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किशनगंज : कुपोषित बच्चों के लिए संजीवनी है सदर अस्पताल परिसर स्थित पोषण पुर्नवास केंद्र।

यहां कुपोषित बच्चों के खानपान के साथ-साथ स्वास्थ्य की सम्पूर्ण देखभाल की है विशेष सुविधा।

  • एनएफएचएस 5 के आंकड़ों के अनुसार, जिला में नाटापन के शिकार बच्चों की कुल संख्या में आई है 07 प्रतिशत की कमी।

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, बच्चों को कुपोषण जैसी समस्या से मुक्त कराने के लिए राज्य सरकार और जिला प्रशासन काफी गंभीर है। राज्य सरकार ने कुपोषण की समस्या से निबटने के लिए प्रत्येक जिला के सदर अस्पताल परिसर में पोषण पुर्नवास केंद्र (एनआरसी) की स्थापना की है। जिले के सदर अस्पताल परिसर स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र के नोडल अधिकारी विश्वजीत कुमार ने मंगलवार को जानकारी देते हुए बताया कि कुपोषण की समस्या से जूझ रहे बच्चों और उसके मां या अन्य परिजन को 14 से 28 दिनों के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र में रखा जाता है। इन दिनों पोषण पुनर्वास केंद्र में स्थित सभी बेड पूरी तरह से भरे हुए हैं। यहां फीडिंग डिमोस्ट्रेटर के नेतृत्व में कुपोषित बच्चों के स्वास्थ्य की नियमित मॉनेटरिंग की जाती है। इस दौरान बच्चे और उनके परिजन के खाने और पीने के लिए नियमित रूप से पौष्टिक भोजन और शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है। 14 दिनों तक कुपोषित बच्चे के स्वास्थ्य की नियमित जांच के बाद यदि उसके स्वास्थ्य में मानक के अनुसार सुधार होता है तो ही उसे डिस्चार्ज किया जाता है। अन्यथा पुनः उसे अगले 14 दिन के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र में ही रखा जाता है। यहां से डिस्चार्ज होने के बाद भी स्थानीय आशा कार्यकर्ता या आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका के द्वारा उनके स्वास्थ्य की नियमित मॉनेटरिंग की जाती है। जिला पदाधिकारी श्रीकांत शास्त्री ने बताया कि ज़िले को अतिकुपोषित की श्रेणी से मुक्ति दिलाने में हम सभी की जिम्मेदारी बनती है कि जहां भी अतिकुपोषित बच्चों की जानकारी मिले तो सदर अस्पताल स्थित एनआरसी भेजने के बाद समय-समय पर निगरानी भी करें। जब तक आम नागरिक जागृत नहीं होगा तब तक किसी अन्य को अपने कर्तव्यों का बोध नहीं हो सकता है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा संचालित पोषण पुनर्वास केंद्र विगत कई वर्षों से ज़िले सहित आसपास के बच्चों के लिए वरदान साबित हुआ है। पुनर्वास केंद्र बच्चों को न केवल नवजीवन प्रदान कर रहा है, बल्कि कुपोषण के खिलाफ जारी मुहिम में सबसे बड़ा हथियार भी साबित हो रहा है। उन्होने बताया कि एनएफएचएस 5 (2019-20) के आंकड़ों के अनुसार जिला में बच्चों के नाटापन के प्रतिशत में 7 प्रतिशत का सुधार हुआ है। उन्होंने बताया कि एनएफएचएस 4 (2015- 16) के आंकड़ों के अनुसार जिला में 46.9 प्रतिशत बच्चे नाटापन के शिकार थे जो अब एनएफएचएस 5 (2019-20) के आंकड़ों के अनुसार घटकर मात्र 39.9 प्रतिशत रह गए हैं। पुनर्वास केंद्र में बच्चों का रखा जाता है विशेष ख्याल पोषण पुनर्वास केंद्र के नोडल पदाधिकारी सह जिला योजना समन्वयक विश्वजीत कुमार ने बताया कि यहां भर्ती कुपोषित बच्चों को डाक्टर की सलाह के अनुसार खानपान का विशेष ख्याल रखा जाता है। यहां रखे गए बच्चे यदि 14 दिनों अंदर कुपोषण से मुक्त नहीं हो पाते हैं तो वैसे बच्चों को एक माह तक विशेष रूप से देखभाल की जाती है। पोषण पुर्नवास केंद्र में मिलने वाली सभी सुविधाएं नि:शुल्क होती है। यहां भर्ती हुए बच्चों के वजन में न्यूनतम 15 प्रतिशत की वृद्धि के बाद ही उसे यहां से डिस्चार्ज किया जाता है। सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया कि कुपोषण के शिकार बच्चे को एनआरसी में भर्ती करने के लिए कुछ मानक निर्धारित किए गए हैं। इसके तहत बच्चों का विशेष जांच जैसे उनका वजन व बांह आदि का माप किया जाता है। इसके साथ हीं छह माह से अधिक एवं 59 माह तक के ऐसे बच्चे जिनकी बांई भुजा 11.5 सेमी हो और उम्र के हिसाब से लंबाई व वजन न बढ़ता हो वो कुपोषित माने जाते है। वैसे बच्चों को ही पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती किया जाता है। इसके साथ ही दोनों पैरों में पिटिंग एडीमा हो तो ऐसे बच्चों को भी यहां पर भर्ती किया जाता है।

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