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*”बिहार की ज़मीन–मिट्टी–10 लाख पेड़ 1 रुपये में अडानी को चढ़ावा, मोदी-नीतीश की ‘भक्ति’ का प्रसाद; जनता की आवाज़ बना कांग्रेस का विशाल मार्च”*

त्रिलोकी नाथ प्रसाद/बिहार की भाजपा-जदयू सरकार ने भागलपुर के पीरपैंती में 1,050 एकड़ उपजाऊ जमीन – जिसमें आम, लीची और सागवान के करीब 10 लाख पेड़ लगे हैं – को मात्र 1 रुपया प्रति वर्ष की हास्यास्पद दर से अडानी पावर लिमिटेड को 33 साल के लिए सौंप दिया है। यह 2,400 मेगावाट का कोल-बेस्ड थर्मल पावर प्लांट है, जिसकी लागत करीब 21,400 करोड़ रुपये है, लेकिन बिहार के गरीब किसानों और आम लोगों को इससे मिलने वाली बिजली 6.075 रुपये प्रति यूनिट की महंगी दर पर बेची जाएगी – जबकि महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में ऐसी बिजली 3-4 रुपये प्रति यूनिट उपलब्ध है। क्या यह ‘विकास’ है या बिहार की जनता पर ‘डबल लूट’ का खेल? मोदी सरकार का ‘राष्ट्रसेठ’ अडानी को यह भेंट बिहार के पर्यावरण, किसानों और अर्थव्यवस्था को तबाह करने का षड्यंत्र है!

इस काले सौदे के खिलाफ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने आज पटना में विशाल विरोध मार्च निकाला। मार्च प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय सदाकत आश्रम से पूर्वाह्न 11:15 बजे शुरू हुआ और राजेंद्र बाबू की समाधि, बांसघाट तक पहुंचा। मार्च का नेतृत्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम ने किया, जिसमें बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरू, कांग्रेस विधानमंडल दल नेता डॉ. शकील अहमद खान, विधान परिषद कांग्रेस दल नेता डॉ. मदन मोहन झा समेत प्रदेश के सभी वरिष्ठ नेता, कार्यकर्ता और हजारों समर्थक शामिल हुए। नारों से गूंजते इस मार्च में मोदी-नीतीश सरकार को जमकर कोसा गया, और बिहार की जनता को इस ‘लूट’ के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान किया गया।

कांग्रेस स्पष्ट करती है कि हम बिहार में बिजली उत्पादन या विकास के खिलाफ नहीं हैं – बिहार को 2,400 मेगावाट की अतिरिक्त बिजली की जरूरत है, जो राज्य की बिजली मांग को पूरा कर सकती है, रोजगार पैदा कर सकती है और आर्थिक विकास को बढ़ावा दे सकती है। लेकिन इस प्रोजेक्ट को जिस तरह से लागू किया जा रहा है, वह पूरी तरह से गलत है। मोदी-नीतीश सरकार अडानी को खुश करने के चक्कर में बिहार के लोगों पर जबरन दबाव डाल रही है, उनकी आवाज दबा रही है, उनके हकों को कुचल रही है और चीजों को ठीक से नहीं संभाल रही। भागलपुर के किसानों की उपजाऊ जमीन छीन ली गई, जहां वे दशकों से आम-लीची की खेती कर परिवार पाल रहे थे। अब 10 लाख पेड़ कटेंगे, जिससे पर्यावरणीय तबाही आएगी – बाढ़ बढ़ेगी, मिट्टी का कटाव होगा, और जलवायु परिवर्तन से पहले से जूझ रहे बिहार में सूखा-बाढ़ की मार और तेज होगी।

बिहार के लोग पहले से ही महंगी बिजली, बाढ़ और गरीबी से जूझ रहे हैं – यहां औसतन एक परिवार बिजली पर 20-30% आय खर्च करता है, और यह प्लांट बिजली को और महंगा करेगा, जबकि अडानी जैसे कॉर्पोरेट्स मुनाफा कमाएंगे।किसान अपनी जमीन खोकर बेरोजगार हो रहे हैं, और कोई उचित मुआवजा या वैकल्पिक आजीविका नहीं दी जा रही – भागलपुर में हजारों परिवार अब भुखमरी के कगार पर हैं, जहां पहले फल-फसल से सालाना लाखों की कमाई होती थी। इस सौदे की खबर आने के बाद बिहार के लोगों के साथ और बुरा हुआ – पीरपैंती के ग्रामीणों को विरोध करने पर घरों में नजरबंद किया गया, खासकर पीएम मोदी की यात्रा के दौरान; किसानों को धमकियां दी गईं, और पुलिस से झड़पें हुईं जहां प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया बिना किसी आरोप के कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने आरोप लगाया कि जमीन धमकी देकर ली गई, और विरोध करने वालों पर फर्जी केस थोपे गए। इसी तरह के अन्य अडानी प्रोजेक्ट्स में ग्रामीणों पर सैकड़ों मुकदमे लाद दिए गए, जो बिहार में भी दोहराया जा रहा है।बिहार की अर्थव्यवस्था पहले से कृषि पर निर्भर है, जहां 80% लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं, और यह सौदा उन्हें और पीछे धकेल रहा है – बाढ़ प्रभावित इलाकों में जमीन छिनने से परिवार बिखर रहे हैं।

