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किशनगंज : कुपोषणमुक्त समाज निर्माण को लेकर उचित पोषण के प्रति जागरूकता जरूरी

जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में मनाया गया अन्नप्राशन दिवस, सही पोषण और नियमित खान-पान की दी गई जानकारी

किशनगंज, 19 दिसंबर (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, जिले में कुपोषण के खिलाफ जागरूकता लाने के उद्देश्य से सितंबर माह को राष्ट्रीय पोषण माह के रूप में मनाया गया है। इसी कड़ी में मंगलवार को जिले के सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों में अन्नप्राशन दिवस मनाया गया। आईसीडीएस की जिला कार्यक्रम पदाधिकारी जया मिश्रा ने कहा कि पोषण की समस्या को जड़ से मिटाने के लिए जिले की सभी आंगनबाड़ी दीदी काफी सजग और संकल्पित हैं। जन -जन के सहयोग से पोषण माह का उद्देश्य सफल होगा। पोषण माह का मुख्य उद्देश्य कुपोषणमुक्त समाज का निर्माण है। लेकिन यह तभी संभव है जब समाज के प्रत्येक व्यक्ति को उचित पोषण की जानकारी होगी। पोषण माह के माध्यम से कार्यक्रमों का आयोजन कर समाज के प्रत्येक व्यक्ति तक पोषण का संदेश पहुंचाया गया है। कोचाधामन  प्रखंड की सीडीपीओ प्रियंका श्रीवास्तव ने अन्नप्राशन कार्यक्रम के दौरान पोषण के पांचों सूत्रों का जिक्र किया। पहले सूत्र के रूप में बच्चे के पहले हजार दिन का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि गर्भावस्था के 270 दिन तथा उसके बाद 2 वर्ष तक लगभग 730 दिन बच्चे के सबसे सुनहरे हजार दिन होते हैं। इसी समय बच्चे को सही आहार दिया जाना चाहिए। ताकि उसका मस्तिष्क तेजी से विकास कर सके। पौष्टिक आहार के रूप में 6 माह तक बच्चे को केवल मां का दूध दिया जाना चाहिए। इस दौरान ऊपर से पानी भी नहीं देना चाहिए। छह माह के बाद बच्चे को ऊपरी आहार दिया जाना चाहिये। अन्नप्राशन दिवस पर डीपीओ आईसीडीएस जया मिश्रा के द्वारा आंगनबाड़ी केंद्र का भ्रमण कर अन्नप्राशन दिवस का जायजा लिया गया। इस दौरान उन्होंने बताया कि छः महीने बाद से ही शिशुओं को स्तनपान कराने के साथ अतिरिक्त अनुपूरक आहार दिया जाना चाहिए। इस उम्र में शिशुओं का शारीरिक एवं मानसिक विकास तेजी से होता है। इसलिए इस दौरान शिशुओं को ज्यादा आहार की जरूरत होती है। जिला समन्वयक मंजूर आलम ने बताया कि बच्चों को अन्नप्राशन के साथ कम से कम दो वर्षों तक स्तनपान भी कराए तभी बच्चे के  स्वस्थ शरीर का निर्माण हो पाएगा। इसके अलावा 6 माह से ऊपर के बच्चों के अभिभावकों को बच्चों के लिए पूरक आहार की जरूरत के विषय में जानकारी दी गयी। 6 से 9 माह के शिशु को दिनभर में  200 ग्राम सुपाच्य मसला हुआ खाना, 9 से 12 माह में 300 ग्राम मसला हुआ ठोस खाना, 12 से 24 माह में 500 ग्राम तक खाना खिलाने की सलाह दी गयी। शिशु के लिए प्रारंभिक आहार तैयार करने के लिए घर में मौजूद मुख्य खाद्य पदार्थों का उपयोग किया जा सकता है। सूजी, गेहूं का आटा, चावल, रागी, बाजरा आदि की सहायता से पानी या दूध में मिलाकर दलिया बनाई जा सकती है। बच्चे के आहार में चीनी अथवा गुड को भी शामिल करना चाहिए क्योंकि उन्हें अधिक ऊर्जा की जरूरत होती है। 6 से 9 माह तक के बच्चों को गाढे एवं सुपाच्य दलिया खिलानी चाहिए। वसा की आपूर्ति के लिए आहार में छोटा चम्मच घी या तेल डालना चाहिये। दलिया के अलावा अंडा, मछली, फलों एवं सब्जियों जैसे संरक्षक आहार शिशुओं के विकास में सहायक होते हैं। उन्होंने बताया कि 6 माह बाद शिशुओं को स्तनपान के साथ ही अनुपूरक आहार दें। स्तनपान के अतिरिक्त दिन में 5 से 6 बार शिशु को अतिरिक्त आहार सुपाच्य भोजन के रूप में दें। शिशु को माल्टिंग आहार (अंकुरित साबुत अनाज या दाल को सुखाने के बाद पीसकर) देना चाहिए। माल्टिंग से तैयार आहार से शिशुओं को अधिक ऊर्जा प्राप्त होती है। शिशु द्वारा अनुपूरक आहार नहीं खाने की स्थिति में भी उन्हें थोडा-थोडा करके कई बार अतिरिक्त भोजन खिलाना चाहिए।

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