किशनगंज : बिना टेंडर बनी चारदीवारी, अब दिखावे के लिए निकाला गया टेंडर
भवन निर्माण विभाग की कार्यशैली पर फिर उठे सवाल, डीएम ने दिए जांच के आदेश

किशनगंज,18सितंबर(के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, भवन निर्माण विभाग, किशनगंज एक बार फिर विवादों में घिर गया है। खगड़ा स्थित अधिकारी आवासीय कॉलोनी में चारदीवारी और अन्य निर्माण कार्य बिना किसी वैध टेंडर प्रक्रिया के पहले ही पूरे किए जा चुके हैं। हैरानी की बात यह है कि अब एक वर्ष बाद उसी कार्य के लिए विभाग ने टेंडर जारी किया है, जिससे कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं।प्राप्त जानकारी के अनुसार, खगड़ा ऑफिसर्स क्वार्टर की चारदीवारी का निर्माण वर्ष 2024 में ही पूर्ण कर लिया गया था। लेकिन विभाग द्वारा इसके लिए टेंडर संख्या 22/2025-26 महज चार दिन पहले, 14 सितंबर 2025 को जारी किया गया। टेंडर जमा करने की अंतिम तिथि 27 सितंबर 2025 निर्धारित की गई है। यानी जिस कार्य को एक साल पहले ही निपटा दिया गया, उसके लिए अब दस्तावेजी खानापूर्ति की जा रही है।
इस मामले के प्रकाश में आने के बाद जिलाधिकारी विशाल राज ने जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा है कि, “नियमानुसार टेंडर प्रक्रिया के बाद ही किसी भी निर्माण कार्य की स्वीकृति दी जा सकती है। यदि जांच में अनियमितता पाई गई तो टेंडर रद्द कर दोषी अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
पहले भी सामने आ चुका है ऐसा मामला
इससे पहले भी भवन निर्माण विभाग की ऐसी ही कार्यशैली उजागर हो चुकी है। करीब तीन महीने पहले जिला कोषागार परिसर सहित कई अन्य सरकारी भवनों में भी बिना टेंडर के निर्माण कराए गए थे। उस समय डीएम के हस्तक्षेप के बाद टेंडर रद्द कर दिए गए थे। अब पुनः ऐसी ही प्रक्रिया दोहराए जाने से विभाग की पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं।
मिलीभगत का आरोप
स्थानीय ठेकेदारों और निर्माण जगत से जुड़े लोगों का आरोप है कि यह पूरा मामला पूर्व-निर्धारित साजिश का हिस्सा है। विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से पहले ही पसंदीदा ठेकेदारों से कार्य करा लिया गया, और अब टेंडर जारी कर कागजी औपचारिकता पूरी की जा रही है ताकि भुगतान किया जा सके।
अधिकारी चुप, जांच में खुलने लगे राज
भवन निर्माण विभाग के अधिकारियों ने इस पर कोई बयान देने से इनकार किया है। लेकिन संबंधित फाइलों और भुगतान प्रक्रिया की प्रारंभिक जांच में गड़बड़ियों के संकेत मिल चुके हैं। माना जा रहा है कि जांच आगे बढ़ने पर और भी योजनाओं की परतें खुल सकती हैं जिनमें टेंडर के नियमों की अनदेखी कर निर्माण कार्य पहले ही कराए जा चुके हैं।
क्या तय होगी जवाबदेही?
यह मामला अब केवल एक योजना तक सीमित नहीं रह गया है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि जांच के बाद दोषी अधिकारियों की जवाबदेही कितनी सख्ती से तय की जाती है और क्या भविष्य में ऐसी गड़बड़ियों को रोका जा सकेगा।