ठाकुरगंज : एक वक्त की रोटी में गुजारा कर रहे थे उद्योगों को ऊंचाई देने वाले।

किशनगंज-ठाकुरगंज/सुमितराज यादव, कल तक जो मजदूर दिन-रात पसीना बहाकर उद्योगों को ऊंचाइयों पर ले जा रहे थे आज उस मजदूरों की दशा लॉकडाउन में ऐसी हो गई हैं कि उन्हें एक वक्त की रोटी में गुजारा करने मजबूर होना पड़ रहा था।घर लौटने वाले मजदूर ने बताया कि दो साल पहले वह काम की तलाश में दिल्ली गया था।वहां प्रति माह उसे 10-12 हजार रुपये पारिश्रमिक मिलता था।इस कमाई से न केवल अपना खर्च चलाता था।बल्कि, बचाकर घर भी भेजता था।यही वजह है कि जो वह भी वहां चल रहे अपने काम से काफी खुश था।पर जैसे हालात से जूझकर वे मजदूर वापस अपने घर लौटे है।उसके अनुभव से उसने भी अब कभी वहां जाने की हिम्मत करने से इंकार किया है।घर लौटे मजदूरों ने बताया कि जिन मुश्किलों से उन्हें गुजरना पड़ा, वैसी स्थिति कभी किसी के साथ निर्मित न हो।
अपना शहर पहुंचकर सुकून मिला।
घर लौटे मजदूरों से बात करने पर मजदूरों ने बताया कि वह भी कपड़ा कंपनी में काम करने छह माह पहले गया था।लॉकडाउन के चलते वहां का काम पूरी तरह ठप पड़ गया।जिस कंपनी में उन्होंने दिन-रात काम किया।कुछ दिन बाद उन्होंने भी मदद के हाथ खींच लिए और एक समय का भोजन ही दिया जाता था।ऐसे में उनके जैसे और रहने वाले कई लोगों के समक्ष बड़ी परेशानी निर्मित हो रही थी। जो प्रतिदिन बढ़ती जा रही थी।ऐसे में बस यही लगता कि कैसे भी कर के अपने गांव लौट जाएं।उसने कहा कि अपना घर लौटकर काफी अच्छा महसूस हो रहा है।अपने शहर आकर उसे जो सुकून मिल रहा, उसका महत्व बता पाना उसके लिए मुश्किल है।
लॉक डाउन हो जाने के बाद भूखों मरने की नौबत।
घर लौटने वाले ठाकुरगंज के श्रमिक से बात करने पर बताया कि वह काम की तलाश में वह भी कुछ माह पहले अपना प्रदेश छोड़कर अन्य प्रदेश चला गया था।वहां के मिल में काम मिलने से वहीं रहकर काम करने लगा।वैश्विक महामारी बन चुके कोरोना के चलते नियंत्रण के लिए लागू लॉकडाउन के कारण मील बंद हो गया और खाने-पीने की समस्या पैदा हो गई।
तो नहीं होते इतनी दूर जाने को मजबूर।
छह-सात माह पहले काम करने घर से निकले एक युवक ने बताया कि लॉकडाउन में तो दो माह ऐसे ही निकल गए।इस बीच कंपनी वालों ने भी चावल-राशन की मदद की पर बाद में दिक्कत होने लगी थी।जिसमें की गई बचत उस वक्त नाकाफी पड़ने लगी, जब कंपनी से मदद मिलनी बंद हो गई।यहां मेहनत ज्यादा और कमाई कम होती है।जबकि, वहां अच्छा मेहनताना मिलता है।यही वजह है जो वे गांव से इतनी दूर जाने को मजबूर होते हैं।आज जीवन-यापन बेपटरी हो गई हैं।जिला परिषद सदस्या किशनगंज प्रतिनिधि व युवा प्रत्याशी ठाकुरगंज विधानसभा देवव्रत गणेश ने कोरेंनटीन सेंटर पर जाकर बाहर से आए श्रमिकों से मुलाकात की और माक्स, सेनिटाइजर का वितरण किया।मजदूरों के घर लौटने पर खुशी जताते हुए उन्होंने बताया कि अपने घर लौटे मजदूरों के लिए काम अपने इलाक़े में करने से मजदूरों की कमी कम होंगी और अपने परिवारों के साथ जीवन-यापन करने में आनंदित महसूस करेंगे।युवाओं को रोजगार देने को लेकर योजना भी बनाई जा रही हैं।