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किशनगंज : डीएम ने किया सुरजापुरी उपन्यास ‘पोरेर बेटी’ का विमोचन

उक्त पुस्तक की रचनाकार मिली कुमारी को डीएम ने दी शुभकामनाएं

सुरजापुरी बोली व संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए जिला प्रशासन यथा संभव सहयता करेगा और सुरजापुरी बोली में जो भी साहित्य रचे जायेंगे, उसका भी संरक्षण व संवर्द्धन किया जायेगा

किशनगंज, 28 अगस्त (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, खगड़ा स्थित सम्राट अशोक भवन में स्थानीय रचनाकार मिली कुमारी द्वारा रचित प्रथम सुरजापुरी उपन्यास पुस्तक ‘पोरेर बेटी’ का विमोचन डीएम श्रीकांत शास्त्री के कर-कमलों द्वारा सोमवार को सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर जिला परिषद अध्यक्षा नुदरत महजबीं, अनुमंडल पदाधिकारी अमिताभ कुमार गुप्ता, नप के कार्यपालक पदाधिकारी प्रवीण कुमार, पूर्व नप उपाध्यक्ष व वार्ड आयुक्त मो० कलीमउद्दीन प्रमुखतः उपस्थित थे। डीएम व अन्य अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर विमोचन समारोह का शुभारंभ किया। विमोचन पश्चात जिलाधिकरी ने लेखिका का उत्साहवर्धन कर भविष्य में और साहित्य रचने की शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि सुरजापुरी बोली व संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए जिला प्रशासन यथा संभव सहयता करेगा और सुरजापुरी बोली में जो भी साहित्य रचे जायेंगे, उसका भी संरक्षण व संवर्द्धन किया जायेगा। स्वागत करते हुए लेखिका मिली कुमारी ने कहा कि उनकी जानकारी में सूरजापुरी बोली में अबतक कोई उपन्यास नहीं लिखा गया है। ‘पोरेर बेटी’ पहला सुरजापुरी उपन्यास है। वह अपनी ‘पोरेर बेटी’ शीर्षक प्रथम उपन्यास के साथ साहित्यक क्षेत्र में अपने पहले कदम के साथ इतिहास बनाने को तैयार है। कहा कि किशनगंज की स्थानीय बोली सुरजापुरी को साहित्यक क्षेत्र में स्थान देकर, सुरजापुरी बोली को एक भाषा के रूप में स्थापित करने के संकल्प के साथ साहित्यक क्षेत्र में प्रवेश कर चुकी है। लेखिका ने आगे कहा कि इस सुरजापुरी उपन्यास की रचना कर सुरजापुरी बोली को ही नहीं बल्कि, सुरजापुरी समाज के रहन-सहन, खान-पान, ग्रामीण जीवन-यापन को जन-जन तक पहुंचाने का जिम्मा उठाया है। इस सुरजापुरी उपन्यास ‘पोरेर बेटी’ जिसका अर्थ पराई बेटी है, में एक लड़की की भावनाओं को दर्शाया है जो अपनी पहचान को लेकर भ्रमित है, सशंकित है। लड़कियों को कहा जाता है कि हम अपने माता-पिता के घर मेहमान होते है। हमारा वास्तविक घर हमारा ससुराल होता है। परन्तु जिन लड़कियों को सुसराल में अपनी बेटी न मानकर पराई बेटी कहा जाता है या पराए जैसा व्यव्हार किया जाता है। उस परिस्थिति में लड़कियों को अपने अस्तित्व को लेकर मन में कई भावनाएं आती है कि आखिर मेरा घर कौन सा है ? माता-पिता के घर मेहमान और सुसराल में पराई बेटी। तो हमारी पहचान क्या है! हमारा वास्तविक घर कहां है! इस कार्यक्रम में मारवाड़ी कॉलेज के कार्यवाहक प्रधानाचार्य व हिंदी विभागाध्यक्ष डा० सजल प्रसाद, प्रगतिशील लेखक संघ किशनगंज जिला इकाई के अध्यक्ष हरि दिवाकर, सेवानिवृत्त कृषि वैज्ञानिक व साहित्यकार डा. परमेश्वर प्रसाद सिन्हा, मध्य विद्यालय खगड़ा के सेवानिवृत्त शिक्षक वासुदेव सिन्हा, नेपाल के झापा जिले के सुरजापुरी भाषा विकास प्रतिष्ठान के सदस्य संतोष कुमार गणेश, सुशीला हरि कॉलेज तुलसिया के प्रिंसिपल व साहित्यकार विवेकानन्द ठाकुर, जिला कला संघ की अध्यक्ष रचना सुदर्शन, कवित्री व शिक्षिका अनुपमा अधिकारी, ओरेकल इंटरनेशनल स्कूल के संचालक सफीरुद्दीन रही, समाजसेवी वकार अकरम एवं रोशनी परवीन आदि उपस्थित थे। इसके पूर्व काव्यपाठ का भी सत्र चला जिसमें कई कवि व कवयित्रियों ने काव्यपाठ किया। कार्यक्रम का सफल संचालन शमाएल नबी ने किया। डीएम ने मिली कुमारी को नई पुस्तक के लिए शुभकामनाएं दी।

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