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होलिका दहन एवं रंगोत्सव ( होली ) निर्णय …*

त्रिलोकी नाथ प्रसाद-*कब करें होलिका दहन ?*
*इस वर्ष शंशय की स्थिति उतपन्न हो गई है*
*इस वर्ष दो मुहूर्त उपस्थित हो रही है👇*

*( 1 ) 6 मार्च सोमवार रात्रि शेष 4:48 के बाद करें अर्थात प्रातः 4:48 के बाद करें*
*अथवा 6 मार्च सोमवार रात्रि 12:23 से रात्रि 1:35 तक होलिका दहन का मुहूर्त बन रहा है।*

*आइए इसे विस्तार पूर्वक हम सब समझे आखिर ऐसा क्यों ? …..*

*होलिका दहन की मुख्य 5 नियम :-*
*1 – होलिका दहन पूर्णिमा में और सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में करना चाहिए , यह होलिका दहन का मुख्य काल है*
*2 – होलिका दहन भद्रा काल में नही करना चाहिए।*
*3 – होलिका दहन दिन में कभी नही करना चाहिए*
*4 – होलिका दहन चतुर्दशी तिथि में नही करना चाहिए,पूर्णिमा को करें*
*5 – होलिका दहन चैत्र में नही प्रतिपदा में नही करना चाहिए*

*अब चुकी 7 तारीख मंगलवार को पूर्णिमा शाम 5:40 तक ही तो इस दिन हिलिका दहन उचित नही है। तथा 6 तारीख को दिन 3:57 से पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ है तो इसी दिन होलिका दहन करें । परन्तु इस दिन भद्रा दिन :3:37 से रात्रि 4:49 तक है और भद्रा में होलिका दहन नही करना चाहिए । परन्तु ऐसी स्थिति में अपरिहार्य स्थिति में आप भद्रा पुंच्छ काल में होलिका दहन कर सकते है। ऐसा शास्त्र कहता है ।*

*क्या है भद्रा पुंच्छ …..?*

*भद्रा 5 घटी मुख में , 2 घटी कंठ में , 11 घटी हृदय में और 4 घटी पुंच्छ में स्थित रहती है । भद्रा मुख में रहते कार्य का नाश , कंठ में धन का नाश , हृदय में रहते प्राण का नाश होता है तथा भद्रा पुंच्छ में रहते , विजय की प्राप्ति तथा कार्य की सिद्धि होती है*

*भद्रा पुच्छ काल में होलिका दहन करना शास्त्र सम्मत प्रमाण युक्त है।*
*यह स्थिति इस वर्ष बन रही है। इसलिए 6 तारीख को रात्रि में भद्रा पुच्छ काल में रात्रि में 12:23 से 1:35 बजे तक* *होलिका दहन करना शास्त्र सम्मत प्रमाण युक्त है।।*
*काशी विश्वनाथ हृषीकेश पंचांङ्ग में भी स्पष्ट रूप से दिया गया है।*
*नाना प्रकार की अनावश्यक पोस्ट टिप्पणी एवं होलिका दहन से सम्बन्धित फैलाई जा रही भ्रांतियों से बचें।*

*स्रोत – महावीर पंचांग , कशी के पंचांगों , निर्णय सिंधु आदि*
*🌹आचार्य ब्रजेश कुमार मिश्र तंत्र ज्योतिष शास्त्र🌹*
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