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किशनगंज : बहादुरगंज मलिका व दिघलबैंक की इरम को मिली नई जिंदगी, परिवार में आई खुशहाली।

बाल हृदय योजना के तहत दोनों हृदय संबंधी रोग से ग्रसित बच्चों का नि:शुल्क जांच व इलाज किया गया। पुनः हृदय रोगी बच्चों की काउंसिलिंग के लिये 15 से 17 दिसंबर तक पटना में आयोजित होगा शिविर। स्क्रीनिंग से इलाज तक आने-जाने का खर्च सरकार करती है वहन।

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, संक्रमण काल में जिला प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से लोगों के स्वास्थ्य पर ध्यान दे रहा है। इसी क्रम में जिले की मलिका रानी और इरम आरजू को नई जिंदगी मिली है। इन बच्चों के दिल में जन्म से ही छेद था। जिन्हें 23 अक्टूबर को सदर अस्पताल से पटना एयरपोर्ट के लिए एम्बुलेंस के माध्यम से अहमदाबाद भेजा गया था जहां विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम द्वारा हृदय में छेद से ग्रसित बच्चों का सफल इलाज किया गया। इन 02 बच्चों में मलिका रानी (10 वर्ष) बहादुरगंज प्रखंड से और इरम आरजू (04 वर्ष ) दिघलबैंक प्रखंड से हैं।सफल इलाज के बाद परिवार वालों की खुशी का ठिकाना नही है। वे बार–बार स्वास्थ्य विभाग को धन्यवाद दे रहे है जहां उनके बच्चों का निःशुल्क इलाज कर नई जिंदगी दी गयी है। आरबीएसके के जिला समन्वयक डॉ. ब्रहमदेव शर्मा ने बताया कि हृदय में जन्मजात छेद वाले बच्चों का इलाज अब बेहद आसान हो चुका है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत संचालित इस योजना में हृदय संबंधी गंभीर बीमारी से ग्रसित बच्चों के नि:शुल्क इलाज का प्रावधान है। सर्वप्रथम आरबीएसके की टीम ऐसे बच्चों की पहचान करती है। चिह्नित बच्चों की सूची वरीय संस्थान को भेजी जाती है। वहां काउंसिलिंग के बाद बीमार बच्चों को इलाज के लिये बेहतर चिकित्सा संस्थान भेजे जाने का प्रावधान है। जिला कार्यक्रम प्रबन्धक डॉ मुनाजिम ने बताया कि जिले के दो बच्चो के सफल इलाज के लिए पूर्व सिविल सर्जन डॉ श्रीनंदन के साथ आरबीएसके के जिला समन्वयक डॉ. ब्रहमदेव शर्मा एवं आरबीएसके के सभी सदस्य ने काफी मेहनत किये हैं। जिसके कारण ये संभव हो पाया है। उन्होंने बताया बच्चों में होने वाले जन्मजात रोगों में हृदय में छेद होना एक गंभीर समस्या/बीमारी है। एक अध्ययन के अनुसार जन्म लेने वाले 1000 बच्चों में से 9 बच्चे जन्मजात हृदय रोग से ग्रसित होते हैं। जिनमें लगभग 25 प्रतिशत नवजात बच्चों को प्रथम वर्ष में शल्य क्रिया की आवश्यकता रहती है। बच्चों में होने वाले जन्मजात रोगों में हृदय में छेद होना एक गंभीर समस्या है। राज्य सरकार के सात निश्चय-2 के तहत हृदय में छेद के साथ जन्मे बच्चों के निःशुल्क उपचार की व्यवस्था सुनिश्चित करने को नई योजना ‘बाल हृदय योजना’ को 5 जनवरी, 2021 को मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकृति दी गई है। योजना 1 अप्रैल, 2021 से लागू है। इसके लिए 13 फरवरी, 2020 को बिहार सरकार ने प्रशांति मेडिकल सर्विसेज एंड रिसर्च फाउंडेशन के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किया था। प्रशांति मेडिकल सर्विसेज एंड रिसर्च फाउंडेशन राजकोट एवं अहमदाबाद आधारित एक चैरिटेबल ट्रस्ट अस्पताल है तथा इसके द्वारा बाल हृदय रोगियों की पहचान कर मुफ्त चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। जबकि बच्चों की शुरुआती स्क्रीनिंग से लेकर बच्चों के आने-जाने का खर्च बिहार सरकार वहन करती है। बाल हृदय योजना के तहत 15 से 17 दिसंबर के बीच राजधानी पटना में विशेष शिविर का आयोजन किया जा रहा है। इसमें 15 व 16 दिसंबर को इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान व 17 दिसंबर को शिविर का आयोजन इंदिरा गांधी इंस्टीच्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में प्रस्तावित है। शिविर के तीसरे दिन 17 दिसंबर को मुंगेर , पूर्णिया व कोशी प्रमंडल के बच्चों की काउंसिलिंग निर्धारित है। आरबीएसके के डॉ. ब्रहमदेव शर्मा ने बताया कि शिविर में जिले के लगभग 04 बच्चे हृदय रोग से ग्रसित बच्चों को काउंसिलिंग के लिये भेजा जा रहा है। आरबीएसके की टीम द्वारा पीड़ित परिवारों से मिल कर ऐसे बच्चों को चिह्नित किया गया। जिन्हें शिविर में भाग लेने के लिये पटना भेजा जाना है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के जिला समन्वयक डॉ. ब्रहमदेव शर्मा ने बताया कि योजना के तहत 0 से 18 साल के बच्चों में होने वाले कुल 38 रोगों के नि:शुल्क इलाज का प्रावधान है। इसमें चर्मरोग, दांत व आंख संबंधी रोग, टीबी, एनीमिया, हृदय संबंधी रोग, श्वसन संबंधी रोग, जन्मजात विकलांगता, बच्चे के कटे होंठ व तालू संबंधी रोग शामिल हैं। बीमार बच्चों को चिह्नित करने के लिये आरबीएसके टीम द्वारा जरूरी स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है। उन्होंने बताया कि 0 से 6 साल तक के बच्चों में रोग का पता लगाने के लिये आंगनबाड़ी स्तर व 6 से 18 साल तक के बच्चों में रोग का पता लगाने के लिये विद्यालय स्तर पर स्वास्थ्य जांच शिविर का आयोजन नियमित अंतराल पर किया जाता है।

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