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ठाकुरगंज : विद्यालय में छात्रा से छेड़छाड़ का मामला थाने तक पहुंचा, फिर ‘समझौता’ ? – असामाजिक तत्वों के बढ़ते मनोबल पर उठे सवाल

क्या थाने में ‘समझौता’ कर देने भर से मामले की गंभीरता खत्म हो जाती है?

किशनगंज,28मई(के.स.)। धर्मेंद्र सिंह/फरीद अहमद, ठाकुरगंज प्रखंड के नगर पंचायत पौआखाली स्थित उच्च विद्यालय में पढ़ने वाली नौवीं कक्षा की छात्रा के साथ 27 मई को कक्षा के अंदर घुसकर कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा छेड़छाड़ किए जाने का गंभीर मामला सामने आया है।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, जब एक छात्र ने इसका विरोध किया तो आरोपितों ने उसके साथ मारपीट भी की। घटना के बाद स्कूल परिसर में तनाव का माहौल बन गया, लेकिन स्कूल प्रशासन और पुलिस की तत्परता की स्थिति को लेकर कई सवाल खड़े हो गए हैं।

प्रधानाध्यापक का मौन और प्रशासन की निष्क्रियता?

विद्यालय के प्रधानाध्यापक नईम अख्तर रब्बानी ने मौके पर पहुंचकर असामाजिक तत्वों को फटकार लगाई। पुलिस को किसी ने सूचना दी, जिसके बाद एक आरोपी को हिरासत में लिया गया।

पीड़िता द्वारा थाने में आवेदन दिया गया, जिसकी पुष्टि पौआखाली थानाध्यक्ष आशुतोष कुमार मिश्र ने की। उन्होंने बताया कि आवेदन स्पष्ट नहीं है, इसलिए पीड़ित परिवार को पुनः बुलाया जा रहा है। बाद में थाने से यह जानकारी भी आई कि समझौते के लिए एक नया आवेदन भी प्रस्तुत किया गया है।

समझौता या दबाव में फैसला?

स्थानीय लोगों में इस घटनाक्रम को लेकर नाराजगी है। उनका कहना है कि “अगर ऐसे मामलों में समझौते होते रहे तो असामाजिक तत्वों का मनोबल और बढ़ेगा।” इस घटना के बाद विद्यालय की छात्राओं में भय का माहौल है।

विद्यालय प्रशासन की चुप्पी पर उठे सवाल

स्कूल प्रबंधन द्वारा अब तक किसी भी प्रकार की लिखित कार्रवाई नहीं की गई है, न ही थाना को कोई आधिकारिक शिकायत भेजी गई है। इस पर सवाल उठ रहे हैं कि क्या स्कूल परिसर में घुसकर किसी छात्रा से छेड़खानी होने के बावजूद प्रशासन मौन रहेगा? जब इस संबंध में प्रधानाध्यापक से दूरभाष पर संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि “विद्यालय की ओर से कोई लिखित शिकायत नहीं दी गई है।”

प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी से संपर्क विफल

घटना पर जवाब लेने के लिए प्रभारी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, ठाकुरगंज से संपर्क का प्रयास किया गया, लेकिन उनसे बात नहीं हो सकी।

सवाल बाकी हैं…

  • क्या अब स्कूल में भी छात्राएं सुरक्षित नहीं रहीं?
  • क्या थाने में ‘समझौता’ कर देने भर से मामले की गंभीरता खत्म हो जाती है?
  • क्या स्कूल प्रशासन की चुप्पी लापरवाही नहीं, सहमति का संकेत है?

अब ज़रूरत है सख़्त और पारदर्शी कार्रवाई की, ताकि स्कूलों में पढ़ने वाली बेटियां सुरक्षित महसूस कर सकें।

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