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किशनगंज : थैलेसीमिया से पीड़ित लोग भी जी रहे हैं लंबी जिंदगी, थैलेसीमिया दिवस आज।

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, आज विश्व थैलेसीमिया दिवस है। इस बीमारी से जूझ रहे लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए हर वर्ष 8 मई को थैलेसीमिया दिवस मनाया जाता है। इस बार का थीम सतर्क रहो, देखभाल साझा करो और थैलेसीमिया के ज्ञान को बेहतर बनाने के लिए काम करते रहो है। यह दिन थैलेसीमिया रोग से पीड़ित रोगियों को समर्पित रहता और उन्हें एक सामान्य व्यक्ति की तरह जीने का अवसर प्रदान करता है। साथ ही इस दिन इस बीमारी को रोकने के लिए भी कदम उठाए जाते हैं। इसे लेकर सार्वजनिक स्थानों पर कार्यक्रम कर इसके लक्षणों और बचाव के उपायों के बारे में लोगों को बताया जाता है। इससे पीड़ित लोगों को इस तरह के कार्यक्रम में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने शनिवार को सदर अस्पताल परिसर में जानकारी देते हुए बताया कि थैलेसीमिया का इलाज बीमारी के प्रकार और गंभीरता पर निर्भर करता है। थैलेसीमिया के लक्षण वाले रोगियों को यह जानना जरूरी होता है कि यदि वे थैलेसीमिया के लक्षण वाले किसी व्यक्ति से शादी करते हैं तो उनसे होने वाले बच्चे को इस बीमारी के होने की आशंका रहती है। पिछले कुछ समय में थैलेसीमिया के इलाज में काफी सुधार हुआ है। मध्यम और गंभीर थैलेसीमिया से पीड़ित लोग भी अब लंबी जिंदगी जी रहे हैं। क्रोनिक ब्लड ट्रांसफ्यूजन थैरेपी, आयरन कीलेशन थैरेपी की मदद से थैलेसीमिया का इलाज हो रहा है। थकान, कमजोरी, पीली त्वचा, पेट की सूजन, चेहरे की हड्डी की विकृति धीमी, गहरे रंग का पेशाब आदि थैलेसीमिया के लक्षण हैं। ये लक्षण जन्म लेने के दो वर्षों के दौरान विकसित होते हैं। सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर कहते हैं कि यह एक प्रकार का आनुवांशिक रोग है, जो माता-पिता से बच्चों में जाता है। थैलेसीमिया रक्त संबंधी रोग है, जो बच्चों में होता है। इसलिए उन्हें बार-बार ब्लड बैंक ले जाना होता है। इस बीमारी में बहुत ज्यादा खून की कमी होने लगती है, इसलिए बाहरी खून चढ़ाना होता है। इसलिए यह बीमारी कई प्रकार के होते हैं और इसका इलाज बीमारी की गंभीरता के अनुसार किया जाता है। इस बीमारी से शरीर में हीमोग्लोबिन और लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण की क्षमता प्रभावित होती है। वही जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ देवेंद्र कुमार ने बताया कि थैलेसीमिया दिवस मनाने का उद्देश्य है कि इस बीमारी के लक्षण और इसके साथ जीने के तरीकों के बारे में लोगों को जागरूक किया जाए। यदि व्यक्ति थैलेसीमिया से पीड़ित है तो शादी से पहले डॉक्टर्स से जरूर परामर्श लें। बच्चों के स्वास्थ्य, समाज और पूरे विश्व के लिए टीकाकरण के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए भी यह दिवस मनाया जाता है। यदि आप थैलेसीमिया से खुद का बचाव करना चाहते हैं तो गर्भावस्था के दौरान इसकी जांच करवाएं। हीमोग्लोबिन के स्तर को नियंत्रित रखें। थैलेसीमिया होने पर दवा का सेवन नियमित तौर पर करना चाहिए। थैलेसीमिया के गंभीर मरीजों को खून चढ़ाना आवश्यक हो जाता है। कम गंभीर अवस्था में पौष्टिक भोजन और व्यायाम बीमारी के लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद करता है। बार-बार खून चढ़ाने से रोगी के शरीर में आयरन की मात्रा अधिक हो जाती है।

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