जन औषधि : जनता की फार्मेसी।..

लेखक- केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया
त्रिलोकी नाथ प्रसाद:-5 जुलाई, 2016 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने मुझे रसायन और उर्वरक मंत्रालय में राज्य मंत्री के रूप में ज़िम्मेदारी दी। उस समय मैं प्रधानमंत्री जी से मिलने गया और कहा की मुझे किस विषय पर कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा की कांग्रेस के समय की ऐसी एक मृत योजना है, जो ग़रीबो को अत्यधिक लाभ दे सकती है उस योजना को दोबारा से जीवित करना है, और वह है ‘जन औषधि’। इसके बाद मैंने इस योजना पर कार्य करना शुरू किया।
सरकार द्वारा चलाई गई कोई योजना एक आम जन को किस प्रकार से प्रभावित करती है, उनके जीवन में क्या सकारात्मक बदलाव लाती है, वह जानने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी जनता के साथ संवाद करते रहते हैं। वैसे ही एक संवाद मे उन्होंने उत्तराखंड की दीपा साह से बात की, दीपा साह ने उन्हे बताया की उसे पैरालायसिस हो गया था और उनके पति भी दिव्यांग है, उनकी दवाइयाँ बहुत महँगी आती थी, जीवन-यापन करना बड़ा मुश्किल हो गया था। लेकिन जन औषधि परियोजना ने स्थिति को बदल दिया। पहले दवाइयों का खर्च 12,000 से अधिक होता था लेकिन जब उन्होंने जनऔषधि केंद्र से दवाई लेना शुरू किया तो उनका ख़र्च घटकर 1,500 हो गया, बचे हुए पैसों से वो अपना अन्य काम करती हैं। उन्होंने कहा की ‘मोदी जी मैंने ईश्वर को तो नहीं देखा, लेकिन आपको ईश्वर के रूप में देखा है’ आपको बहुत-बहुत धन्यवाद’, यह सुनकर स्वयं प्रधानमंत्री जी भी भावुक हो गये थे।
आज के समय में जनता को ऐसी बीमारियों ने घेर रखा है जिनकी दवाइयाँ उन्हे जीवन भर लेनी पड़ती हैं, और उनपर काफी खर्च भी आता है, जैसे मधुमेह, ब्लड प्रेशर, कलस्ट्रोल इत्यादि। जन औषधि केंद्रों पर इन सब की दवाइयाँ बाजार दाम से लगभग 50 से 90 प्रतिशत सस्ते दामों पर उपलब्ध हैं। इससे उनका काफी जेब खर्च बचा है। इसके कारण पूरे देश भर के नागरिकों की 20.000 करोड़ की बचत हुई है। आज जब 5वां जनऔषधि दिवस मनाया जा रहा है, तब इस योजना की सफलता के पिछले सरकार की जनसेवा के प्रति प्रतिबद्धता, मेहनत और लगन को इस लेख के माध्यम से आपके सामने रखना चाहूँगा।
सबसे पहले तो इस प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना को सरकारी ना रखते हुए देश में एक बिजनेस मॉडल के तौर पर शुरू किया गया, जिसके तहत जनऔषधि केंद्रों को रिटेल केंद्र के तौर पर खोले जाने की शुरूआत हुई। जन औषधि केंद्र कोई भी व्यक्ति, फार्मासिस्ट, उद्यमी, एनजीओ, ट्रस्ट, सोसाइटी, इंस्टीटयूशन इत्यादि, जिनके पास 120 वर्ग फूट की दुकान हो एवं एक प्रशिक्षित फार्मासिस्ट उनके पास हो, जन औषधि केंद्र खोल सकता है। जन औषधि केंद्र संचालक को सरकार की तरफ से 5 लाख रूपये तक की सहायता राशि दी जाती है, जो कि मासिक बिक्री पर आधारित होती है। यह राशि प्रति माह अधिकतम 15 हजार रूपये तक ही हो सकती है। महिला उद्यमी, दिव्यांग, सेवानिवृत सैनिक, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति, नार्थ ईस्टर्न स्टेट्स, पर्वतीय क्षेत्रों के आवेदकों को 2 लाख रूपये की वित्तीय सहायता उनको केंद्र तैयार करने के लिए अलग से दी जाती है, साथ ही दवाई उत्पादों की बिक्री करने के लिए एक सॉफ्टवेयर भी दिया जाता है। इस प्रकार यह केंद्र देश मे एक बिसजेस मॉडल के रूप मे स्थापित हुए और रोज़गार का भी एक बड़ा साधन बनें।
जैसे-जैसे इस योजना का विस्तार हुआ, यह योजना देश के कौने-कौने मे आम आदमी तक पहुचने लगी। 2014 में देश में केवल 80 केंद्र इस योजना के तहत कार्यरत थे जिसकी संख्या आज बढ़कर 9000 से अधिक हो गई है। यानी केवल पिछले 8 वर्षों में 100 गुणा से ज़्यादा। हमने हर वर्ष इस योजना के लिए एक लक्ष्य निर्धारित किया और उस पर कार्य किया। 2014-2015 में जन औषधि केंद्रों पर होने वाली बिक्री 12 करोड़ के लगभग थी, वह आज बढ़कर लगभग 1200 करोड़ पहुँच गई है। इससे लोगों की बचत तो हुई ही, उनका खर्च भी कम हुआ। जनता के जन औषधि केंद्रों के प्रति बढ़ते रुझान और माँग, एवं उनकी सुविधा को देखते हुए हमनें केंद्रों पर मिलने वाले उत्पादों की संख्या भी बढ़ायी। 