किशनगंज : बदलते मौसम में अधिक सावधान रहने की जरूरत, बच्चों का रखें विशेष ख्याल : सिविल सर्जन

साफ-सफाई का रखें विशेष ध्यान, मास्क और शारीरिक दूरी के नियम का करते रहें पालन।
- व्यक्तिगत स्वच्छता को बनाएं रखने से रोग क्षमता बढ़ती है तथा बीमार होने की संभावना कम होती है।
किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, मौसम के मिजाज में लगातार बदलाव हो रहा है। कभी तेज धूप से गर्मी तो कभी बारिश की वजह से वातावरण में नमी बनी रहती है। मौसम में हो रहे यही परिवर्तन के चलते लोग खासकर छोटे बच्चे बीमार पड़ रहे हैं। मौसम परिवर्तन के कारण बच्चे सर्दी, खांसी व बुखार की चपेट में आ रहे बच्चों में सर्दी, खांसी व बुखार अधिक देखा जा रहा है। ऐसे समय में बच्चे को ठंडा पानी, कोल्ड ड्रींक्स आदि से दूर रखें। अगर घर का कोई सदस्य सर्दी-खांसी या बुखार से पीड़ित है तो दूसरे बच्चे भी संक्रमित हो सकते हैं। अगर कोई बच्चा संक्रमित है तो अन्य बच्चों को उससे अलग रखें। सर्दी-जुकाम, खांसी, बुखार और फ्लू जैसे दिक्कतें बढ़ जाती हैं। ऐसे में इस बार मौसमी बीमारियों से कहीं ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है। अपनी खान-पान की आदतों का ख्यााल रखना है और बाहर निकलने से पहले भी काफी सावधानिया बरतनी हैं। ऐसे में तले-भुने और मांसाहारी आहारों के सेवन से बचें, क्योंकि इस समय बैक्टीरिया हावी होते हैं। मौसम में होने वाली बीमारियों का इलाज समय से कराया जाए। सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने शुक्रवार को सदर अस्पताल परिसर में जानकारी देते हुए बताया की मौसम परिवर्तन अपने साथ ढेरों बीमारियां भी लाती है। वहीं इस मौसम में संक्रमण का भी खतरा बढ़ जाता है। मौसम में उमस होती और अचानक बदलाव होता है। मौसम परिवर्तन के कारण बच्चे वायरल इंफेक्शन से पीड़ित हो रहे है। समय पर इलाज नहीं होने से यह भयावह रूप भी ले सकती हैं। मौसमी बीमारियां होने पर समय पर बेहतर उपचार करवाना चाहिए। बच्चों के बीमार होने पर इलाज में कतई लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए, अन्यथा तबीयत ज्यादा बिगड़ सकती है। इसके अलावा बदलते मौसम में खानपान व पहनावे पर भी ध्यान देना जरूरी है। इन दिनों करीब 15 से 20 फीसद छोटे बच्चों को श्वसन संबंधी संक्रमण (रेस्पिरेटरी इंफेक्शन) के साथ कफ व खांसी जैसी बीमारियां होती हैं। तापमान में अंतर के अलावा लोगों पर प्रदूषण का भी काफी प्रभाव पड़ रहा है। प्रदूषण के कारण धूल के कण सांस की नली के जरिए शरीर के अंदर तक पहुंच जाते हैं। इससे गले में खराश हो जाती है। एसीएम्ओ डॉ सुरेश प्रशाद ने बताया की इस बदलते मौसम में खुद को संक्रमण से बचाने के लिए रोज सुबह एक लौंग खाएं। ताजा बना गर्म खाना ही खाएं। इससे शरीर में रक्तसंचार अच्छा बना रहता है। मेथी के दाने के नियमित सेवन से अस्थमा, गठिया, कफ और गैस की समस्या जैसी बीमारियों से बचा जा सकता है। इस बात का खास ख्याल रखें कि मौसम चाहे कोई भी हो, पानी हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी है। इसलिए हर रोज कम से कम आठ से दस ग्लास पानी जरूर पीएं। खाने में पपीता, कद्दू, गाजर, टमाटर, पालक व अमरूद जैसे मौसमी फलों और सब्जियों को जरूर शामिल करें। इनसे शरीर का तापमान भी मौसम के मुताबिक बना रहेगा। अंकुरित अनाजों में काफी मात्रा में फाइबर और प्रोटीन होते हैं, जिनके सेवन से काफी एनर्जी मिलती है। लहसुन सर्दी-जुकाम और कफ जैसी समस्या का कारगर इलाज है। आंवला, संतरा, नींबू और इमली जैसे विटामिन-सी युक्त फल भरपूर मात्रा में लें।, बदलते मौसम में कई तरह की मौसमी बीमारियों के होने की भी संभावना काफी बढ़ जाती है। जैसे कि एलर्जी, सर्दी-खाँसी, बुखार सहित अन्य वायरल टाइप की बीमारियों की भी चपेट में लोग आ जाते हैं। इसलिए इससे बचाव के लिए हरी सब्जी, दाल, साग समेत अन्य पौष्टिक आहार का ज्यादा से ज्यादा सेवन करें। बच्चों का सही पोषण का उनके माता-पिता व परिवार के अन्य सदस्यों को विशेष ख्याल रखना चाहिए और ससमय खाना खिलाना चाहिए।सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया की जिले में सदर अस्पताल समेत सभी प्राथमिक एवं सामुदायिक सरकारी अस्पतालों में इन्फ्लूएंजा, डेंगू व चिकनगुनिया रोग की जांच व समुचित इलाज का प्रबंध है। सरकारी अस्पतालों में होने वाले एलाइजा टेस्ट डेंगू की पहचान के लिये बेहद उपयोगी है। जांच में रोग की पुष्टि होने पर सरकारी अस्पतालों में इलाज का बेहतर प्रबंध उपलब्ध है। वहीं निजी चिकित्सा संस्थानों में जांच के लिये एनएस-1 किट उपयोग में लाया जाता है। लिहाजा सही समय पर रोग की पहचान करते हुए उचित इलाज करना जरूरी है।