किशनगंज : एनसीसी कैडेट्स को दी गई फाइलेरिया की जानकारी
फाइलेरिया से सुरक्षा के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा हर साल चलाया जाता है सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम
किशनगंज, 04 फरवरी (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, फाइलेरिया एक संक्रामक बीमारी है, जो क्यूलेक्स मादा मच्छरों के काटने से होता है। इससे सुरक्षा के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले के बाल मंदिर विद्यालय परिसर में रविवार को उपस्थित एनसीसी केडेट के बीच जागरूकता अभियान चलाया गया। आयोजित कैम्प में सभी एनसीसी कैडेट्स को फाइलेरिया पहचान के लक्षण एवं सुरक्षित रहने के लिए आवश्यक जानकारी के प्रति जागरूक किया गया। कार्यक्रम में जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यालय के भीबीडी सलाहकार अविनाश राय के द्वारा सभी को जागरूक किया गया। आयोजित कैम्प में सभी एनसीसी कैडेट्स को भीबीडी सलाहकार अविनाश राय ने बताया गया कि फाइलेरिया बीमारी संक्रमित क्यूलेक्स मादा मच्छर द्वारा सामान्य व्यक्ति को काटने से होने वाला एक संक्रामक रोग है जिसे आम भाषा में हाथीपांव भी कहा जाता है। फाइलेरिया से ग्रसित व्यक्ति के पैरों व हाथों में सूजन हो जाता है। कुछ फाइलेरिया ग्रसित लोगों के अंडकोश में भी सूजन हो जाती जो फाइलेरिया ग्रसित होने के लक्षण में शामिल हैं। व्यक्ति किसी भी उम्र में फाइलेरिया से संक्रमित हो सकते हैं। किसी भी व्यक्ति को संक्रमण होने के पश्चात 05 से 15 वर्ष का समय लग सकता है। इसके शुरुआत में ही अगर संक्रमित व्यक्ति द्वारा एमडीए की दवा का सेवन किया गया तो वह इस बीमारी से सुरक्षित हो सकते हैं। अविनाश राय ने सभी कैडेट्स को बताया गया कि फाइलेरिया जैसी संक्रामक बीमारियों से सुरक्षा के लिए सभी लोगों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा घर-घर जाकर दवाइयां खिलाई जाती हैं। जिसे सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम (एमडीए) कार्यक्रम कहा जाता है। इस कार्यक्रम के द्वारा क्षेत्र की आशा कर्मियों व आंगनबाड़ी सेविकाओं द्वारा लोगों को घर-घर जाकर दवा खिलाई जाती है। एमडीए कार्यक्रम के दौरान स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा लोगों को डीईसी, अल्बेंडाजोल व आइवरर्मेक्टिन की दवाइयां खिलाई जाती हैं। सभी दवाइयां 02 साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर बीमारियों से ग्रसित बच्चों के अलावा अन्य सभी लोगों को उम्र के अनुसार निश्चित मात्रा में खिलाया जाता है। सभी लोगों को डी.ई.सी. एवं अल्बेंडाजोल की गोलियां उम्र के अनुसार तथा आइवरर्मेक्टिन की गोलियाँ ऊँचाई के आधार पर खिलाई जाती है। प्रभारी सिविल सर्जन डा. मंजर आलम ने बताया की फाइलेरिया बीमारी विशेष रूप से परजीवी क्यूलेक्स फैंटीगंस मादा मच्छर के काटने से होने वाला रोग है जिसे ग्रामीण क्षेत्रों में मानसुनिया मच्छर भी कहा जात। जब यह मच्छर किसी फाइलेरिया से ग्रस्त व्यक्ति को काटता तो उनके शरीर से फाइलेरिया विषाणु उठाकर किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को काटने पर उनके शरीर में डाल देता है। इससे फाइलेरिया के विषाणु रक्त के जरिए उसके शरीर में प्रवेश कर उसे भी फाइलेरिया से ग्रसित कर देता। फाइलेरिया को खत्म करने के लिए कोई विशेष इलाज नहीं है लेकिन जागरूक रहकर बचाव करने से इसे नियंत्रित रखा जा सकता। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया न सिर्फ व्यक्ति को विकलांग बनाता बल्कि इससे मरीज की मानसिक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। अगर समय रहते फाइलेरिया की पहचान कर ली जाए तो जल्द ही इसका इलाज शुरू कर इसे नियंत्रित रखा जा सकता है।