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माननीय उप मुख्यमंत्री-सह-कृषि मंत्री ने सूखा निवारण परियोजना की समीक्षा की जल संरक्षण, फसल विविधीकरण और संरचना विकास पर विशेष बल पलायन में कमी और आजीविका सशक्तिकरण की दिशा में अहम कदम

त्रिलोकी नाथ प्रसाद/माननीय उप मुख्यमंत्री सह कृषि मंत्री श्री विजय कुमार सिन्हा की अध्यक्षता में बिहार में सूखा प्रबंधन के लिए सूखा निवारण परियोजना (Drought Mitigation Project) की तैयारियों को लेकर आज कृषि भवन, पटना में एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बैठक में कृषि विभाग के प्रधान सचिव श्री पंकज कुमार उपस्थित रहे।

माननीय उप मुख्यमंत्री ने बिहार के कृषि क्षेत्र को आपदाओं के प्रति अधिक सशक्त एवं संवेदनशील बनाने की दिशा में एक अहम पहल करते हुए सूखा प्रभावित क्षेत्रों में जल संरक्षण, फसल विविधीकरण एवं किसानों की आजीविका सुरक्षा के लिए तैयार की गई रणनीतियों की गहन समीक्षा करते हुए अधिकारियों को ठोस कार्ययोजना के तहत त्वरित क्रियान्वयन के निर्देश दिए।

बैठक में बताया गया कि एन.डी.एम.एफ (National Disaster Mitigation Fund) के अंतर्गत बिहार में सूखा-प्रवण जिलों के लिए एक व्यापक योजना तैयार की गई है, जिसका उद्देश्य सूखे की स्थिति में कृषि प्रणाली की सहनशीलता और किसानों की आजीविका को सुरक्षित बनाना है। मार्च से मई के बीच औसतन 0.68 डिग्री सेल्सियस तापमान में वृद्धि तथा मिट्टी के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों को ध्यान में रखते हुए यह परियोजना समय की मांग है।

योजना के प्रमुख उद्देश्य जल संरक्षण एवं प्रबंधन को बढ़ावा देना, सूखा सहनशील फसल प्रणालियों का विस्तार, समुदाय आधारित बीज उत्पादन प्रणाली का विकास, फसल विविधीकरण, एवं सिंचाई और भंडारण जैसी बुनियादी संरचनाओं का निर्माण शामिल हैं।

परियोजना के अंतर्गत अगले तीन वर्षों में 75,000 किसानों और 1,200 विस्तार कार्यकर्ताओं को बेहतर सूखा प्रबंधन पद्धतियों पर प्रशिक्षित किए जाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके अलावा, चावल-गेहूं फसल प्रणाली वाले 50% से अधिक क्षेत्र को दलहन, बाजरा और तेलहन जैसी फसलों से विविधीकृत किया जाएगा।
प्रभावी कार्यान्वयन से सूखे के समय कृषि एवं घरेलू जरूरतों के लिए जल की बेहतर उपलब्धता, फसलों की उत्पादकता में 20-30% तक की वृद्धि और सूखा प्रबंधन हेतु 8-10 व्यावसायिक मॉडलों का विकास होगा, जिन्हें भविष्य में राज्य स्तर पर विस्तारित किया जा सकता है।

माननीय उप मुख्यमंत्री ने कहा कि यह परियोजना न केवल सूखे की मार को कम करेगी, बल्कि ग्रामीण आजीविका को मजबूती प्रदान करते हुए पलायन की दर में भी कमी लाएगी। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि परियोजना को समयबद्ध, पारदर्शी और सहभागी दृष्टिकोण से लागू किया जाए ताकि राज्य के किसान सूखा जैसी आपदाओं से सुरक्षित रह सकें।

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