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सरकारी जमीन पर बसे गरीबों को उजाड़ने के बजाए वासगीत का पर्चा दे सरकार: भाकपा

कुणाल कुमार/भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने बिहार सरकार द्वारा विशेष भूमि सर्वेक्षण को लेकर भ्रम को दूर करने के दावे को झूठ का पुलिंदा करार दिया है। किसी गरीब का खाता नहीं खुला है। पार्टी ने कई सवाल खड़े किए हैं। राज्य सरकार भूमि सर्वेक्षण के नाम पर भूमिहीनों को उजाड़ने के बजाए उसे मालिकाना हक दिलाने की गारंटी करे। सरकार की जमीन पर बसे लोगों को वासगीत का पर्चा दिया जाए।भूदान के पर्चाधारियों को जमीन।पर कब्जा दिलाया जाए।भाकपा ने भूमि सर्वेक्षण कार्य को सरल बनाने, ऑन लाइन रजिस्टर टू व जमाबंदी को दुरुस्त करने, सभी पर्चाधारियों के नाम पर खाता व जमाबंदी खोलने और बटाईदारों को मालिकाना हक देने की मांग की है।

भाकपा राज्य सचिव रामनरेश पाण्डेय ने कहा कि रजिस्टर टू और जमाबंदी का कम्प्यूटरीकृत नहीं किया गया है। अभी भी ऑन लाइन रजिस्टर टू और जमाबन्दी में कई विसंगतियां है। रजिस्टर टू में रैयत के नाम और पिता के नाम में भी त्रुटि है। इसे दुरुस्त किया जाय। जमाबन्दी में खेसरा नम्बर नहीं चढ़ा है। रजिस्टर टू और जमाबंदी को दुरुस्त किया जाय।

हदबंदी से फाजिल जमीन रखने वाले भू स्वामी, गैर मजरुआ आम, गैर मजरुआ खास और गैर मजरुआ मालिक जमीन पर जो सुयोग्य श्रेणी के भूमिहीन जो वर्षों से जोत रहे हैं या बसे हुए हैं, उन्हें मालिकाना हक दिया जाए। उन्होंने कहा कि पूरे राज्य से सूचना मिल रही है कि दाखिल -खारिज में परेशान किया जाता है। राजस्व कर्मचारी से मुलाकात नहीं होती है,उनका एजेंट बात करता है। माल गुजारी की रसीद में जमाबंदी संख्या गलत लिखा जाता है या नहीं लिखा जाता है। पिता का नाम गलत लिखा जाता है। परिमार्जन के लिए आनलाइन आवेदन करने पर कोई जबाब नहीं दिया जाता है। आनलाइन एक दिखावा है। बिचौलियों से मिले कोई कार्य नहीं होता है। राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री अपनी पीठ थपथपाते रहें।

भाकपा राज्य सचिव ने कहा कि विभिन्न प्रकार की जमीन पर गरीब 50 वर्षों से बस हुआ हैं। वैसे भूमिहीन जो जिस किस्म की जमीन पर वर्षों से बसा हुआ है, उन्हें उस जमीन का मालिकाना हक दिया जाय और उसके नाम से खाता खोला जाय। भू-हदबंदी से फाजिल जमीन पर जिन बटाईदारों को बटाई का पर्चा मिला हुआ है, उसके नाम पर उक्त भूमि का खाता खोला जाय।

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