मोदी और नीतीश की जोड़ी बिहार को ‘विकास’ के नाम पर लूट रही है। मोदी का ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान जुमला है – 10 लाख पेड़ ‘अडानी के नाम’ कट रहे हैं। नीतीश ने 2015 में मोदी पर किसानों की अनदेखी का आरोप लगाया था, लेकिन अब खुद वही कर रहे हैं। बिहार में बाढ़ से हर साल लाखों किसान प्रभावित होते हैं, लेकिन राहत के नाम पर सिर्फ खोखले वादे मिलते हैं। 2021 के फार्मर प्रोटेस्ट में नीतीश चुप रहे, जबकि देशभर में किसान सड़कों पर थे। बिहार में कृषि के लिए अलग मंत्रिमंडल तक खत्म कर दिया गया। मोदी की रैलियों में 22,000 करोड़ के कृषि पैकेज की बात होती है, लेकिन हकीकत में अडानी जैसे ‘मित्रों’ को सस्ती जमीन दी जा रही है। इस सौदे के बाद पीरपैंती में विरोध करने वाले किसानों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया, और कई को फर्जी केस में फंसाया गया। यह बिहार के 80% लोगों के साथ धोखा है, जो कृषि पर निर्भर हैं और गरीबी रेखा से नीचे हैं।
मार्च के दौरान राजेश राम ने कहा, “कांग्रेस सत्ता में आई तो यह सौदा रद्द होगा, किसानों को उनकी जमीन का हक और MSP मिलेगा।”  उन्हेंने कहा, “कांग्रेस विकास के खिलाफ नहीं, लेकिन अडानी को खुश करने के लिए बिहार के किसानों की जमीन छीनना और उनकी आवाज दबाना गलत है!” डॉ. शकील अहमद खान ने तंज कसा, “मोदी जी किसानों से मिलने से डरते हैं, क्योंकि बिहार की जनता अब उनकी ‘मित्र-मंडली’ की लूट समझ गई है!” डॉ. मदन मोहन झा ने जोड़ा, “यह प्लांट बिहार के संसाधनों से बनेगा, लेकिन बिजली महंगी – नीतीश-मोदी की जोड़ी बिहार को बेच रही है!” मार्च के अंत में बांसघाट पर सभा हुई, जहां राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा गया। यह मार्च बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मोदी-नीतीश पर करारा प्रहार है। कांग्रेस कहती है – बिहार लुटेगा नहीं, लड़ेगा!

इस अवसर पर कांग्रेस विधान मंडल दल के नेता डा0 शकील अहमद खान, कांग्रेस विधान परिषद दल के नेता डा0 मदन मोहन झा, अ0 भा0 कांग्रेस कमिटी के सचिव शाहनवाज आलम, सुशील पासी, सुश्री पूनम पासवान, चंदन यादव, विजय शंकर दूबे, डा0 समीर कुमार सिंह, विजेन्द्र चैधरी, विश्वनाथ राम, राजेश राठौड़, आनन्द माधव, कोषाध्यक्ष जितेन्द्र गुप्ता, मोती लाल शर्मा, ब्रजेश पाण्डेय,जमाल अहमद भल्लू, अजय चैधरी, सुनीता देवी, विनोद सिंह, ज्ञान रंजन, सौरभ सिन्हा, मंजीत आनन्द साहू, रूपम यादव, कुमार आशीष, डॉ संजय यादव ,
शरवत जहां फातमा, शिव प्रकाश गरीब दास, सूरज यादव, जय प्रकाश चैधरी, सुधा मिश्रा, वैद्यनाथ शर्मा, रौशन कुमार सिंह, कैलाश पाल, अंशुल अभिजीत, शशि रंजन, राजीव मेहता, रौशन कुमार सिंह, सुनील कुमार सिंह, यशवन्त कुमार चमन, तारक चैधरी, मो0शाहनवाज,मो0 कामरान, अनुराग चंदन, अरविन्द लाल रजक, ममता निषाद, केसर कुमार सिंह, अमित सिकन्दर, अमरजीत कुमार, आशुतोष त्रिपाठी मौजूद रहे।

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