किशनगंज : सीजेरियन प्रसव ने बदली स्वास्थ्य सेवाओं की तस्वीर
सदर अस्पताल में अत्याधुनिक सुविधाओं से हर वर्ग को राहत, निशुल्क सुविधा से आर्थिक बोझ में राहत

किशनगंज, 04 जनवरी (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, प्रसव के दौरान जटिल परिस्थितियों में सीजेरियन ऑपरेशन (सी-सेक्शन) जीवन रक्षक भूमिका निभाता है। यह प्रक्रिया न केवल मां और शिशु को सुरक्षित रखती है, बल्कि कई गंभीर जटिलताओं को भी रोकती है। किशनगंज के सदर अस्पताल ने इस क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। यहां अब सीजेरियन प्रसव की सुविधा आसानी से उपलब्ध है, जो लोगों को निजी अस्पतालों के भारी खर्च से राहत प्रदान कर रही है।
जनवरी 2024 से दिसंबर 2024 तक, कुल 145 सीजेरियन प्रसव सफलतापूर्वक किए गए। इनमें से 44 प्रसव रात के समय किए गए, जो विशेष रूप से जटिल थे। इन जटिल परिस्थितियों में सफल ऑपरेशन करना न केवल चिकित्सकों की कड़ी मेहनत का प्रमाण है, बल्कि यह अस्पताल की आधुनिक सुविधाओं और स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता को भी दर्शाता है।
इस उपलब्धि की सराहना जिलाधिकारी विशाल राज और सिविल सर्जन डा. राजेश कुमार ने की है। उन्होंने इसे जिले के स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए मील का पत्थर बताया। पहले जटिल प्रसव के लिए लोगों को निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ता था, जहां सीजेरियन प्रसव का खर्च 30 हजार से 50 हजार तक होता था। यह खर्च गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों के लिए भारी आर्थिक बोझ बनता था। लेकिन अब, सदर अस्पताल में यह सुविधा पूरी तरह से निशुल्क उपलब्ध है। अस्पताल में अत्याधुनिक सीजेरियन कक्ष और प्रशिक्षित चिकित्सकों की देखरेख में यह प्रक्रिया सुरक्षित और सुलभ हो गई है।
सिविल सर्जन डा. राजेश कुमार ने बताया कि सरकार का उद्देश्य हर गर्भवती महिला को गुणवत्तापूर्ण और किफायती स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना है। सदर अस्पताल में निशुल्क सीजेरियन सुविधा इसी दिशा में एक बड़ा कदम है। सदर अस्पताल का प्रसव कक्ष लक्ष्य प्रमाणीकरण से सुसज्जित है। यह प्रमाणीकरण स्वास्थ्य सेवाओं में गुणवत्ता, स्वच्छता, और मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
अस्पताल के उपाधीक्षक डा. अनवर हुसैन ने कहा कि हमारा प्रसव कक्ष और ऑपरेशन थिएटर आधुनिक उपकरणों से लैस है। यहां हर वो सुविधा उपलब्ध है, जो एक निजी अस्पताल में होती है। हमारा उद्देश्य है कि कोई भी महिला, चाहे वह किसी भी आर्थिक वर्ग से हो, सुरक्षित प्रसव सेवाओं का लाभ उठा सके।
स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. शबनम यास्मीन ने कहा कि उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था (हाई रिस्क प्रेग्नेंसी) में मां और शिशु दोनों के जीवन को खतरा हो सकता है। ऐसे मामलों में प्रशिक्षित चिकित्सकों की देखरेख में प्रसव कराना आवश्यक होता है। गर्भावस्था के दौरान नियमित स्वास्थ्य जांच और संतुलित आहार लेना बेहद जरूरी है। मसालेदार और तैलीय भोजन से बचें और आहार में हरी सब्जियां और विटामिन शामिल करें।
महिला चिकित्सा पदाधिकारी डा. शबनम यास्मीन ने बताया कि सदर अस्पताल में रात के समय 44 जटिल सीजेरियन प्रसव किए गए। यह अस्पताल की सेवाओं और चिकित्सकों की तत्परता को दर्शाता है। आमतौर पर रात में जटिल ऑपरेशन करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य होता है, लेकिन सदर अस्पताल की टीम ने इसे सफलतापूर्वक अंजाम दिया।
सदर अस्पताल उपाधीक्षक डा. अनवर हुसैन ने बताया कि सरकार द्वारा चलाई जा रही जननी बाल सुरक्षा योजना के तहत सदर अस्पताल में प्रसव कराने वाली महिलाओं को आर्थिक सहायता दी जाती है। ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को 14 सौ और शहरी क्षेत्रों की महिलाओं को एक हजार की प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती है। आशा कार्यकर्ताओं को भी हर प्रसव के लिए प्रोत्साहन राशि मिलती है, जिससे संस्थागत प्रसव को बढ़ावा मिल रहा है।
सिविल सर्जन डा. राजेश कुमार ने बताया कि कोविड काल में शुरू हुई यह व्यवस्था अब एक स्थायी समाधान बन गई है। अस्पताल में अत्याधुनिक सीजेरियन कक्ष और प्रशिक्षित स्टाफ ने लोगों का भरोसा बढ़ाया है। जो लोग पहले निजी अस्पतालों में भारी खर्च करने को मजबूर थे, वे अब सरकारी अस्पताल में निशुल्क और सुरक्षित सेवाओं का लाभ उठा रहे हैं। सदर अस्पताल की टीम ने आम जनता से अपील की है कि वे सरकारी अस्पताल की सेवाओं का लाभ उठाएं।
उपाधीक्षक डा. अनवर हुसैन ने कहा कि सरकार की ओर से दी जा रही इन सुविधाओं का उद्देश्य हर वर्ग को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं देना है। हम सभी से आग्रह करते हैं कि सरकारी अस्पताल की सेवाओं पर भरोसा करें और अपने परिवार को सुरक्षित प्रसव सेवाएं प्रदान करें। इस प्रकार सदर अस्पताल न केवल जटिल परिस्थितियों में मातृ-शिशु मृत्यु दर को कम करने में सफल हो रहा है, बल्कि आम लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं और आर्थिक राहत भी प्रदान कर रहा है।