किशनगंज : ब्रह्मपुत्र मेल में इंसानियत हुई शर्मसार, मां ने मासूम को सीट पर छोड़ भागी
रेल में सोती बच्ची, स्टेशन पर गायब मां – रेलवे सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल

किशनगंज,09सितम्बर(के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, रेलवे स्टेशन पर मंगलवार को एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई, जिसने मानवता को झकझोर कर रख दिया। 15657 ब्रह्मपुत्र मेल के कोच संख्या 54 में सफर कर रही एक महिला ने अपने एक बच्चे को सीट पर सोता छोड़ दिया और दूसरे बच्चे को लेकर गायब हो गई। यह घटना तब उजागर हुई जब कोच में ही मौजूद एक अन्य महिला यात्री ने महिला को जानबूझकर बच्चे को छोड़ते हुए देखा।
घटना के बाद ट्रेन में अफरातफरी का माहौल बन गया। महिला यात्री ने तुरंत बच्चे की मां को ढूंढने का प्रयास किया, लेकिन वह कहीं नजर नहीं आई। इस बीच किशनगंज के समाजसेवी उत्तम लाल उपाध्याय और उनके परिवार के सदस्यों – उनकी पत्नी, बेटे और बहू – ने बच्ची की मां की तलाश में कोच के भीतर और स्टेशन परिसर में खोजबीन शुरू की।
स्थानीय नागरिक बिरेन दुबे ने ट्रेन गार्ड को इस घटना की जानकारी दी। गार्ड ने वॉकी-टॉकी के माध्यम से रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (RPF) को सूचना दी, लेकिन RPF की ओर से कोई भी कार्रवाई नहीं की गई। इससे पहले से ही व्यथित महिला यात्री को ही बच्ची की देखरेख की जिम्मेदारी छोड़ दी गई।
जानकारी के अनुसार, बच्ची की मां ट्रेन में सवार होकर कूचबिहार जा रही थी। वह ट्रेन रुकते ही दूसरे बच्चे को लेकर उतर गई और लौटकर नहीं आई। बच्ची को अकेला छोड़ दिए जाने के कारण ब्रह्मपुत्र मेल करीब 10 मिनट तक स्टेशन पर रुकी रही। स्टेशन पर मौजूद अन्य यात्री, विशेष रूप से एक बंगाली भाषी महिला, ने भी बच्ची की मां को ढूंढने में सहयोग किया।
हालांकि गार्ड द्वारा बार-बार GRP को सूचना दी जाती रही, लेकिन सरकारी रेलवे पुलिस (GRP) का कोई भी जवान मौके पर नहीं पहुंचा। बच्ची इस दौरान सीट पर गहरी नींद में सोती रही।
सवालों के घेरे में सुरक्षा और सामाजिक व्यवस्था
यह घटना कई गंभीर सवाल खड़े करती है:
- आखिर मां को बच्ची को छोड़ने के लिए क्या मजबूर किया गया?
- क्या यह आर्थिक तंगी या सामाजिक दबाव का परिणाम था?
- रेलवे सुरक्षा बल (RPF) और GRP की इस लापरवाही का जिम्मेदार कौन है?
- अब बच्ची का भविष्य क्या होगा? क्या वह फिर कभी अपने परिवार से मिल पाएगी या किसी संस्था को सौंप दी जाएगी?
समाजसेवी उत्तम लाल उपाध्याय, उनके परिवार तथा बिरेन दुबे जैसे जागरूक नागरिकों के प्रयासों ने जहां इंसानियत की मिसाल पेश की, वहीं रेलवे सुरक्षा व्यवस्था की लचर स्थिति ने एक बार फिर गंभीर चिंता खड़ी कर दी है।
गौर करे कि यह खबर समाज, प्रशासन और रेलवे विभाग के लिए एक चेतावनी है कि यात्रियों की सुरक्षा और विशेष रूप से बच्चों के संरक्षण को लेकर गंभीरता बरती जाए।