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विद्यार्थी और आचार्य साधक की भूमिका में रहें:-शंभूनाथ शर्मा

ऋषिकेश पाण्डेय/भारती शिक्षा समिति, बिहार के तत्वावधान में आयोजित द्विदिवसीय निरीक्षण का कार्यक्रम के तहत आज सरस्वती विद्या मंदिर, शास्त्री नगर, पटना का निरीक्षण कार्य पांच सदस्यीय टोली के द्वारा प्रारंभ हुआ जिसमें विद्या भारती योजना के पूर्व प्रधानाचार्य रहे श्री शंभू नाथ शर्मा के संयोजकत्व में विनोद कुमार सहित अन्य सदस्यों के द्वारा प्रथम दिवस का निरीक्षण कार्य का विधिवत उद्घाटन दीप प्रज्वलन व पुष्पार्चन कर किया गया। वंदना के पश्चात निरीक्षणकार्ताओं का परिचय प्रधानाचार्य राकेश कुमार मिश्र के द्वारा कराया गया जबकि सम्मान अंगवस्त्र देकर विद्यालय परिवार द्वारा किया गया।
इस अवसर पर अपने संबोधन में निरीक्षण टोली द्वारा कहा गया कि विद्यार्थी को कैसा होना चाहिये । विद्यार्थी को हमेशा साधक के रूप में होना चाहिये और साधक का अर्थ क्या है? तपना, तपने का अर्थ ये नही है कि आग के सामने तपते रहना । तपस्या का मूल अर्थ यह है कि आप मनसा, वाचा और कर्मणा से युक्त हो।। ऐसे कर्म में तथ्यचित होकर लगे रहे । ऐसे कार्यो को करने में संलग्न रहे जो कार्य आपको तेजस्वी एवं यशस्वी बनाये क्योंकि साधना से मनुष्य ब्रह्म को प्राप्त करता है । देवता, विद्वानों और गुरुजनों का अध्ययन करना चाहिए । ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिये।मन में किसी भी प्रकार का नकारात्मक भाव नहीं आना चाहिए। अपने मुख से हमेशा प्रिय वचन बोलें अप्रिय का चिंतन भी नहीं होना चाहिए। हम सबको कुछ समय के लिए मौनावस्था में भी रहना चाहिएं।
विद्यालय निरीक्षण के क्रम में मातृशक्ति के साथ -साथ आचार्य भारती के साथ चर्चा वार्ता हुई। निरीक्षणकर्ता ने बैठक लेकर उनकी कमियों एवं उत्कृष्टता पर प्रकाश डाला । निरीक्षण के क्रम में निरीक्षक स्वच्छता, शिक्षा और बुनियादी ढांचे पर नियमों के पालन का आकलन करने के लिए विभिन्न तरीकों का इस्तेमाल करते हैं। ‌‌दृश्य निरीक्षण: निरीक्षक विद्यालय परिसर, कक्षाओं, प्रयोगशालाओं, शौचालय, खेल के मैदान और अन्य सुविधाओं सहित दृश्य परीक्षण के माध्यम से संचालन करते हैं। वे इन क्षेत्रों की स्वच्छता, संगठन और समग्र स्थिति का निरीक्षण करते हैं।
दस्तावेज़ समीक्षा: निरीक्षक विद्यालय नीतियों, पाठ्यक्रम सामग्री, उपस्थिति रिकॉर्ड, सुरक्षा प्रोटोकॉल, रखरखाव और स्वास्थ्य और सुरक्षा रिपोर्ट जैसे दस्तावेज़ों की समीक्षा करते हैं। इससे उन्हें नियमों और नीतियों आकलन करने में मदद मिलती है। साक्षात्कार: निरीक्षक प्रथाओं, नीतियों और समग्र सीखने के माहौल के बारे में जानकारी इकट्ठा करने के लिए विद्यालय प्रशासकों, आचार्य परिवार,कर्मचारियों के सदस्यों और छात्रों के साथ साक्षात्कार आयोजित कर सकते हैं। ये साक्षात्कार विद्यालय के संचालन और प्रभावशीलता में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं।अंत में प्रधानाचार्य राकेश कुमार मिश्र द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ प्रथम दिवस का समूह निरीक्षण कार्यक्रम उत्साहपूर्ण वातावरण में संपन्न हुआ।

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