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भारत जल सप्ताह– 2022 – पंकज कुमार

त्रिलोकी नाथ प्रसाद:-सचिव, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग,जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग, जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार 1-5 नवंबर 2022 के दौरान राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली के निकट स्थित ग्रेटर नोएडा के इंडिया एक्सपो सेंटर में 7वें भारत जल सप्ताह– 2022 (आईडब्ल्यूडब्ल्यू-2022) का आयोजन कर रहा है। यह वर्ष 2012 में अपनी शुरुआत से लेकर अब तक का लगातार सातवां आयोजन होगा।
जीवन के सभी पहलुओं में जल की महत्वपूर्ण भूमिका को ध्यान में रखते हुए और इसके साथ ही अर्थव्यवस्था का विकास सुनिश्चित करने के लिए जल संसाधन मंत्रालय ने वर्ष 2011 में यह निर्णय लिया कि भारत जल सप्ताह (आईडब्ल्यूडब्ल्यू), जो कि एक बहु-विषयक फोरम है, को मंत्रालय के एक प्रमुख आयोजन के रूप में शुरू किया जा सकता है। इस तरह से सार्थक विचार-विमर्श करने और बहुमूल्य सिफारिशें एवं कार्रवाई बिंदु तैयार करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय प्लेिटफॉर्म का मार्ग प्रशस्त हुआ।
भारत जल सप्ताह कार्यक्रम को अभिनव विचारों और समाधानों के लिए एक ‘ज्ञान केंद्र’ के रूप में तैयार किया गया है। इसका उद्देश्य जल संसाधनों के अधिकतम सटीक प्रबंधन के लिए समस्तै प्रतिभागियों के बीच विचार-विमर्श और विचारों के आदान-प्रदान को बढ़ावा देना है।
भारत जल सप्ताह दरअसल नीति-निर्माताओं, जल प्रबंधकों, प्रोफेशनलों, शिक्षाविदों और समाज के विभिन्न वर्गों के उपयोगकर्ता समूहों सहित विभिन्न हितधारकों के लिए एक फोरम प्रदान करता है, जहां जल से संबंधित सभी मुद्दों पर चर्चा की जाती है और जल सुरक्षा से जुड़ी चुनौतियों का स्थायी समाधान करने के लिए विभिन्नप उपायों की रूपरेखा तैयार की जाती है।
पहला कार्यक्रम वर्ष 2012 में नई दिल्ली में आयोजित किया गया था, जिसका विषय ‘जल, ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा: समाधान के लिए आह्वान’ था। इसके बाद वर्ष 2013, 2015, 2016, 2017 एवं 2019 में पांच और कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिस दौरान कुशल जल प्रबंधन, सतत विकास के लिए जल प्रबंधन, जल सहयोग, जल और ऊर्जा जैसे जल संबंधी विभिन्न पहलुओं को शामिल किया गया। इन कार्यक्रमों में जल संसाधन के विकास और प्रबंधन से संबंधित प्रमुख मुद्दों को शामिल किया गया और इस तरह से जल संसाधन से जुड़े समुदाय को उन्हें सुलझाने के लिए व्यावहारिक रणनीतियां बनाने का अवसर प्रदान किया गया। इन समस्त् आयोजनों को दुनिया भर के जल संसाधन समुदाय की ओर से उत्साहजनक समर्थन मिला है।
संयुक्त राष्ट्र विश्व जल विकास रिपोर्ट 2021 बताती है कि दुनिया में ताजे पानी की वार्षिक निकासी कई गुना बढ़ गई है। निकासी की यह मात्रा वर्ष 1900 में 500 बीसीएम थी, जो अब बढ़कर 4,000 बीसीएम से अधिक हो गई है। इस रिपोर्ट में एक अध्ययन का हवाला दिया गया है जिसमें कहा गया है कि पानी की गंभीर कमी का सामना करने वाली वैश्विक आबादी, जो वर्ष 1900 में 32 मिलियन थी, वह 2050 तक बढ़कर 3.1 बिलियन हो जाएगी। यह तथ्य जल संसाधनों के स्थायी प्रबंधन और उनकी समान पहुंच की जरूरत को सामने लाता है।
सातवें भारत जल सप्ताह का आयोजन “समानता के साथ सतत विकास के लिए जल सुरक्षा” विषय के साथ किया जा रहा है, जिसमें निम्नलिखित तीन उप-योजनाओं के साथ जल सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं और समान विकास से संबंधित चुनौतियों पर ध्यान केन्द्रित किया गया है:
i) “जल सुरक्षा के पहलू और उनका प्रभाव”;
ii) “जल सहयोग के माध्यम से पानी की बढ़ती मांग की चुनौतियों का समाधान”;
iii) “जल प्रशासन- नीतियां, कार्य योजना और संस्थान”।
भारत जल सप्ताह- 2022 में विभिन्न कार्यक्रम होंगे, जिनमें सेमिनार, पैनल परिचर्चा और विशेष सत्र शामिल होंगे, जो विभिन्न हितधारकों विशेष रूप से राज्य सरकारों, केंद्र सरकार के संबंधित मंत्रालयों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, भागीदार देशों और संबंधित संस्थानों एवं देश के गैर-सरकारी संगठनों के सहयोग से आयोजित किए जाएंगे। आईडब्ल्यूडब्ल्यू के तहत इस थीम का समर्थन करने वाली एक प्रदर्शनी का भी आयोजन किया जाएगा, जिसमें जल सुरक्षा से संबंधित विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्ध प्रौद्योगिकियों, नवीनतम विकासक्रम तथा समाधानों को प्रदर्शित किया जायेगा। प्रदर्शनी लगभग 3,500 वर्ग मीटर के क्षेत्र में आयोजित की जाएगी और यह ग्रेटर नोएडा के इंडिया एक्सपो सेंटर में आईडब्ल्यूडब्ल्यू-2022 के निकट स्थित होगी। कार्यक्रमों में भारत और विदेशों से लगभग 2,000 विशेषज्ञों के भाग लेने की उम्मीद है।
भारत की राष्ट्रपति इस कार्यक्रम का उद्घाटन करेंगी और उनकी गरिमामयी उपस्थिति, जल क्षेत्र में उभरती चुनौतियों का समाधान करने के प्रयासों को एक मंच पर लाने में प्रेरणा और प्रोत्साहन प्रदान करेगी।
जल के सन्दर्भ में सुरक्षित भविष्य के लिए हम सभी को एक साथ आना होगा। इस सम्मेलन के सत्रों में हुए विचार-विमर्श और इस मेगा आयोजन के दौरान ज्ञान का प्रसार, हमें स्थायी रूप से जल संसाधन के विकास के मार्ग पर आगे ले जाएगा।
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