अगर आपकी भक्ति सच्ची है तो भगवान स्वयं आपके द्वार पर आएंगे – पुष्पा देवी
नवेंदु मिश्र
पलामू – सामाजिक समरसता और धार्मिक प्रेरणा की श्रेष्ठ केंद्र बिंदु है माता शबरी।
शबरी जयंती सह भुइयाँ मिलन समारोह के अवसर पर पूर्व सांसद भाजपा नेता मनोज कुमार ने उपर्युक्त बातें कही।
छतरपुर में आयोजित शबरी जयंती सह भुइयाँ मिलन समारोह भव्य तरीके से मनाया गया।
मनोज कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि माता शबरी के जीवन से बहुत कुछ सीखकर हम अपने जीवन को उन्नत बना सकते है।
शिक्षा प्राप्त करने के लिए श्रद्धा का ऐसा मजबूत हथियार का प्रयोग माता शबरी ने किया कि ऋषि मातंग ने अपना सर्वस्व ज्ञान दान कर दिया।
भक्ति, धैर्य और प्रतीक्षा ऐसी की भगवान श्री राम स्वयं उनके घर आये और जूठे बेर खाकर माता शबरी का आतिथ्य स्वीकार किया।
अहिँसा और जीव कल्याण की ऐसी परकाष्ठा की जब माता शबरी को ये पता चला कि उनकी शादी में सैकड़ो पशुओं की बलि होगी तो माता शबरी अपनी शादी से इनकार कर पलायन कर गई।
पूर्व सांसद भाजपा नेता मनोज कुमार ने भुइयाँ समाज को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा बेहद जरूरी है। शिक्षा हमारे विकास और समानता के लिए बेहद जरूरी है।
शिक्षा और राजनीतिक समानता के लिए हम सभी मिलकर संघर्ष करते रहेंगे।
मनोज कुमार ने कहा इस शबरी जयंती के अवसर पर हमे शपथ लेने की जरूरत है कि हम अपने बच्चों को शिक्षित बनाए।
विधायक श्रीमती पुष्पा देवी ने माता शबरी को याद करते हुए कहा की माता शबरी उस नारी शक्ति के प्रतीक है जिनके द्वार पर भगवान राम को स्वयं आना पड़ा था। माता शबरी इस बात की प्रतीक है कि अगर आपकी श्रद्धा सच्ची हो तो भगवान आपके द्वार पर स्वयं आएंगे। माता शबरी से हम सभी को यह सीखने की जरूरत है कि श्रद्धा, शिक्षा, धैर्य, और प्रतीक्षा में बहुत ताकत होती है।
इस मौके पर हजारों लोगों के साथ मीडिया बंधु और कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ मौजूद थी।
विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान हजारों लोगो के बीच शबरी जयंती का कार्यक्रम भव्य तरीके से मनाया गया।
इस मौके पर पलामू के विभिन्न क्षेत्रों से भुइयां समाज के लोगो ने इस कार्यक्रम में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।
मुख्य रूप से शिव कुमार, बिगन भुइयां, रामस्नेही, चनर भुइयां, रामपुकार भुइयां, रामाशीष भुइयां, रौशन भुइयां, जयराम भुइयां, बुधन भुइयां, विसुनघोटी भुइयां, गणेश भुइयां, भागीरथ भुइयां, कुश भुइयां, किसून भुइयां, भदय भुइयां, सुदामा भुइयां, उपेंद्र भुइयां, देवरानी देवी, हरिराम भुइयां, रामजी भुइयां, भागीरथ भुइयां और हजारों की संख्या में भुइयां परिवार मौजूद थे।