किशनगंज : टीबी मुक्त अभियान: दो से कम मरीज मिलने पर टीबी मुक्त होगी पंचायत: डा० देवेन्द्र

प्रति एक हजार जनसंख्या पर 50 संभावित रोगी की होगी खोज: डा० कौशल किशोर
किशनगंज, 15 मई (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, वर्ष 2030 तक टीबी से मुक्त करने के वैश्विक लक्ष्य को लेकर भारत ने भी प्रतिबद्धता के साथ कदम बढ़ाया है। केंद्र सरकार, देश की प्रत्येक ग्राम पंचायत को 2025 तक इस रोग से पूरी तरह छुटकारा दिलाने के लिए ‘टीबी मुक्त पंचायत’ अभियान की शुरुआत की है। इस कार्यक्रम का शुभारंभ विश्व टीबी दिवस पर 24 मार्च को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी से किया था। स्वस्थ ग्राम पंचायतों के लक्ष्य को धरातल पर उतारने के लिए पंचायतीराज मंत्रालय और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वार साझेदारी के साथ अभियान चलाया जायेगा। विदित हो इस कार्यक्रम की सफलता के लिए जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ देवेन्द्र कुमार, जिला मूल्यांकन एवं अनुश्रवन पदाधिकारी एवं एक सलाहकार को राज्यस्तरीय प्रशिक्षण दिया गया है। जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ देवेन्द्र कुमार ने सोमवार को बताया कि अभियान के तहत पूर्व के प्रभावित पंचायतों का चयन किया जाएगा। चिह्नित पंचायतों में प्रति एक हजार जनसंख्या पर 50 संभावित रोगियों की जांच होगी। यदि 2 से कम मरीज मिलता है व उस पंचायत के 80 प्रतिशत राजस्व ग्राम में यही स्थिति रहती है तो ग्राम पंचायत के मुखिया जिलाधिकारी को लिख कर टीबी मुक्त पंचायत घोषणा करने का आग्रह करेंगे। उसके बाद इस पर जिला यक्ष्मा कार्यलय द्वारा तथ्यों की जाँच के बाद उस पंचायत को टीबी मुक्त माना जाएगा। जिले के चयनित प्रखंड के चयनित पंचायत के वार्ड, ग्राम को टीबी मुक्त ग्राम पंचायत के लिए कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। इस दौरान रोगियों के इलाज के साथ लोगों को जागरूक किया जाएगा। अभियान की सफलता के लिए इसकी प्रक्रिया, योजना और रणनीति तेज कर दी गई। टीबी मुक्त पंचायत बनाने के लिए जनप्रतिनिधि, चिकित्साकर्मी, टीबी चैम्पियन और आमजन की ओर से कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया कि अभियान के तहत ग्राम पंचायतों को पूर्ण रूप से टीबी मुक्त करने करने के लिए सक्रिय टीबी खोज अभियान, स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन, विद्यालयों में चित्रकला प्रतियोगिता, वाद-विवाद प्रतियोगिता, निबंध प्रतियोगिता, रंगोली प्रतियोगिता, नारा लेखन एवं ग्राम सभाओं में टीबी उन्मूलन की शपथ का आयोजन किया जाएगा। डॉ देवेन्द्र कुमार ने बताया कि अभियान के तहत जिले के चिह्नित पंचायत में स्थानीय टीम का गठन किया जाएगा। जिसमें मुखिया, सरपंच, उप सरपंच, पंचायत सचिव, टोला सेवक, जीविका दीदी, चिकित्सा अधिकारी, सीएचओ, एएनएम, आशा, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, शिक्षक, टीबी चैंपियन शामिल होंगे। अभियान के तहत संबधित ग्राम पंचायत में एक्टिव केस फाइन्डिंग, स्वास्थ्य शिविर, सामुदायिक जागरूकता के लिए बैठक का आयोजन किया जाएगा। इन टीमों द्वारा ग्राम पंचायतों में विभिन्न गतिविधियां से जन जागरुकता फैलाकर कार्यक्रम का प्रचार-प्रसार किया जाएगा। सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया कि अभियान का मुख्य उद्देश्य आमजन में जागरूकता पैदा कर टीबी के प्रति समुदाय में फैली भ्रांतियां एवं भेदभाव को कम करना, टीबी रोगियों को शीघ्र निदान और उपचार दिलवाना, टीबी के बारे में आमजन को जागरूक कर संभावित टीबी रोगी को जांच के लिए प्रेरित करना, टीबी रोगियों और उनके परिवारों को परामर्श सहायता उपलब्ध करवाना है।
उन्होंने लोगों से अपील की है कि, किसी भी मरीज का पता चलने पर उसे तुरंत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर ले जाएं और जांच कराकर सम्पूर्ण उपचार कराएं। उपचार के दौरान टीबी मरीज को हर माह 500 रुपये खाते में भेजे जाते हैं। इस अभियान में स्पष्ट किया गया है कि किस तरह से प्रत्येक ग्राम पंचायत में टीबी से मुक्ति के लिए जनभागीदारी बढ़ाते हुए जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाने हैं। वैसे जनभागीदारी के जरिए पहले ही एक निक्षय कार्यक्रम चलाया जा रहा है जिसमें कोई भी व्यक्ति या संस्थान टीबी रोगियों के इलाज और खानपान की जिम्मेदारी ले सकता है। देश में फिलहाल लगभग 22 लाख टीबी रोगी हैं और लगभग आधे की देखभाल निक्षय के जरिए हो रहा है।