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गर्भवती महिलाओं में बढ़ रही डायबिटीज की चुनौती, समय पर जांच और सतर्कता जरूरी : किशनगंज स्वास्थ्य विभाग

किशनगंज,01 जुलाई(के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, तेजी से बदलती जीवनशैली और खान-पान की आदतों ने डायबिटीज को एक आम लेकिन गंभीर बीमारी बना दिया है। यह अब केवल बुजुर्गों या पुरुषों तक सीमित नहीं रही, बल्कि किशोरों, युवाओं और खासकर गर्भवती महिलाओं के लिए भी यह एक बड़ी चुनौती बनकर उभर रही है। इसी कड़ी में स्वास्थ्य विभाग किशनगंज की ओर से जेस्टेशनल डायबिटीज को लेकर जागरूकता बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है।

जेस्टेशनल डायबिटीज : मां और शिशु दोनों के लिए खतरा

सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान होने वाली जेस्टेशनल डायबिटीज एक विशेष अवस्था है, जिसमें शरीर में ग्लूकोज का स्तर असामान्य रूप से बढ़ जाता है। इससे न केवल गर्भवती महिला के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, बल्कि शिशु के जन्म के समय कई जटिलताएं पैदा हो सकती हैं — जैसे समयपूर्व प्रसव, जन्मजात विकृति या नवजात की मृत्यु तक का खतरा।

गर्भावस्था में डायबिटीज के तीन रूप

महिला चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. शबनम यास्मीन ने बताया कि गर्भवती महिलाओं में डायबिटीज के तीन प्रमुख रूप देखे जाते हैं — टाइप-1, टाइप-2 और जेस्टेशनल डायबिटीज। जेस्टेशनल डायबिटीज उन महिलाओं को प्रभावित करती है जो गर्भावस्था से पहले डायबिटिक नहीं होतीं। हालांकि प्रसव के बाद यह सामान्य हो जाती है, लेकिन भविष्य में टाइप-2 डायबिटीज के जोखिम को बढ़ा देती है।

मां और शिशु की सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव

गैर संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. उर्मिला कुमारी ने बताया कि गर्भावस्था में डायबिटीज का उभरना मां और शिशु दोनों के लिए जोखिमपूर्ण है। इससे गर्भपात, शिशु की जन्म के समय मृत्यु, भविष्य में मोटापा और मधुमेह जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं। उन्होंने अपील की कि महिलाएं नजदीकी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर जाकर समय-समय पर निःशुल्क जांच कराएं।

स्वस्थ जीवनशैली से करें नियंत्रण

सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. अनवर हुसैन ने बताया कि डायबिटीज का नियंत्रण संतुलित खान-पान और नियमित व्यायाम से संभव है। उन्होंने महिलाओं को सलाह दी कि:

  • गर्भधारण से पहले डायबिटीज नियंत्रित कर लें।
  • भोजन में हरी सब्जियां, फल और फाइबर युक्त चीजें लें।
  • मीठे खाद्य पदार्थों से परहेज करें और खूब पानी पिएं।
  • हल्की फिजिकल एक्टिविटी जैसे वॉक, योग करें।
  • नियमित ब्लड शुगर जांच कराएं।

स्वस्थ मां से ही बनेगा स्वस्थ राष्ट्र

डॉ. उर्मिला कुमारी ने कहा कि जेस्टेशनल डायबिटीज एक मौन शत्रु की तरह है, जिसकी पहचान तभी संभव है जब महिलाएं समय रहते सजग हों। यह समस्या न केवल एक व्यक्ति की, बल्कि समाज की जिम्मेदारी है। उन्होंने सभी गर्भवती महिलाओं से अपील की कि वे अपने स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रहें, डॉक्टर की सलाह का पालन करें और जीवनशैली में सकारात्मक परिवर्तन लाएं।

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