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किशनगंज : मानसिक तनाव गर्भावस्था के दौरान हो सकता है नुकसानदेह: सिविल सर्जन

संतुलित आहार लें। डाइट में विटामिन शामिल करें। तेल, घी मसालेदार खाने से परहेज़ करें। बुखार होने पर घबराएं नहीं। इम्युनिटी का विशेष खास ख्याल। कोरोना के लक्षण हैं तो तुरन्त डाक्टर से संपर्क करें। पैरासिटामोल, विटामिन सी, फोलिक एसिड, जिंक और बी कांप्लेक्स दवा जरूर घर में रखें। हर दिन हल्का व्यायाम जरूर करें और तनाव न लें

किशनगंज, 25 जुलाई (के.स.)। धर्मेंद्र सिंह, महिलाओ के लिए गर्भावस्था एक खास समय होता है। इस दौरान उन्हें अपनी विशेष ख्याल रखने की जरूरत पड़ती है। गर्भावस्था के दौरान स्वास्थ्य के प्रति थोड़ी सी लापरवाही मां और गर्भस्थ बच्चे दोनों के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। ऐसी महिलाओं पर सरकार की भी विशेष ध्यान है। सरकारी अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं के लिए निःशुल्क स्वास्थ्य जांच के साथ साथ समय समय पर निःशुल्क परामर्श की भी व्यवस्था की गई है ताकि गर्भस्थ महिला पूरी तरह से स्वस्थ रहे और प्रसव के दौरान किसी प्रकार की दिक्कत न हों। ऐसी महिलाओं को उचित खान पान के साथ साथ मानसिक तनाव को कम करने के लिए भी सुझाव दिए जाते है।

सिविल सर्जन डा. कौशल किशोर ने बताया कि गर्भावस्था महिलाओं के लिए एक विशेष समय होता है। ऐसे में महिला को खुद के साथ गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी ध्यान देने की जरूरत पड़ती है। ऐसे में दोनो के स्वास्थ्य के प्रति फिक्रमंद होने की जरूरत है। खासकर गर्भावस्था के दौरान मानसिक तनाव को कम करने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि मानसिक तनाव के दौरान गर्भवती महिला के साथ साथ उसके बच्चे पर भी काफी असर डालता है। कभी-कभी तो अत्यधिक मानसिक तनाव गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास पर असर डालता है और जन्म के बाद भी यह असर रहता है। उन्होंने बताया कि जो महिलाएं लगातार या अधिक मात्रा में तनाव महसूस करती है उनमे गर्भपात के खतरे को भी नकारा नही जा सकता है। डा. कौशल किशोर ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिलाओं में मानसिक तनाव अक्सर देखा जाता है और इस दौरान वो चिड़चिड़ी भी हो जाती है। गर्भावस्था के दौरान मानसिक तनाव के कई कारण हो सकते हैं जिसमें मुख्य कारण आज के परिवेश में प्रसव के बाद महिलाओं के शरीर में आने वाली परिवर्तन मुख्य कारण माना जा सकता है, क्योंकि शादी के पहले महिलाओं के शरीर की बनावट और प्रसव के बाद शरीर की बनावट में परिवर्तन हो जाता है ऐसे में यह उनके लिए एक चिंता का विषय बन जाता है। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं के घर और आसपास के लोगों के खराब व्यवहार भी मानसिक तनाव के कारण बनते हैं। गर्भावस्था के दौरान घर में कार्य का अधिक दबाव होना एवं घर के लोगों का सहयोग नहीं मिलना भी तनाव का कारण बन सकता है। सदर अस्पताल में कार्यरत महिला चिकित्सा पदाधिकारी डा. शबनम यस्मिन ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान महिलाओ को घर से खास मदद मिलनी चाहिए।इसके लिए जब वो तनाव महसूस करें तो उन्हें तनाव से बाहर निकालने के लिए तरीके सुझाए जाने चाहिए। इस दौरान महिलाएं आराम करना सीखें। यदि कोई समस्या हो तो उसे बताएं। यदि ऑफिस में काम करती है तो वहा के लोग भी खुशनुमा माहौल बनाए ताकि गर्भवती महिला कार्यालय पहुचे तो उसे किसी प्रकार की परेशानी या झिझक न हो या फिर कार्य स्थल पर असहज महसूस न करें। साथ ही मानसिक तनाव को दूर करने के लिए कई आसान व्यायाम को भी दिनचर्या में शामिल किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि परिवार के सदस्यों की भी जिम्मेदारी बनती है कि घर में मौजूद गर्भवती महिला के लिए खुशनुमा माहौल तैयार करें।

सिविल सर्जन डा. कौशल किशोर ने बताया कि मानसिक तनाव को दूर करने के लिए टेली मानस को लेकर भी लोगों को जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि भारत सरकार द्वारा मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे से जूझ रहे लोगों को सहायता के लिए टेली-मानस की शुरुआत की गई है। इसके लिए टोल फ्री नंबर 14416 एवं 1800-891-4416 जारी किया गया है। इस नंबर पर गर्भवती महिला के अलावा कोई भी संपर्क करके विशेष सुझाव ले सकते हैं। उन्होंने बताया कि टेली मानस टोल फ्री नंबर का प्रचार प्रसार के लिए जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम रोहतास इकाई द्वारा प्रसारित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि यदि कोई गर्भवती महिला अस्पताल आने में सक्षम नही है तो टेली मानस के जरिये सुझाव ले सकती है।

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