किशनगंज : कोविड के नए वैरिएंट के खतरे के बीच किशनगंज में मॉक ड्रिल, स्वास्थ्य तंत्र की मजबूती का हुआ गहन परीक्षण
सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी की निगरानी में व्यवस्थाओं की समीक्षा, चिकित्सा पदाधिकारियों ने निभाई सक्रिय भागीदारी

किशनगंज,04 जून(के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, कोविड-19 के दो नए वैरिएंट — LF-7 और NB-1.8.1 — के संभावित खतरे को देखते हुए किशनगंज में बुधवार को ज़िला स्तरीय मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया। इस अभ्यास का उद्देश्य जिले के स्वास्थ्य ढांचे की तैयारियों का आकलन करना, संसाधनों की उपलब्धता की समीक्षा करना और चिकित्सा स्टाफ की तत्परता को परखना था।
इस मॉक ड्रिल का संचालन सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी के नेतृत्व में सदर अस्पताल, किशनगंज में किया गया। इस अवसर पर डॉ. मुनाजिम (जिला कार्यक्रम प्रबंधक) और डॉ. अनवर हुसैन (उपाधीक्षक, सदर अस्पताल) समेत सभी विभागों के चिकित्सा पदाधिकारी उपस्थित रहे।
WHO की निगरानी सूची में शामिल LF-7 और NB-1.8.1, सजगता ही सुरक्षा की कुंजी
डॉ. चौधरी ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इन दोनों वैरिएंट्स को “वैरिएंट अंडर मॉनिटरिंग” श्रेणी में रखा है। इनकी संक्रमण दर और लक्षणों की तीव्रता को देखते हुए विशेषज्ञ समुदाय सतर्क है। ऐसे में समयबद्ध जांच, संसाधनों की उपलब्धता और सही जानकारी का प्रसार अत्यंत आवश्यक है।
सरकार के निर्देशों के अनुरूप गहन मूल्यांकन
डॉ. चौधरी ने बताया कि मॉक ड्रिल राज्य सरकार के निर्देशानुसार की गई, जिसमें निम्न बिंदुओं पर विशेष ध्यान दिया गया:
- ऑक्सीजन युक्त आइसोलेशन वार्ड: कम से कम 5 बेड की सुविधा, ऑक्सीजन आपूर्ति सुनिश्चित
- जीवन रक्षक दवाएं और ऑक्सीजन कंसंट्रेटर: गंभीर मरीजों के इलाज हेतु उपलब्धता
- सुरक्षा किट और हाइजीन: PPE, मास्क, सैनिटाइज़र की पर्याप्त व्यवस्था
- RT-PCR और VTM किट्स: जांच केंद्रों की तैयारी
- कोविड अनुरूप व्यवहार: मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग, हैंड हाइजीन पर सख्ती
- IDSP/IHIP पोर्टल पर रिपोर्टिंग: सभी गतिविधियों की ऑनलाइन निगरानी
सदर अस्पताल में मॉक केस के ज़रिए परखा गया सिस्टम
मॉक ड्रिल के दौरान एक काल्पनिक कोविड मरीज को अस्पताल में लाकर उसकी स्क्रीनिंग, आइसोलेशन, इलाज, रेफरल और स्टाफ की प्रतिक्रिया को मूल्यांकित किया गया। इमरजेंसी, वार्ड, लैब, फार्मेसी और प्रशासनिक इकाइयों के बीच समन्वय की भी जांच की गई। सिविल सर्जन ने वार्डों और लैब का भौतिक निरीक्षण कर आवश्यक सुधारों के निर्देश दिए।
प्रखंड स्तर तक फैली कवायद
यह मॉक ड्रिल सिर्फ जिला मुख्यालय तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसे CHC, PHC और HSC स्तर तक विस्तारित किया गया। सभी उपस्वास्थ्य केंद्रों को IHIP पोर्टल पर पी-फॉर्म भरने के निर्देश दिए गए। निगरानी टीमों ने ग्रामीण क्षेत्रों का भी दौरा किया।
मॉक ड्रिल नहीं, बचाव की नींव: सिविल सर्जन
कार्यक्रम के समापन पर डॉ. चौधरी ने कहा, “यह मॉक ड्रिल केवल एक अभ्यास नहीं, बल्कि किसी भी आपदा से पहले की तैयारी है। हमें सजग रहना होगा, क्योंकि कोविड का खतरा पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है।” उन्होंने सभी चिकित्सा कर्मियों को 24×7 सतर्क रहने, संसाधनों की नियमित जांच करने और आवश्यकता अनुसार राज्य स्तर पर सूचनाएं देने का निर्देश दिया।