विचार

:-: शासकीय बाधा :-:

पटना डेस्क/सभी यह जानते हैं कि शासकीय कर्मचारियों द्वारा, आम लोगों के साथ दुर्व्यवहार सामान्य बात हैं और कार्य को देरी से करना या न करना भी, उनकी आदत हैं, इसलिए आजकल निजीकरण किया जा रहा हैं। जब दुर्व्यवहार से कुंठित व्यक्ति, अपनी बात रखें, या क्रिया पर प्रतिक्रिया करें, तो ऐसे में शासकीय बाधा, अवमानना जैसे नियमों का सहारा लेकर, अधर्म को स्थापित किया जाता हैं। जब मनुवादी सनातन संस्कृति में लोग, श्रीकृष्ण या श्रीराम के सामने स्वन्त्रता पूर्वक अपनी बात रख सकते हैं जैसे एक सामाजिक वर्ग ने सीता के बारे में बात रखी, तो अभी दिनरात अभिव्यक्ति की स्वन्त्रता के नाम का रोना रोने वाले, लोगों को बात रखने से क्यों रोकते हैं ?? स्वन्त्रता केवल वहीं तक सीमित हैं, जब तक कि, आप वहीँ विचारें, जो प्रसाशनिक व्यवस्था चाहती हैं, अन्यथा आपको प्रताड़ित करने के लिए ही क़ानूनी हथियार बनाएं गए हैं। व्यवस्था परिवर्तन करके ही धर्म स्थापना की जा सकती है।

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