पश्चिमी चंपारण-रामनगर प्रखंड के मनचंगवा में मनरेगा योजना में मस्टरोल में बन रही मजदूरों की फर्जी हाजरी।
इस खेल में मनरेगा कार्यालय से लेकर रोजगार सेवक की अहम भूमिका।

डी एन शुक्ला ।पश्चिमी चंपारण जिले में मजदूरों को रोजगार की गारंटी देने वाली केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी मनरेगा योजना को मुखिया, पंचायत समिति सदस्य,मनरेगा पीओ, पंचायत रोजगार सेवक एवं पदाधिकारीओ के लिए कामधेनु गाय साबित हो रही हैं। इस योजना में भ्रष्टाचार रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है यूँ कहे भ्रष्टाचार चरम पर है, साथ ही रोज़गार गारंटी योजना के नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।मामला पश्चिमी चंपारण जिले के रामनगर प्रखंड के ग्राम पंचायत मनचंगवा का है।हम आपको बता दे की रामनगर प्रखंड के ग्राम पंचायत राज मनचंगवा के ग्राम गोबरधना वार्ड 08 मे जुडी पानी दो मुहान से डिहवा रुपदेव के खेत तक पोइन सफाई कार्य मस्टर नंबर : 2587,2588,89,90,91,92,93,94,95,96,97,98 है।
इस योजना में एनएमएमएस पर हर रोज 40 से 50 मजदूरों की हाजरी बनाई जा रही है आश्चर्य की बात तो यह है कि बारिश के समय भी हाजिरी बनाई जा रही है लेकिन जब कार्यस्थल पर मुआयना किया गया तो वहां कोई भी मजदूर उपस्थित नही पाया गया।अब सवाल यह उढ़ता है की क्या बरसात के मौसम मे भी पोइन का सफाई होना लाजमी है।इस योजना मे कभी कभी चार पांच लोग आते हैं और फोटो खिंचवा कर चले जाते हैं। और तो और इस फोटो मे चार या पांच आदमी का फोटो जो की हर मस्टर रोल नंबर मे दिखाई देगा जबकि हाजरी मे आधा मर्द तो आधा औरत का बन रहा है। जब इसके बारे मे पंचायत रोजगार सेवक सुनील कुमार से पूछा गया तो इस योजना के बारे मे तो उनका कहना है की बिना काम का हाजरी नहीं बनता।इसके बारे मे मुझे कोई जानकारी नहीं है।और वही एनएमएमएस पर हर रोज एक ही मजदूरों वाली फोटो लगाकर हर रोज 40 से 50मजदूरों की हाजरी बनाई जा रही है। आश्चर्य करने वाली बात तो यह है की 13/07/2024 को दिखाए गए मजदूरों की संख्या 112 दिखाई गई है।वो भी इस बरसात के मौसम मे बिना पानी का पोइन सफाई वो भी सूखा मिटी वाली तस्वीर। इससे स्पष्ट रूप से योजना की विश्वनिता को कटघरे में खड़ा कर रहा है। पंचायत में भी रोजगार देने के नाम पर लूट हो रही है।इससे ज्यादा क्या कहूं। इस योजना को कामधेनु बनाने में सार्थक साबित होता दिख रहा है। अब सवाल यह उठता है कि,सरकार योजना बनाती है,उसे लागू कर राशि आवंटित भी करती है।इन योजनाओं को क्रियान्वयन के लिए विभाग के साथ ही अधिकारी एवं कर्मचारि के साथ एक बड़ी फौज निगरानी के लिए नियुक्त की है। इसके बावजूद अधिकारी इस योजना पर निगरानी करने के वजाय इस योजना का कमाई का एक स्रोत मान बैठे हैं।