*जयप्रकाश नारायण को ‘लोकनायक’ के नाम से भी जाना जाता है*।।…

जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 11 अक्टूबर :: भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, राजनेता और समाज-सेवक थे जयप्रकाश नारायण। उन्हें ‘लोकनायक’ के नाम से भी जाना जाता है। इन्हें मरणोपरान्त 1999 में भारत रत्न से सम्मनित किया गया था। उन्हें समाज सेवा के लिए 1965 में मैगससे पुरस्कार भी प्रदान किया गया था। पटना के हवाई अड्डे का नाम जय प्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा’ इन्हीं के नाम पर रखा गया है। भारत सरकार ने इनके नाम परअस्पताल का नाम भी ‘लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल’ रखा है।
जयप्रकाश नारायण (जेपी) का जन्म 11अक्टूबर,1902 को बिहार के सिताबदियारा में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री ‘देवकी बाबू’ और माता का नाम ‘फूलरानी देवी’ थीं।प्यार से इनकी माताजी इन्हें ‘बऊल जी’ कहती थीं। 1920 में जयप्रकाश का विवाह ‘प्रभावती’ नामक लड़की से हुआ। प्रभावती स्वभाव से अत्यन्त मृदुल थीं। उन्होंने एम.ए.(समाजशास्त्र) उत्तीण किया था। उनकी जेल यात्रा 7 मार्च, 1940 को ब्रिटिश पुलिस द्वारा, हज़ारी बाग़ जेल में क़ैद कर रखा गया था। उसके बाद फिर आगरा सेन्ट्रल जेल में भी रखा गया था।
अन्य जानकारी जयप्रकाश जी का जयप्रकाश नारायण राजनीतिज्ञ और सिद्धांतवादी नेता थे। उन्होंने देश की सराहनीय सेवा की थी। लोकनायक जयप्रकाश नारायण त्याग एवं बलिदान की प्रतिमूर्ति थे। इसलिये कहा गया है कि–’होनहार वीरवान के होत चीकने पात’। विचार के पक्के और बुद्धि के सुलझे हुए व्यक्ति थे। जयप्रकाश नारायण ने देश को अन्धकार से प्रकाश की ओर लाने का सच्चा प्रयास किया, जिसमें वह पूरी तरह से सफल रहे थे। लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने भारतीय जनमानस पर अपना अमिट छाप छोड़ी थी। उनकी समाजवाद का नारा आज भी गूँज रहा है। समाजवाद का सम्बन्ध न केवल उनके राजनीतिक जीवन से था, अपितु यह उनके सम्पूर्ण जीवन में समाया हुआ था।
जयप्रकाश नारायण का विचार व नारा ‘सम्पूर्ण क्रान्ति’ था, जिसका आह्वान उन्होने इंदिरा गांधी की सत्ता को उखाड़ फेकने के लिये किया था। सम्पूर्ण क्रांति में सात क्रांतियाँ शामिल थी – राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, बौद्धिक, शैक्षणिक और आध्यात्मिक क्रांति। इन सातों क्रांतियों को मिलाकर सम्पूर्ण क्रान्ति बनी थी।
जयप्रकाश नारायण ने पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में संपूर्ण क्रांति का आहवान किया था। उस समय गांधी मैदान में लाखों की संख्या में उपस्थित लोगों ने जात-पात, तिलक, दहेज और भेद-भाव छोड़ने का संकल्प भी लिया था और गांधी मैदान में ही हजारों-हजार की संख्या में लोगों ने अपने-अपने जनेऊ तोड़ दिये थे। पूरा गांधी मैदान में “जात-पात तोड़ दो, तिलक-दहेज छोड़ दो” का नारा गूंजा था। जिससे समाज के प्रवाह को नयी दिशा मिली थी। सम्पूर्ण क्रांति की तपिश इतनी भयानक थी कि केन्द्र में कांग्रेस पार्टी को सत्ता से हाथ धोना पड़ा था। जय प्रकाश नारायण की हुंकार पर नौजवानों का जत्था सड़कों पर निकल पड़ा था। बिहार से उठी सम्पूर्ण क्रांति की चिंगारी देश के कोने-कोने में आग बनकर भड़क उठी थी। जेपी के नाम से मशहूर जयप्रकाश नारायण घर-घर में क्रांति का पर्याय बन चुके थे। उस समय में लालू प्रसाद, नीतीश कुमार, स्व0 रामविलास पासवान और सुशील कुमार मोदी जैसे सारे नेता छात्र युवा संघर्ष वाहिनी का हिस्सा थे।
जयप्रकाश नारायण का निधन 08 अक्टूबर, 1979 को बिहार के पटना स्थित चरखा समिति आवास पर हुई थी।
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