ठाकुरगंज : सुनिए सरकार मजदूरों की पुकार, भट्टा संचालक की लापरवाही से दो मजदूर की गई जान, अब परिवार का पालन- पोषण करेगा कौन..

किशनगंज-ठाकुरगंज/फरीद अहमद, किशनगंज जिला के ठाकुरगंज प्रखंड अंतर्गत सुखानी थाना क्षेत्र में मुन्ना भट्टा में भट्टा संचालक की लापरवाही के कारण भट्टा का ईंट से बना दीवार मजदूरों के ऊपर गिर जाने के कारण वेस्ट बंगाल के कोच बिहार निवासी जोगन बर्मन और मजनू शेख दो मजदूर की जान चली गई।
हैरानी की बात तो यह है कि भट्टे को संचालित करने के लिए जिन मानकों की आवश्यकता होती है वह काम कर रहे मजदूरों के अनुसार उस तरह की सुविधा या मानक मुन्ना भट्टा में नहीं पाया गया, जिसके कारण भट्टा संचालक की लापरवाही सामने आई है और भट्ठा संचालक की लापरवाही के कारण ही कोच बिहार निवासी दो मजदूर की जान चली गई, प्राप्त जानकारी के अनुसार इससे पूर्व भी भट्टा संचालक को दीवार फटने और दीवार में दरार आने की बात को कहीं गई और ठीक कराने तथा रिपेयर करने को कहा गया लेकिन भट्ठा संचालक ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया और पैसा कमाने की धुन में मजदूरों से काम कराते रहे और नौबत यहां तक आ गई कि भट्टा के दीवार में दरार पड़ने की वजह से भट्टा का दीवार दो मजदूरों के ऊपर गिर गया, दोनों मजदूर मुन्ना भट्टा में कार्यरत थे, घटना की जानकारी देते हुए एक व्यक्ति ने बताया कि जब दोनों मजदूर ईंट भट्टा के दीवार के बगल से निकाल रहे थे तभी एकाएक भट्टा का दीवार दोनों मजदूरों के ऊपर गिर गया और दोनों मजदूरों की दर्दनाक मौत हो गई, वही प्राप्त जानकारी के अनुसार एक मजदूर के घायल होने की भी खबर प्रकाश में आई है। मजदूरों के अनुसार घटना के बाद मजदूरों को भट्टा की तरफ से किसी भी प्रकार की सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जा सकी जिससे कि घायल मजदूरों को डॉक्टर के पास तक ले जाया जा सके। वहीं मृतक के परिजनों सहित भट्टा में काम कर रहे मजदूरों ने न्याय की गुहार लगाते हुए मृतक मजदूरों के परिवार के लिए मुआवजे की मांग कर रहे हैं जिससे कि मृतक के परिवार का पालन-पोषण हो सके। वही सूचना मिलने पर सुखानी पुलिस मौके पर पहुंची और शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और मामले की जांच में पुलिस जुट गई है। अब सवाल यह खड़ा हो रहा है कि आखिर बिना मानकों के संचालित भट्टा मालिको के ऊपर कार्रवाई कब तक होगी ? क्या इसी तरह से मजदूरों की जान जाती रहेगी ? क्या अपने पेट के खातिर मजदूरी कर रहे मजदूरों की जान की कोई कीमत नहीं है ?