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अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस पर 100 वाँ दिवस के रूप में मनाया जयनगर भाकपा- माले

सुरेश कुमार गुप्ता-बढ़ती बेरोजगारी एवं छंटनी, मजदूरी में भीषण गिरावट, निजीकरण, गुलामी के श्रम कोडों और दमनकारी मोदी राज के खिलाफ संघर्ष तेज करने तथा 2024 के आम चुनावों में विनाशकारी मोदी शासन को उखाड़ फेकने का आवाह्न ~भूषण सिंह

जयनगर, भाकपा-माले जयनगर के द्वारा देवधा मे अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस पर 100 वाँ दिवस के रूप में कॉ. रशीद अंसारी के नेतृत्व में आयोजित किया गया।
स्थल आयोजित सभा को संबोधित करते हुए प्रखंड सचिव भूषण सिंह ने कहा कि इस वर्ष, भारत में हम 100वां मई दिवस मना रहे हैं. 1886 में शिकागो, अमरीका के श्रमिकों के बलिदान के 37 वर्षों के बाद, भारत में पहला मई दिवस 1923 को चेन्नई के मरीना बीच पर कॉमरेड सिंगारवेलर द्वारा मई दिवस का झंडा फहरा कर मनाया गया था.
मई दिवस 8 घंटे के कार्य दिवस और साथ ही अन्य तमाम अधिकारों को हासिल करने के लिए मजदूर वर्ग के बलिदान के दिन को चिह्नित करता है. 1 मई पूरी दुनिया के मजदूर वर्ग का दिन बन गया है. लेकिन, आज हम ऐसी स्थिति में मई दिवस मना रहे हैं, जब श्रमिकों के जुझारू संघर्षों और कुर्बानियों से हासिल अधिकारों को उलटा जा रहा है. और इसलिए, मजदूर वर्ग आज सबसे कठिन चुनौतियों का सामना कर रहा है. असल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 1 अप्रैल से लागू करके गुलामी के 4 श्रम कोड मई दिवस 2023 के लिए ‘‘उपहार‘‘ स्वरूप, देना चाहते थे. लेकिन, निरंतर जारी विरोध और खासकर अब 2024 में लोकसभा के आगामी आम चुनावों के मद्देनजर, मेहनतकशों और ट्रेड यूनियनों के चैतरफा विरोध के डर से इन कोडों के अमल को फिलहाल स्थगित कर दिया गया लगता है.
मोदी शासन भारत की आजादी (1947) के बाद से अब तक का सबसे विनाशकारी शासन साबित हुआ है – मेहनतकशों के जीवन, आजीविका और अधिकारों के मामले में, देश की संपत्ति व संसाधनों, लोकतंत्र और संविधान तथा हमारे समाज के धर्मनिरपेक्ष तानेबाने और इंद्रधनुषी विविधता के लिए. मोदी के 9 साल के शासन के बाद, आज देश के मजदूर, किसान समेत समस्त मेहनतकश अवाम तबाह है.
मोदी के 9 साल के शासन की पहचान के रूप में जो सामने आया, वो है – रिकॉर्ड-तोड़ बेरोजगारी और महंगाई के साथ-साथ डूबती अर्थव्यवस्था, बड़े पैमाने पर छंटनी और वेतन में कटौती, तालाबंदी और बंदी, घटती मजदूरी और कमजोर होती सामाजिक सुरक्षा, भयानक रूप से बढ़ती गरीबी, भूख और असमानता, अंधाधुध ठेकाकरण जिससे सेना को भी बख्शा नहीं गया (अग्निपथ योजना के माध्यम से), निजीकरण और देश की संपत्ति को बेचना.
मोदी का ‘विजन 2047’यानी सपना है कि पूरे मजदूर वर्ग को मालिकों के लिये गुलामों की फौज में बदल डाला जाए.
श्रम कोड कानूनों के आधिकारिक तौर पर लागू होने से पहले ही सभी भाजपा शासित राज्यों ने इनके विभिन्न पहलुओं को लागू करना शुरू कर दिया है, जिसमें 12 घंटे का काम, महिलाओं के लिये रात की पाली में काम, निश्चित अवधि का रोजगार (एफटीई), 300 श्रमिकों की संख्या की सीमा लागू कर हर श्रम कानून के दायरे से उद्योगों के विशाल बहुमत को हटाना, आदि शामिल हैं. यहां तक कि गैर-भाजपा शासित राज्य भी इससे अछूते नहीं हैं। सभा को रशीद अंसारी तैयब नईम नजाम ईसा राईन अबूल राईन बेचन कामत मनोज कुमार राजदेव राम विजय राय रामशरण राम सहित अन्य लोगों ने भाग लिया।

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