2014-15 में केंद्रों पर जहां केवल 300 उत्पाद मिलते थे आज उनकी संख्या बढ़कर 2039 हो गई है। इसके साथ मैं आपका ध्यान एक और बिंदु पर लेकर जाना चाहूँगा। केंद्रों पर ना केवल दवाइयाँ मिलती है, बल्कि अन्य सर्जिकल उत्पाद भी इस पर उपलब्ध है। देश भर में जब 9,000 से अधिक जनऔषधि केंद्र खुले तो इस बात का ध्यान भी रखा गया की इनपर होने वाली आपूर्ति में कोई बाधा ना आये। सप्लाई चैन को सुलभ बनाए रखने के लिए हमनें वेयरहाउस की संख्या में बढ़ोतरी की। 2014-2015 में जहां देश में केवल 1 ही वेयरहाउस था आज देश में 4 वेयरहाउस हैं। यहाँ मिलने वाली जेनरिक दवाइयाँ बाज़ार से कम दाम पर मिलती है वो भी लगभग 50%-90% सस्ती। कैंसर जैसी बीमारी की महँगी दवाई उदाहरण के तौर पर डोसेटेक्सल जो बाज़ार में 9,828 रुपये में मिलती है वह जनौषधि केंद्र पर मात्र 18,00 रुपये में मिल जाती है यानी की 82% सस्ती। यह भारत के आम नागरिक के लिए एक बहुत बड़ी बात है।
यह एक ऐसी योजना है जिसने देश के आम जनमानस के जीवन को सीधा प्रभावित किया है, लाखों जीवन को बचाया है, मैं यह कह सकता हूँ की यह योजना समुद्र मंथन से निकले उस अमृत के सम्मान है जिसने देश के लाखों लोगों के जीवन को सँवारा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी एक बात मेरे और मेरे अधिकारियों के लिए एक स्पष्ट दिशा-निर्देश बन गई की देश का कोई भी ग़रीब व्यक्ति, उसकी जान, दवाई की कीमत और किल्लत की वजह से नहीं जानी चाहिए। यह सुनिश्चित करते हुए हमने महिला स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखा है। प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना ने महिलाओं के सशक्तिकरण और उनके उत्तम स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाई है। मुझे यह बताते हुए गर्व है की जन औषधि केंद्रों पर सुविधा सैनेट्री पेड मात्र 1 रुपये में उपलब्ध करवाया जाता है। इसने साभी महिलाओं की बड़ी परेशानी को हल किया है। जन औषधि केंद्रों के माध्यम से अब तक लगभग 34 करोड़ से अधिक सुविधा सैनेट्री पेड विक्रय किए जा चुके हैं। महिलाओं के सम्मान और सुरक्षा के प्रति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी सरकार हमेशा प्रतिबद्ध रही है, यह उसी का एक उदाहरण है।
प्रधानमंत्री जन औषधि परियोजना मात्र एक योजना नहीं यह ग़रीब व मध्यम वर्ग का एक ऐसा मित्र बनकर उभरा है जो बुरे वक़्त में हमेशा काम आता है। इसकी सफलता को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व मे सरकार भविष्य में भी इसके विस्तार को लेकर प्रतिबद्ध है। भारत के 140 करोड़ नागरिकों को इस योजना का लाभ मिले इसके लिए भविष्य में हमनें इनकी संख्या 15,000 तक पहुँचाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। ग्रामीण में क्षेत्रों 1 लाख जनसंख्या पर 1 केंद्र व शहरी क्षेत्रों में 1 लाख जनसंख्या पर 2 केंद्र स्थापित किए जाएँगे। अगले 5 वर्षों में केंद्रों पर मिलने वाले उत्पादों की संख्या को बढ़ाकर 2500 तक किया जाएगा। सप्लाई चैन को और अधिक मज़बूत करने और माँग की पूर्ति करने के लिए अगले 10 वर्षों में वेयरहाउस की संख्या 10 तक ले जाने का भी लक्ष्य रखा गया है।
यह सभी प्रयास ‘अंत्योदय’ की भावना और इस योजना का देश के प्रत्येक नागरिक को शत-प्रतिशत लाभ मिले उसको देखकर किए जा रहे हैं। हमारी सरकार की सोच राजनैतिक दृष्टि से नहीं चलती, बल्कि समाज को उसका क्या लाभ होगा उसको लेकर चलती है। इस अमृत काल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने भारत के अगले 25 साल का विजन रखा है, जिसमें हम सभी को आने वाली पीढ़ी के लिए एक स्वस्थ और सशक्त भारत का निर्माण करना है। यह योजना भी उसी विजन का एक छोटा सा हिस्सा है। जो भारत के आम नागरिक को सशक्त करने में बड़ी भूमिका निभा रही है। आइये जन-जन के लिए बनी जनता की फार्मसी यानि मोदी जी की दवाई की दुकान से लोगों को परिचित करवाने का संकल्प लें और ‘सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय’ की हमारी संस्कृति के वाहक बनें।