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बिहार और भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के पूर्वोत्तर जिलों में आयरन और आर्सेनिक की मात्रा पीने के पानी में अधिक ….

त्रिलोकी नाथ प्रसाद –बिहार के कई बसावटों के पेयजल स्रोतों में अनुमेय सीमा से अधिक संदूषणों, आर्सेनिक, फ्लोराइड पाये जाने से पीने के पानी की गुणवत्ता प्रभावित है। राज्य सभा में जल शक्तिराज्य मंत्री, प्रहलाद सिंह पटेल ने आज अतारांकित प्रश्न के जवाब में बताया कि बिहार और भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के पूर्वोत्तर जिलों में आयरन और आर्सेनिक की मात्रा पीने के पानी में अधिक पायी गई है। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार अगस्त 2019 से जल जीवन मिशन के तहत हर घर जल का क्रियान्वयन राज्यों की भागीदारी से कर रही है ताकि बिहार और पूर्वोत्त्तर राज्यों सहित देश के प्रत्येक नागरिक को गुणवत्ता युक्त पीने योग्य पानी मिल सके। राज्य सभा सदस्य अहमद अशफाक करीम ने बिहार और पूर्वोत्तर राज्यों के पूर्वोत्तर जिलों में आयरन और आर्सेनिक के अधिक मात्रा के कारण पीने के पानी की गुणवत्ता खराब होने का सवाल उठाया। सवाल के जवाब में जल शक्ति राज्य मंत्री ने बताया कि बिहार के 450 बसावटों में आयरन, 11 बसावटों में आर्सेनिक और 01 बसावट में फ्लोराइड अनुमेय सीमा से अधिक मिलने की जानकारी है।

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि राज्यों/ संघ राज्य क्षेत्रों को विशेष रूप से आर्सेनिक और फ्लोराइड प्रभावित बसावटों में परिवारों के पीने और खाना पकाने की आवश्यकता को पूरा करने हेतु 08 से 10 लीटर प्रति व्यक्ति, प्रतिदिन के दर से प्रत्येक परिवार हेतु पीने योग्य पानी उपलब्ध कराने के लिए सामुदायिक जल शुद्धीकरण संयंत्र(सीडब्यूे पीपी) लगाने की सलाह दी गयी है। उन्होंने बताया कि पेय जल स्रोतों में अनुमान से ज्यादा आर्सेनिक संदूषण पाये जाने से 1657 ग्रामीण बसावटों में से 521 बसावटों में पीने योग्य पेय जल उपलब्ध कराने के लिए सीडब्यू पीपी लगाये गये हैं। उसी तरह फ्लोराइड पाये जाने वाले 908 बसावटों में से 433 बसावटों में पेयजल उपलब्ध कराने के लिए सीडब्यू पीपी स्थापित किए गये हैं।

(पेयजल स्रोतों में अनुमेय सीमा से अधिक संदूषण वाली बसावटों की राज्य-वार संख्या और आर्सेनिक तथा फ्लोराइड प्रभावित बसावटों में संस्थापित सीडब्ल्यूपीपी का ब्यौरा)

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