कोयला माफिया का नया गढ़: गलगलिया-ठाकुरगंज-अररिया रोड बना बिहार के राजस्व पर हमला

किशनगंज,09जून(के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह/फरीद अहमद, बिहार के सीमावर्ती इलाकों में अवैध कोयला तस्करी का नेटवर्क दिनोंदिन मजबूत होता जा रहा है। खासकर गलगलिया-ठाकुरगंज-अररिया रोड अब माफियाओं का नया ‘हॉटस्पॉट’ बन चुका है, जहां से रोजाना दर्जनों ट्रक अवैध कोयले की ढुलाई कर रहे हैं। ये गतिविधियां सीधे तौर पर राज्य के राजस्व को करोड़ों की चपत पहुंचा रही हैं।
बिना चालान, बिना कर — खुलेआम तस्करी
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, बंगाल सीमा से सटे गलगलिया बॉर्डर के रास्ते रोजाना बिना वैध दस्तावेजों के कोयला लदे ट्रक बिहार में प्रवेश करते हैं। इन ट्रकों की न तो जीएसटी अदा की जाती है, न ही माइनिंग रॉयल्टी और न ही ट्रांसपोर्ट टैक्स। ये ट्रक किशनगंज होते हुए अररिया और अन्य जिलों की ओर रवाना हो जाते हैं।
नए कोडवर्ड्स में छुपी तस्करी की रणनीति
कोयला तस्करों के बीच पहचान और पासिंग के लिए ‘डायमंड’, ‘काबा’, ‘स्टीकर’ जैसे पुराने कोडवर्ड्स की जगह अब ‘मेजर’ और ‘बादशाह’ जैसे नए शब्द प्रयोग में लाए जा रहे हैं। इन कोड्स के जरिए ट्रकों की सुरक्षा, पासिंग और कवरिंग की रणनीति बनाई जाती है।
राजस्व को भारी नुकसान, प्रशासन मौन
जानकारों का कहना है कि केवल किशनगंज जिले से ही हर महीने राज्य सरकार को कई करोड़ रुपये के राजस्व की हानि हो रही है। जबकि जिला प्रशासन और खनन विभाग की चुप्पी इस पूरे खेल को और भी संदेहास्पद बना रही है।
सामाजिक संगठनों ने उठाए सवाल
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं और जागरूक नागरिकों ने प्रशासन की निष्क्रियता पर कड़ा सवाल उठाया है। उनका कहना है कि जब एक सीमावर्ती जिला पूरे राज्य के राजस्व तंत्र को चोट पहुंचा रहा है, तो राज्य सरकार को तत्काल कठोर कदम उठाने चाहिए।
पूर्व में हो चुकी है कार्रवाई, फिर भी जारी है धंधा
यह पहला मौका नहीं है जब कोयला तस्करी की बात सामने आई हो। पूर्व में भी कई बार इस रूट पर कोयला लदे ट्रकों को जब्त किया गया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि जिले की सीमाएं तस्करों के लिए ‘खुली मंडी’ बन गई हैं।
अब बड़ा सवाल — क्यों भुगते पूरा बिहार एक जिले की लापरवाही का खामियाज़ा?
इस पूरे प्रकरण में सबसे अहम सवाल यही है कि क्या राज्य सरकार किशनगंज जैसी सीमावर्ती रणनीतिक जगहों की कमजोरियों को नजरअंदाज कर सकती है? जरूरत है एक संगठित और राज्य स्तरीय जांच तथा कार्रवाई की, ताकि राजस्व और कानून दोनों की रक्षा की जा सके।