हैहयवंशी कसेरा ,ठठेरा ,ताम्रकार इत्यादि जातियों मे पुरानी संस्कृति को बदलने पर आमादा ….

धिकत्तर अभिवाहक /बुर्जुग लोकल मे ढुंढ रहे है दामाद
👉सरकारी नौकरी वाले दामादो की हो रही खोजबीन के चक्कर मे लडकियो के बढ रही अधिक उम्र
👉समाज मे अशिक्षित कम पढे लिखे दलाल किस्म के दोगले चलाने पर मजबूर है सामाजिक दोगलीपंथी ठिकेदारी
👉 आखिर समाज को किस मोड पर ले जाने की हो रही तैयारी
👉एक अलग समुदाय के संस्कृति अपनाने पर अमादा है समाज
👉 पूर्वांचल मे सबसे अधिक है अशिक्षा जिस से दुर -दराज के नही करने को तैयार है रिश्ता
👉चाट छोले कुलचे ढेलों पर बेचने वाले यूटबर उठाते है रिश्तों को जोडने का कार्य ।
उमेश कुमार कसेरा-उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल के कई जगहों पर हैहयवंशी कसेरा ,ठठेरा ,ताम्रकार ,तमेरा कसारा इत्यादि समाज मे आजकल अधिकत्तर रिश्तों की जोडने की बात को लेकर एक दुसरे की खोजबीन मे सरकारी नौकरी वाले लडकों का डिमाड दिन प्रतिदिन बढता जा रहा है जब कि सच्चाई यह है की समाज मे सरकारी नौकरी बहुत कम मात्र के हुवे है अब नये पीढी जाबं की तैयारी मे है
हर लडकी के अभिवाहक व बुर्जुग सरकारी नौकरी के चक्कर मे कई जगह सर्च करने मे लडकियो के उम्र शादी के उम्र से अधिक पार कर दे रहे है जिस से लडकियों को शादी मे बहुत दिक्कत का सामना करना पड रहा है कुछ जगहों से जैेसे अलीगढ़
अयोध्याफैज़ाबाद ,आगरा ,अंबेडकरनगर
आजमगढ़ ,अमेठी ,अमरोहा ,औरैया बिजनौर ,भदोही यानी- संत रविदास नगर
बदायूं ,बाराबंकी ,बस्ती ,बरेली ,बहराइच
बागपत ,बुलंदशहर ,बांदा ,चित्रकूट ,चंदौली
इटावा ,एटा ,फर्रुखाबाद ,फतेहपुर
फिरोजाबाद ,गाजियाबाद
गौतम बुद्ध नगर
गाजीपुर ,हाथरस ,हमीरपुर ,हरदोई ,हापुड़ जौनपुर ,जालौन ,झांसी ,कानपुर देहात
कानपूर नगर ,कन्नौज ,कौशांबी
कासगंज ,लखीमपुर खेरी ,लखनऊ ,ललितपुर ,मुज़फ्फरनगर
महोबा ,मिर्जापुर ,मुरादाबाद ,मेरठ
महाराजगंज ,मथुरा ,मैनपुरी
प्रयागराज यानी- इलाहाबाद पीलीभीत
प्रतापगढ़ ,रायबरेली ,रामपुर ,सोनभद्र,
शामली ,सहारनपुर ,सम्भल ,सुल्तानपुर
सीतापुर ,संत कबीर नगर ,सिद्धार्थ नगर
शाहजहाँपुर ,श्रावस्ती ,उन्नाव
वाराणसी इत्यादी जगहों से एक दुसरे जगह रिश्ता करने मे संकोच कर रहे है सभी अपनी लोकल मे रिश्ता ढुढ रहे है यही हाल बिहार मे भी है कई लोग तो जाति छिपा दे रहे है और पुराने बुर्जुगो को कुछ सुझ नही रहा है पुजा कसेरा का कहना है कि ये बुर्जुगों की लापरवाही से समाज मे लडकिया भागने पर मजबूर है जब कि नैना बताती है कि ये सिनियर सिटिजन क्या निर्णय लेते है बेटी की कमाई का धन से दहेज इकट्ठा करना है जिस से बेटी की उम्र बढ जाती है ममता कुमारी का मानना है की बेटी पढाओ का चक्कर मे युवा बच्चो को तो हमारा समाज किनारा कर दिया जिस से बेटी तो पढ कर आगे बढ रही है लेकिन बेटा पीछे हो जा रहा है जबकि सरकार को बेटा -बेटी दोनो पढाओ और साथ काबिल बनाओ का नारा देना चाहिए ।