किशनगंज: गर्मी बढ़ने के साथ दिमागी बुखार से बचाव के उपाय में जुटा स्वास्थ्य विभाग
जिले में चिलचिलाती धूप एवं बढ़ती गर्मी को देखते हुए सिविल सर्जन डा. राजेश कुमार ने कहा कि जिले वासी कोशिश करें कि धूप एवं गर्मी से बचने के लिए छोटे-छोटे बच्चे सुबह 10 बजे के बाद अनावश्यक घर से बाहर नहीं निकलने दें
किशनगंज, 04 मई (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, गर्मी बढ़ने के साथ दिमागी बुखार का खतरा भी बढ़ जाता है। इसे देखते हुए जिला स्वास्थ्य विभाग सतर्क हो गया है। स्वास्थ्य विभाग दिमागी बुखार को रोकने के लिए बच्चों को जेई वैक्सीनेशन लगा कर आवश्यक उपाय करने पर विशेष पहल पर जुट गई है। जिले में चिलचिलाती धूप एवं बढ़ती गर्मी को देखते हुए सिविल सर्जन डा. राजेश कुमार ने कहा कि जिले वासी कोशिश करें कि धूप एवं गर्मी से बचने के लिए छोटे-छोटे बच्चे सुबह 10 बजे के बाद अनावश्यक घर से बाहर नहीं निकलने दें। बच्चों से लेकर सभी लोग अधिक से अधिक पानी का प्रयोग करें। उन्होंने कहा कि सभी स्वास्थ्य संस्थान के अलावा टीकाकरण साइट पर प्रयाप्त मात्रा में ओआरएस घोल सुलभ कराने का निर्देश दिया गया है। सिविल सर्जन डा. राजेश कुमार ने कहा कि बच्चों को रात में बिना खाना खाए सोने नहीं दें। चमकी बुखार से बचाव के लिए बच्चे को रात में सोने से पहले भरपेट खाना जरूर खिलाएं और उस भोजन में पीठा पदार्थ शामिल करें। रात में व सुबह उठते ही देखें कि कहीं बच्चा बेहोशी या चमकी की लक्षण होने पर बच्चे को गर्म कपड़ों में न लपेटें। बच्चे की नाक बंद नहीं करें। बेहोशी की अवस्था में बच्चे को मुंह से कुछ भी न दें। बच्चे की गर्दन झुकी हुई नहीं रखें। इलाज में ओझा-गुणी में समय नष्ट न करें। मरीज के बिस्तर पर ना बैठें तथा मरीज को बिना वजह तंज न करें। मरीज के पास शोर न हो और शांत वातावरण बनाये रखें तथा तुरंत आशा कार्यकर्ता को सूचित कर नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र ले जाएं। जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डा. देवेंद्र कुमार ने बताया कि दिमागी (चमकी) बुखार से बचाव के लिए 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को जेई वैक्सीनेशन दिया जाता है। पहला डोज 9 माह की उम्र में तथा दूसरा डोज का वैक्सीन 16 से 24 माह के बीच दिया जाता है। किसी कारणवश अगर 2 वर्ष के उम्र तक बच्चे को जेई का वैक्सीनेशन नही किया गया है तो 2 वर्ष से अधिक उम्र में जेई वैक्सीन का सिर्फ एक डोज दिया जाता है।सिविल सर्जन डा. राजेश कुमार ने बताया कि दिमागी बुखार से बचाव के लिए बच्चों को तेज धूप से बचाना, बच्चों को दिन में दो बार स्नान कराना, गर्मी में बच्चों को ओआरएस-नींबू-पानी-चीनी का घोल पिलाना व रात में बच्चों को भरपेट खाना खिलाकर ही सुलाना है। उन्होंने कहा कि तेज बुखार होने पर पूरे शरीर को ताजे पानी से पोछें एवं पंखे से हवा करें, ताकि बुखार 100 डिग्री से कम हो सके। पारासिटामोल की गोली या सीरप मरीज को चिकित्सीय सलाह पर दें। अगर बच्चा बेहोश नहीं है तब साफ एवं पीने योग्य पानी में ओआरएस का घोल बनाकर पिलाएं।जिला वैक्टर जनित रोग पदाधिकारी शिशु रोग विशेषज्ञ डा. मंजर आलम ने कहा कि दिमागी बुखार के लक्षणों में सरदर्द व तेज बुखार, अर्द्धचेतना एवं मरीज में पहचाने की क्षमता नहीं होना, भ्रम की स्थिति में होना, बच्चे का बेहोश हो जाना, शरीर में चकमी होना तथा हाथ-पैर में थरथराहट होना, पूरे शरीर या किसी खास अंग या हाथ-पैर का अकड़ जाना तथा बच्चे का शारीरिक एवं मानसिक संतुलन ठीक नहीं होना। इनमें से कोई भी लक्षण दिखने पर अविलम्ब अपने गांव की आशा या एएनएम से सम्पर्क कर निकटतम स्वास्थ्य केन्द्र पर जाकर चिकित्सीय परामर्श लें।