किशनगंज : 23 जुलाई से 22 सितंबर तक जिले में संचालित होगा सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा
जिले में पांच वर्ष से कम उम्र के 4 लाख घरों में ओआरएस पैकेट का किया जाएगा वितरण: सिविल सर्जन

किशनगंज, 16 जुलाई (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, शिशु मृत्यु का एक बड़ा कारण दस्त है। बरसात के समय में बच्चों में डायरिया यानि दस्त होने की शिकायत अधिक मिलती है। इस मौसम में घरों के आसपास पानी जमने से वायरल, बैक्टीरियल और पैरासिटिक इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। शिशुओं में डायरिया का होना खतरनाक है। विश्व स्वास्थ्स संगठन के मुताबिक एक से 59 माह के बीच के बच्चों की मौत का तीसरा बड़ी वजह डायरिया है। सालाना पांच वर्ष से कम उम्र के चार लाख से अधिक बच्चों की मौत डायरिया की वजह से होती है। डायरिया की रोकथाम और इलाज दोनों किया जा सकता है। सुरक्षित पेयजल और पर्याप्त साफ-सफाई से डायरिया को रोका जा सकता है। पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में डायरिया का एक प्रमुख कारण कुपोषण भी है। इसे देखते हुए जिले में 23 जुलाई से 22 सितंबर तक सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा का आयोजन किया जायेगा। साथ ही दस्त के कारण शिशु मृत्यु व इसकी रोकथाम के बारे में आमजन को जानकारी दी जायेगी। विदित हो कि जिलाधिकारी तुषार सिंगला की अध्यक्षता में सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा (आईडीसीएफ) कार्यक्रम के तहत जिला स्तरीय समन्वय कमिटी की बैठक का आयोजन मंगलवार को किया गया। जिसमे जिले के जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डा. देवेन्द्र कुमार, सीडीओ, एनसीडीओ, डीपीएम, डीपीसी, डीसीएम, डीडीए एवं सहयोगी संस्था के पदाधिकारी उपस्थित रहे। सिविल सर्जन डा. राजेश कुमार ने कहा कि जिले की आशा कार्यकर्ताओं के द्वारा लगभग 4 लाख घरों में एक-एक ओआरएस पैकेट का वितरण किया जाएगा। वहीं पखवाड़ा के दौरान कोई भी बच्चा दस्त से पीड़ित पाया जाता है तो उन बच्चों को जिंक की 14 गोली और दो ओआरएस पैकेट देने के साथ ही इसके प्रयोग को लेकर जागरूक भी किया जाएगा। क्योंकि जून महीने में दस्त की शिकायत सबसे अधिक बच्चों में रहती है। जिस कारण सघन दस्त पखवाड़ा के रूप में मनाया जाता है। हालांकि नियमित रूप से ओआरएस पैकेट और जिंक की गोली का वितरण किया जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि इसकी निगरानी एवं अनुश्रवण किया जा रहा है। इन सभी घरों में ओआरएस का पैकेट पहुंचाने के उद्देश्य से राज्य सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा संयुक्त रूप से सघन दस्त पखवाड़े का आयोजन किया गया है। ताकि दस्त से किसी भी बच्चे की मृत्यु नहीं हो। इसके लिए सतत प्रयास करना होगा। जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डा. देवेंद्र कुमार ने बताया कि दस्त नियंत्रण पखवाड़ा के दौरान सभी पांच वर्ष से कम तथा पांच वर्ष तक के बच्चों को लक्षित किया गया है। अभियान के तहत स्वास्थ्य उपकेंद्र, अतिसंवेदनशील क्षेत्र शहरी झुग्गी, झोपड़ी, निर्माण कार्य में लगे मजदूरों के परिवार, ईंट भट्ठे क्षेत्र, अनाथालय तथा ऐसे चिह्नित क्षेत्र जहां दो तीन वर्ष पूर्व तक दस्त के मामले अधिक संख्या में पाये गये हों, छोटे गांव व टोले जहां साफ सफाई व पानी की आपूर्ति एवं स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी हो आदि को प्राथमिकता वाले क्षेत्र में रखा गया है। इस पूरे कार्यक्रम के लिए जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी को नोडल पदाधिकारी बनाया गया है। दस्त से ग्रसित बच्चों के उपचार के लिए जिंक टेबलेट दिया जाता है। अभियान के दौरान माताओं व अभिभावकों में डायरिया से बचाव और डायरिया प्रबंधन के संबंध में जागरूकता लायी जायेगी। शिशुओं में डायरिया की रोकथाम के लिए चलाये जाने वाले इस अभियान में विभिन्न विभागों के साथ समन्वय स्थापित कर उनकी सहभागिता सुनिश्चित की जानी है। अभियान में स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग, समाज कल्याण विभाग और ग्रामीण विकास विभाग की अहम भूमिका होगी।
डीडीए सुमन सिंह ने बताया कि आशा को पांच वर्ष तक के उम्र के बच्चों की सूची बनाने के लिए निर्देशित किया गया है। पांच वर्ष से कम उम्र वाले बच्चों के घरों में प्रति बच्चा एक-एक ओआरएस पैकेट का वितरण करना है। आशा द्वारा परिवार के सदस्यों को ओआरएस के घोल बनाने एवं इसके उपयोग की विधि तथा इसके लाभ के बारे में बताना है। सिविल सर्जन डा. राजेश कुमार ने बताया कि दस्त के दौरान और दस्त के बाद भी आयु के अनुसार स्तनपान, ऊपरी आहार और भोजन जारी रखा जाना चाहिए। पीने के लिए साफ और सुरक्षित पेयजल का उपयोग करें। खाना बनाने और खाना खाने से पूर्व और बच्चे का मल साफ करने के उपरांत साबुन से हाथ धोना जरूरी है। दस्त को रोकने के लिए शौचालय का उपयोग करें। खुले में शौच नहीं जायें।