किशनगंजबिहारब्रेकिंग न्यूज़राज्य

किशनगंज : गोपाष्टमी पर हुई गौ माता की पूजा

गौ माता को चोकर और गुड़ खिलाया गया

किशनगंज, 09 नवंबर (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, गोपाष्टमी पर्व धूमधाम से एवं भक्तिमय माहौल में शनिवार को मनाया गया। नगर परिषद क्षेत्र के भूतनाथ गौशाला शिव मंदिर स्थित गौशाला में गौ माता की पूजा की गई। भूतनाथ गौशाला कमेटी के सचिव त्रिलोक चंद जैन एवं अन्य लोगों द्वारा बजरंगबली की ध्वजा लगाई गई और गौ माता की पूजा की गई। वहीं गौ माताओं को गुड़ और चोकर खिलाया गया। भूतनाथ गौशाला कमेटी के सचिव त्रिलोक चंद जैन ने कहा कि हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी गौशाला में गौ माताओं की पूजा की गई है एवं गायों को चोकर और गुड़ खिलाया गया है। इस दौरान दिनभर शहर के अलग-अलग इलाके से लोगों के गौशाला पहुंचने का सिलसिला जारी रहा। सभी लोगों ने गौ माता की पूजा की और उन्हें गुड़ और चोकर खिलाया। वहीं मंदिर के पूर्वी छोर पर ध्यान फाउंडेशन द्वारा संचालित गौशाला में भी गायों को गुड़ और चोकर खिलाने के लिए लोग पहुंचे थे। भूतनाथ गौशाला कमेटी के सचिव त्रिलोक चंद जैन ने कहा कि हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार गाय में सभी देवों और देवियों का निवास है। नंदी भगवान शिव के प्रियतम हैं। अपने कृष्ण अवतार में श्री हरि ने गोपाल के रूप में अपना जीवन गायों की सेवा के लिए समर्पित कर दिया। गोपाष्टमी वह दिन है जब उन्होंने गाय चराने वाले के रूप में जिम्मेदारी संभाली थी। यह अकारण नहीं है कि युगों-युगों तक भारतवर्ष में सभी महापुरुषों ने गौवंश का पालन-पोषण और संरक्षण किया है। उन्होंने कहा कि पांडवों ने गौवंश की रक्षा के लिए विराटनगर का युद्ध लड़ा और 14 वर्ष का वनवास जोखिम में डाला। अर्जुन ने गौवंश की रक्षा के लिए वनवास चुना। सुरभि गाय के चोरी हो जाने पर परशुराम जी ने सहस्र अर्जुन से कई युद्ध किए। राजा कौशिक के ब्रह्मर्षि विश्वामित्र बनने का कारण कामधेनु गाय बनी। गौ माता के अस्तित्व में कुछ ऐसा अद्भुत है जो इन्हें विशेष बनाता है। भूतनाथ गौशाला कमेटी के सचिव त्रिलोक चंद जैन ने कहा कि धेनु सदनं रयेनाम् – अथर्ववेद 11.1.34 में कहा गया है कि गाय सभी लाभों का भंडार है। च्यवन ऋषि ने अपने जीवन का मूल्य एक गाय के बराबर आंका। देशी गाय के दूध से निकला हुआ घी देवलोक के पोषण हेतु यज्ञ में आवश्यक सामग्री है। ऐसा कहा जाता है कि यदि आप नियमित रूप से गौमाता को चारा खिलाते हैं और वे यदि आपके सिर को चाटती हैं तो आपकी छिपी हुई मानसिक क्षमताएं फलीभूत होती हैं। यह महान संत कबीर के लिए सच था, उनकी काव्यात्मक क्षमताएं केवल तभी प्रकट हुईं जब गौमाता ने उनके सिर को चाटा। दुनिया भर में गौवंश के साथ बातचीत के लाभों को स्वीकार किया जा रहा है। पश्चिम में गौमाता को गले लगाना एक तेजी से लोकप्रिय उपचार बनता जा रहा है। इसने “काव कडलिंग” कहा जाता है। माना जाता है कि गौधूलि की बेला मेंं जब शाम को चरने के बाद गायें घर लौटती हैं तो उनके खुरों से उड़ने वाली धूल गौवंश की सेवा करने वाले व्यक्ति को सभी बीमारियों से छुटकारा दिलाती है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button