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मैं कोयल नदी के पुल का नाम पूरनचंद सेतु करके धन्य हो गई – अरुणा शंकर

नवेंदु मिश्र

मेदिनीनगर – आज एकीकृत बिहार के गांधी कहे जाने वाले पिछड़ों के मसीहा स्वर्गीय पुरनचंद की पुण्यतिथि पर प्रथम महापौर अरुणा शंकर ने मुख्य बाजार एवं चैनपुर मैं लगे स्वर्गीय पुरनचंद की प्रतिमा पर माल्यार्पण करते हुए उनकी यादों में कही स्वर्गीय पुरानचंद जिन्हें पांच बार डाल्टनगंज भंडारिया विधानसभा का प्रतिनिधित्व करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ जिन्हें एकीकृत बिहार में कैबिनेट मंत्री भी रहने का अवसर मिला लेकिन अंतिम समय तक ना वो अपना लिए एक वाहन खरीद सके ना ही एक मकान बना सके इसलिए उनकी पहचान बन गई थी “घसीटा साव का कोठा, धर्मशाला का लोटा और पिंटू होटल का ओटा” श्रीमती शंकर ने कहा उनके काफी नजदीक रहे कयूम रुबाणी चाचाजी ने मुझे बताया था वह इतने लोकप्रिय थे उनका चुनाव का गाना था “बरगद का प्रचार रस्ते रस्ते , पूरण जी का प्यार रस्ते रस्ते “और प्रचार के क्रम वह एक वोट एक नोट मांगा करते थे जो उन्हें मिलता भी था। श्रीमती शंकर ने कहा उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि कोयल पुल था जिसका नामकरण मैंने अपने समय में बोर्ड से पारित कर “पुरनचंद सेतु” कर अपने आप को धन्य समझती हूं। शहर का मुख्य ओवर ब्रिज, पलामू एक्सप्रेस, सोकरा माइंस खुलवाने का भी श्रेय उन्हीं को जाता है उन्होंने उस वक्त भंडारिया जैसे सुदूर गांव में पलामू का पहला रेफरल अस्पताल खुलवाने का श्रेय उनके खाते में है। इस अवसर पर माल्यार्पण करने पूर्व कैबिनेट मिनिस्टर श्री रामचंद्र केसरी स्वर्गीय पुरण चंद के पोते अभिजीत कुमार, पुरनचंद ट्रस्ट के अध्यक्ष महेश प्रसाद, प्रोफेसर युगल किशोर प्रसाद एवं काफी संख्या में लोग उपस्थित थे।

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