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किशनगंज : वीर शिवाजी सेना के सदस्यों ने छत्रपति शिवाजी महाराज की तैलचित्र पर दीप प्रज्वलित व श्रद्धासुमन माल्यार्पण कर उनको नमन करते हुए उनकी जीवनी पुस्तक को किया वितरण..

वीर शिवाजी के पराक्रम को और अधिक लोग अच्छे से जाने इसके लिए वीर शिवाजी सेना किशनगंज उनकी 200 पुस्तकों का करेगी वितरण।

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, वीर शिवाजी सेना कोरोना वायरस संक्रमणता को बढते ध्यान में रखते हुए केवल कोर कमेटी के सदस्यों ने छत्रपति शिवाजी महाराज की तैलचित्र दीप प्रज्वलित व श्रद्धासुमन माल्यार्पण कर उनको नमन करते हुए उनकी जीवनी पुस्तक को वितरण कर मनाया हिन्दू साम्राज्य दिनोत्सव।जो लोग देश और समाज के लिए कार्य करते हैं, उनकी कभी हार नही होती है।सन् 1674 में ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी को शिवाजी का राज्याभिषेक हुआ था, जिसे आनंदनाम संवत् का नाम दिया गया।महाराष्ट्र में पांच हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित रायगढ़ किले में एक भव्य समारोह हुआ था।इसके पश्चात् शिवाजी पूर्णरूप से छत्रपति अर्थात् एक प्रखर हिन्दू सम्राट के रूप में स्थापित हुए।इस दिवस को हिन्दू साम्राज्य दिनोत्सव के रूप में मनाता है।छत्रपति शिवाजी के जीवन से सीख लेने की प्रेरणा दी।जो लोग देश और समाज के लिए कार्य करते हैं, उनकी कभी हार नहीं होती है।विपरीत परिस्थितियों में काम करके ही व्यक्ति महान बनता है।हिन्दू साम्राज्य दिनोत्सव शिवाजी महाराज के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए महापुरुष हमें हर वक्त प्रेरणा देते रहते हैं।हम शिवाजी महाराज के जीवनसे प्रेरणा लें कि व्यक्ति सर्वोपरि नहीं है, राष्ट्र सर्वोपरि है।बालक की प्रथम गुरु मां होती है।बालक को बनाने में मां का योगदान होता है।ऐसा ही शिवाजी के साथ हुआ।माता जीजाबाई ने शिवाजी को देशभक्त और साहसी बनाया।बचपन में युद्ध और राजनीति सीख ली।शिवाजी को आठ वर्ष की अवस्था में ही शाहजी भोंसले अपने साथ बीजापुर के सुल्तान आदिलशाह के दरबार में ले गए।उनके कहने पर भी शिवाजी ने सिर झुकाकर अभिवादन नहीं किया।इससे दरबारियों में खलबली मच गई थी।शिवाजी ने अफजल खां को अपनी कूटनीति और युद्धनीति से मार दिया था।शिवाजी ने युद्ध की नई विधा गुरिल्ला युद्ध शुरू किया।इसमें शत्रु को परास्त करके छिप जाना होता है।उन्होंने कहा कि किशोर के रूप में शिवाजी ने हिन्दवी स्वराज स्थापित करने की प्रतिज्ञा ली थी न कि अपना राज्य स्थापित करने की।उन्होंने इस बात की भी घोषणा की थी कि यह ईश्वर की इच्छा है, इसमें सफलता निश्चित है।उन्होंने अपनी शाही मोहर में यह बात अंकित की थी कि शाहजी के पुत्र शिवाजी की यह शुभ राजमुद्रा शुक्ल पक्ष के प्रथम दिवस के चंद्रमा की भांति विकसित होगी और समस्त संसार इसका मंगलगान करेगा।यही हुआ।1674 में हिन्दू राजा के रूप में भगवा ध्वज फहराया।हम सबके लिए यह गौरव की बात है।हिन्दू धर्म की रक्षा में छत्रपति शिवाजी और महराणा प्रताप का नाम सर्वोच्च है।शिवाजी महाराज ने समुद्र तल से 1500 मीटर की ऊंचाई पर स्थिति किला जीतकर अपनी मां जीजा बाई को भेंट किया था।महाबलेश्वर स्टेशन से किला देखा ज सकता है।इस किला पर कब्जा करने के बाद ही औरंगजेब को शिवाजी के बारे में जानकारी मिली।उन्होंने कहा कि हमारे इतिहास का विकृत किया गया है।पाठ्य पुस्तकों से हमारे पूर्वज किताब समाप्त कर दी गई है।इस दौरान वीर शिवाजी सेना के संगठन मंत्री इन्द्रजीत कुमार, संगठन विस्तारक नीरज कुमार, छोटू कुमार, अभ्यास कुमार, युवा संयोजक राहुल आदि मौजूद थे।

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