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बिहार के समग्र विकास के शिल्पकार हैं माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार: राजीव रंजन प्रसाद

मुकेश कुमार/जद (यू0) के राष्ट्रीय सचिव सह राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार बिहार के समग्र विकास के शिल्पकार हैं। उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के शासनकाल के दौरान विकास के सभी पैमाने पर पिछडे बिहार को वर्तमान समय में विकास की बुलंदियों पर पहुंचाने का श्रेय माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार को जाता है।
पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने बिहार में सड़कों का जाल बिछाया। लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के शासनकाल 2004-05 में जहां पथ निर्माण विभाग का व्यय मात्र 362.174 करोड़ रुपए था, वो वित्तीय वर्ष 2023-24 में 17 गुणा बढ़कर 6403.38 करोड़ हो गया।

राज्य में सड़कों की कुल लंबाई की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान में राज्य में राष्ट्रीय उच्च पथ की लंबाई 6140 किलोमीटर, राज्य उच्च पथ की लंबाई 3638 किलोमीटर एवं वृहद जिला पथ की लंबाई 16 हजार 181 किलोमीटर है। साल 2005 से तुलना करते हुए उन्होंने कहा कि उस समय राज्य उच्च पथ दो लेन की कुल लंबाई मात्र 51.67 किलोमीटर थी जबकि माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के शासनकाल में राज्य उच्च पथ की लंबाई 3638 किलोमीटर में से 2588 किलोमीटर दो लेन, 362 किलोमीटर दो लेन से अधिक हैं एवं शेष 747 किलोमीटर दो लेन से कम है जिसकी दो लेन मानक संरचना में उन्नयन की कार्रवाई प्रगति पर है। उन्होंने कहा कि राज्य में बड़े पैमाने पर उत्कृष्ट सड़कों, पुल-पुलियों, वैकल्पिक मार्गों का निर्माण कराया गया है, जिसके चलते बिहार की आम जनता आज मात्र 5 घंटे में बिहार के किसी कोने से राजधानी पटना पहुंचने में कामयाब हो पा रही है

उन्होंने कहा कि आज ग्रामीण क्षेत्रों में भी सभी जगहों पर बारहमासी सड़कों का जाल बिछाया गया है। गांवों को बारहमासी संपर्कता प्रदान करते हुए इसे मुख्य सड़क से जोड़ने के प्रति माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार सरकार की प्रतिबद्धता का पता इस बात से पता चलता है कि ग्रामीण कार्य विभाग का जो बजट साल 2007-08 में 1389.53 करोड़ रुपए था वो साल 2023-04 में बढ़कर 13,138.69 करोड़ रुपया हो गया। राज्य सरकार के संकल्पों के चलते अबतक कुल 1 लाख 16 हजार 782 किलोमीटर ग्रामीण सड़कों का निर्माण पूरा किया गया है तथा 12 हजार 778 किलोमीटर ग्रामीण सड़कों का कार्य प्रगति पर है।

राज्य में बिजली की उपलब्धता की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि साल 2004-05 में जहां राज्य में बिजली की पीक डिमांड महज 700 मेगवाट थी जो कि अब 7 हजार 576 मेगावाट हो चुकी है। साल 2005 में जहां राजधानी पटना में लोगों को महज 8 घंटे बिजली मिला करती थी वहीं माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के शासनकाल में लोगों को 24 घंटे बिजली मिला करती है। राज्य सरकार की प्रतिबद्धता के चलते बिहार में बिजली व्यवस्था में आमूल चूल परिवर्तन हुआ है ग्रामीण इलाकों में जहां पहले 5-6 घंटे बिजली रहती थी वहीं अब 22-23 घंटे तथा शहरी क्षेत्रों में जहां पहले 10-12 घंटे बिजली रहती थी, वहीं अब 23-24 घंटे बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित हो रही है। इसका परिणाम है कि इसरो द्वारा ली गयी तस्वीर के मुताबिक बिहार में रात्रिकालीन प्रकाश में 474 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है जो देश में सर्वाधिक है।

राज्य में साल 2005 में पावर सब स्टेशनों की संख्या 268 थी, जो अब बढ़कर 1235 हो गयी है। साथ ही ग्रिड सब स्टेशनों की संख्या 45 से बढ़कर 164 हो गयी है। राज्य में संचरण लाइन की कुल लंबाई बढ़कर 19 हजार 527 सर्किट किलोमीटर हो गयी है, जो साल 2005 के मुकाबले लगभग 300 प्रतिशत अधिक है। साल 2005 में संचरण की पावर इवैक्यूएशन क्षमता मात्र 1 हजार मेगावाट थी, आज यह बढ़कर 13 हजार 880 मेगावाट हो गयी है। ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में निर्बाध बिजली उपलब्धता के संकल्पों के तहत आज 24 घंटों के अंदर जले हुए ट्रांसफाॅर्मरों को बदलने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

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