नीतीश कैबिनेट में जमा खान फिर शामिल — अल्पसंख्यक प्रतिनिधित्व का मजबूत संकेत

पटना,20नवंबर(के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, एनडीए की प्रचंड जीत के बाद नीतीश कुमार ने 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उनके नए मंत्रिमंडल में 26 मंत्रियों ने शपथ ली है, जिनमें बीजेपी और जेडीयू के साथ सहयोगी दलों का संतुलित प्रतिनिधित्व दिखता है। इस बीच सबसे बढ़कर जो चेहरा चर्चा में है, वह है कैमूर की चैनपुर सीट से विधायक मोहम्मद जमा खान—नई सरकार के इकलौते मुस्लिम मंत्री।
जमा खान : उन क्षेत्रों के प्रभारी जो 90% हिंदू मतदाता वाले हैं
जमा खान को इस बार संगठन ने किशनगंज समेत कई ऐसे इलाकों का प्रभारी बनाया है, जहां लगभग 90 प्रतिशत मतदाता हिंदू समुदाय से हैं। यह नियुक्ति दिखाती है कि पार्टी उन्हें सिर्फ अल्पसंख्यक नेता के रूप में नहीं, बल्कि क्षेत्रीय सामाजिक संतुलन संभालने वाले अनुभवी प्रशासक के तौर पर सामने लाना चाहती है।
जमा खान की जीत और राजनीतिक सफर
जमा खान ने चैनपुर से आरजेडी प्रत्याशी बृज किशोर बिंद को 8362 वोटों से हराकर सत्ता की राह बनाई। 2020 में वे बसपा के टिकट पर पहली बार विधायक बने थे और 2021 में जेडीयू में शामिल होते ही अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री बनाए गए।
इस बार भी उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल कर जेडीयू ने स्पष्ट संदेश दिया है कि वे अल्पसंख्यक समाज के भरोसेमंद चेहरा हैं और संगठनात्मक दृष्टि से महत्वपूर्ण।
एक अनोखी सामाजिक पृष्ठभूमि
जमा खान का परिवार कभी हिंदू राजपूत था, बाद में इस्लाम स्वीकार किया, लेकिन आज भी परिवार में दोनों धर्मों की परंपराओं का मेल दिखता है। यही वजह है कि वे दो समुदायों के बीच पुल की तरह माने जाते हैं और चैनपुर सहित आसपास के क्षेत्रों में उनका मजबूत जनाधार है।
राजनीति में संघर्ष से लेकर पहचान तक
- 2005 में बसपा से राजनीति शुरू
- तीन बड़े चुनावी हार
- 2020 में पहली जीत और प्रदेश राजनीति में उभरती पहचान
- 2021 में जेडीयू जॉइन करते ही मंत्री पद
- 2025 में दोबारा मंत्री बनकर और मजबूत भूमिकाओं की ओर
जमा खान की कहानी बताती है कि लगातार संघर्ष और जमीनी राजनीति कैसे किसी नेता को राज्य की सत्ता के केंद्र तक पहुंचा सकती है।
संपत्ति और आर्थिक स्थिति
जमा खान की कुल घोषित संपत्ति करीब 1.57 करोड़ रुपये है। इनमें कृषि भूमि, पुश्तैनी संपत्ति और बैंक बैलेंस शामिल है। उन पर 16.8 लाख रुपये का कर्ज भी है। उनकी आर्थिक प्रोफाइल यह दर्शाती है कि वे बड़े कारोबारी घरानों जैसे संसाधन-संपन्न नेता नहीं हैं, बल्कि मध्यम वर्गीय ग्रामीण पृष्ठभूमि से उभरकर राज्य की सत्ता में महत्वपूर्ण स्थान तक पहुंचे हैं।
अल्पसंख्यक समाज में पकड़ मजबूत करने का संदेश
जेडीयू ने इस मंत्रिमंडल में जहां अनुभवी चेहरों—विजय चौधरी, अशोक चौधरी, श्रवण कुमार—को दोबारा मौका दिया, वहीं जमा खान की पुनर्वापसी इस बात का संकेत है कि पार्टी अल्पसंख्यक समुदाय तक अपनी पहुंच और भरोसा दोनों बढ़ाना चाहती है।
नई सरकार में जमा खान की भूमिका, खासकर उन क्षेत्रों में जहां जातीय-सामाजिक संतुलन बेहद संवेदनशील है, आने वाले दिनों की राजनीति में अहम स्थान तय करेगी।



