षी दल के नेताओं से विचार-विमर्श नहीं किया गया,जो लोकतंत्र के मर्यादा का घोर उल्लंघन है।यही वजह है कि नोटबंदी के बाद अर्थव्यवस्था में आपातकाल जैसे हालात उत्पन्न हो गए हैं।लोगों के बैंक खातों पर आरबीआई ने राशि निकासी की सीमा निर्धारित कर दी है।जिसके कारण मध्यम और निम्न वर्गीय श्रेणी के लोगों के साथ किसानों के सामने दो जूल की रोटी की समस्या उत्पन्न हो गई है।


एआइएमआइएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरूल इमान ने कहा कि नोटबंदी मामले में सीएम नीतीश कुमार का रूख नरम है।लगता है कि उनके मन में कहीं न कहीं मोदी प्रेम की भावना होने लगी है ! तृणमूल कांग्रेस द्वारा आयोजित सर्वदलीय धरना कार्यक्रम में टंगे बैनर-पोस्टर में जिले के दो जदयू विधायक की तस्वीर लगाने पर जदयू ने ऐतरात जताया है।जदयू जिलाध्यक्ष फिरोज अंजुम ने प्रदर्शन को पार्टी का समर्थन नहीं होने का दावा किया है।कहा कि आयोजन समिति ने बिना अनुमति के ही बैनर व पोस्टरों में जदयू विधायकों की तस्वीर लगा दी थी।

वहीं कोचाधामन विधायक मास्टर मुजाहिद आलम ने कहा कि वह शहर से बाहर हैं।उनका किसी तरह के धरना प्रदर्शन से कोई लेना देना नहीं है।जदयू जिलाध्यक्ष ने नीतीश कुमार के संबंध में अनर्गल बयानबाजी किए जाने पर ऐतराज जताया।कहा कि नीतीश आज भी भ्रष्टाचार के खिलाफ हैं।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए 50 दिन का समय मांगा था और नीतीश कुमार ने उन्हें 50 दिन का समय दिया तो इसमें हर्ज क्या है।इस धरना में जदयू का समर्थन नहीं था।आगामी 23 जनवरी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा नोटबंदी की समीक्षा किए जाने के बाद पार्टी अपनी आगे की रणनीति तय करेगी।
जबकि सूबे के लोगों ने उनपर विश्वास कर अपना समर्थन दिखाया था।केंद्र सरकार को चाहिए कि नोटबंदी के कारण लोगों को होने वाली परेशानियों से निजात दिलाने की अविलंब व्यवस्था करें। इनमें मुख्य रूप से बैंक खाता से राशि निकासी की सीमा को समाप्त करना,दो हजार और पांच सौ रूपये के नोट को लोगों के जरूरत के अनुरूप बैंकों में उपलब्ध करवाना और किसानों को केसीसी ऋण पर ब्याज में छूट मिले।इससे कि लोग पुन:अपने लिए रोजगार और स्वरोजगार की खोज कर सके।
समाहरणालय के समक्ष मुख्य विपक्षी दल आयोजित महाधरना में बिहार तथा बंगाल के लगभग 25000 हजार से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया पश्चिम बंगाल के ग्रामीण विकास मंत्री गुलाम रब्बानी साहब के नेतृत्व में हो रहे कार्यक्रम टीएमसी”कांग्रेस’ राजद तथा एमआईएम के वरिष्ठ नेताओ ने हिस्सा लिया”सभा को किशनगंज के सांसद मौलाना असरारूल हक काशमी साहब ने भी संबोधित किया।पिछले साल आठ नवंबर को केंद्र सरकार ने अचानक नोटबंदी का एलान कर दिया गया।लोग अपने काम-धाम छोड़ कर बैकों के सामने कतार में खड़े होने पर मजबूर हो गए।अब भी ऐसे लोगों के सामने नोटबंदी के कारण कई समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।




