किशनगंज : जिले में 75 चिकित्सकों के भरोसे ही 15 लाख की आबादी, महज 01 चिकित्सक पर औसतन 20 हजार लोग इलाज के लिए है निर्भर।

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, जिला में स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करने की कार्रवाई सिर्फ कागज पर ही चल रही है। संसाधन और कर्मियों की कमी के कारण जिला में सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था भगवान भरोसे ही चल रहा है। स्थिति है कि जिले में 75 चिकित्सकों के भरोसे ही करीब 15 लाख की आबादी है। महज एक चिकित्सक पर औसतन 20 हजार लोग इलाज के लिए निर्भर हैं। ऐसे में जिला के लोगों को स्वास्थ्य सुविधा कितनी बेहतर मिल रही होगी इसका अंदाजा आप खुद लगा सकते हैं। कहने को तो ग्रामीण इलाके के लोगों को चिकित्सीय सुविधा मुहैया कराने के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र व उप स्वास्थ्य केंद्र तक की व्यवस्था की गई है। किशनगंज जिला में स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करने की कार्रवाई सिर्फ कागज पर ही चल रही है।
संसाधन और कर्मियों की कमी के कारण जिला में सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था भगवान भरोसे ही चल रहा है। स्थिति है कि जिले में 75 चिकित्सकों के भरोसे ही करीब 15 लाख की आबादी है। महज एक चिकित्सक पर औसतन 20 हजार लोग इलाज के लिए निर्भर हैं। ऐसे में जिला के लोगों को स्वास्थ्य सुविधा कितनी बेहतर मिल रही होगी इसका अंदाजा आप खुद लगा सकते हैं। कहने को तो ग्रामीण इलाके के लोगों को चिकित्सीय सुविधा मुहैया कराने के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र व उप स्वास्थ्य केंद्र तक की व्यवस्था की गई है। कागज पर दुरुस्त दिखने वाली इन केंद्रों की व्यवस्था धरातल पर पूरी तरह से लचर नजर आती है। जिले में बेहतर स्वास्थ्य सेवा के लिए जिला मुख्यालय में एक सदर अस्पताल है, जबकि जिले में दो रेफरल अस्पताल, 03 पीएचसी, 04 सीएचसी, 46 एपीएचसी और 259 उप स्वास्थ्य केंद्र बनाया गया है। जिले में कुल स्वास्थ्य केंद्र 315 होने के बावजूद चिकित्सक मात्र 75 हैं जबकि चिकित्सक की स्वीकृत पद 158 है। स्थिति है कि ग्रामीण क्षेत्रों के मरीजों को गंभीर हालत में ग्रामीण और पंचायतों के स्वास्थ्य केंद्र लाए जाने के बाद मरीजों की मरहम-पट्टी के बाद सीधे रेफर कर दिया जाता है।
महिला चिकित्सक, नर्स व स्वास्थ्य कर्मियों की कमी इस समस्या का भी असली कारण है। इसकी जानकारी स्वास्थ्य महकमे के अधिकारियों को भी है बावजूद स्थिति में सुधार का कोई प्रयास नहीं दिख रहा है। लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा पंचायतों में उपस्वास्थ्य केंद्र स्थापित किए गए हैं। लेकिन इनमें से ज्यादातर उपस्वास्थ्य केंद्र बंद पड़े हैं। आलम यह कि कुछ केंद्रों में तो चिकित्सक और एएनएम भी नदारत हैं। जिला में चिकित्सक, नर्स, पारा मेडिकल सहित स्वास्थ्य कर्मचारियों की स्वीकृत पद 1331 में कार्यरत सिर्फ 602 हैं जबकि 729 पद रिक्त है।