गुडिया बताती है आजकल लडकियों लायक लडके नही मिल पा रहे है और लडकियों के लिए अभिवाहक सरकारी जांब वाला खोज रहे है जब लडको को नही ही पढाया जायेगा तो नौकरी कहां से मिलेगी रसड़ा (बलिया) से सिमरन कहती है की लडकियो को ज्यादा पढाने से क्या फायदा ?जब छोरा लायक छोरी न मिले ।समाज मे खामिया बहुत है लोकल की रट्ट लगाये बुर्जुग आज आसानी से रिश्ता कर लेगे
लेकिन लोकल मे रिश्ता करने से आने वाले समय मे एक अलग समुदाय की संस्कृति का जन्म होगा जिस से युवाओ को भविष्य मे रिश्ता करने मे शर्मशार होना पडेगा । यूपी का मिर्जापुर एक ऐसा पढे लिखे बेवकूफ किस्म के अशिक्षितों का जिला है जहां पर चाट छोले वाले यूटबर नाम व शोहरत के चक्कर मे रिश्तो की जोडने के लिए दलाली का कारोबार करते है भोली -भाली गरीब जनता के घरो मे मदद करने के वजाय रिश्ता कराने के नाम पर दलाली वसूल करते है । कई जगहों पर रिश्तों के ग्रुप बनाकर वाटसप ,टेलीग्राम पर खुब धड्डले से बायोडाटा का कारोबार फल -फूल रहा है यही नही गुगल के प्ले स्टोर पर एप्स डालकर भी बायोडाटा का कारोबार किया जा रहा है रिश्तो के जोडने के नाम पर समाज मे कई तरह के सयंत्र रचा जा रहा है फिर भी समाज मे लडकियों की उम्र बढती जा रही है जिसे बहुत ही शर्म की बात है और समाज के ठिकेदार इसे समझाने की जगह झूठी दिलासे के ताने -बाने मे फसा कर उलझाये पडे है । कुछ सवाल कुशीनगर के अशोक जी कसेरा से बातचीत हुई जिस मे उन्होने समाज के कई पहलू की सच्चाई को उजागर करते हुवे बताया कि “हर लडकी के अभिवाहक बायोडाटा आदान -प्रदान करने पर सही जवाब नही दे पा रहे है वो कहते है सोच -विचार कर बतायेगे और परिवार मे पूछ कर बताते है इसके चक्कर मे लम्बे दिनो तक कुछ जवाब नही देते है और लडके के अभिवाहक उनके जवाब के इतजार मे काफी दिनो तक इतजार करता है ।जब जवाब की मागं होती है तो बहाना बनाकर नकार दिया जाता है बहुत दुर है ।इस तरह समाज मे चालीस पैंतीस पार कर चुका /चुकी उम्र की दहलीज पर युवा वर्ग आखिर इन अनपढ व पुराने बुर्जुगों के चक्कर मे अपनी जिन्दगी को किस्मत का दोष दे या अभिवाहकों का ?उम्र के बढती दहलीज पार कर चुके युवा वर्ग अब एक दुसरे के साथ
निर्णय लेने पर है हो जाते स्वतंत्र देखना है समाज मे क्या बदलाव होगा ?समाज क्या अपना रूप मे परिवर्तन करेगा या समाज के ठिकेदारो के अन्दर परिवर्तन होगा ये आने वाले समय बतायेगा ।
✍️उमेश कुमार कसेरा