किशनगंज : राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत हृदय रोग से पीड़ित आठ बच्चे जांच के लिए पटना रवाना
जरूरी जांच के बाद मिलेगा गुजरात में निःशुल्क इलाज, मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना के तहत अब तक 40 बच्चों का सफल इलाज
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किशनगंज,12फरवरी(के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, जिले में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत हृदय रोग से ग्रसित 08 बच्चों को इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान पटना के लिए रवाना किया गया। वहां सभी जरूरी जांच के बाद गंभीर रूप से पीड़ित बच्चों को बेहतर इलाज के लिए गुजरात के श्री सत्य साईं हृदय रोग संस्थान, अहमदाबाद भेजा जाएगा, जहां उनका निःशुल्क ऑपरेशन होगा। बुधवार को सिविल सर्जन डा. राजेश कुमार ने बताया कि इस योजना के तहत मरीजों और उनके अभिभावकों के इलाज, परिवहन, रहने-खाने सहित सभी खर्चों को बिहार सरकार द्वारा पूरी तरह से वहन किया जाता है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम और मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना के माध्यम से अब तक 40 बच्चों को सफल उपचार मिल चुका है, जिनमें से 25 बच्चों का इलाज अहमदाबाद में और 15 बच्चों का डिवाइस क्लोजर आईजीआइसी, पटना में किया गया है।
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के जिला समन्वयक पंकज कुमार शर्मा ने बताया कि इस योजना के तहत 0 से 18 वर्ष तक के बच्चों को विभिन्न गंभीर बीमारियों का निःशुल्क इलाज उपलब्ध कराया जाता है। मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना के अंतर्गत विशेष रूप से जन्मजात हृदय रोग से पीड़ित बच्चों को चिह्नित कर मुफ्त ऑपरेशन कराया जाता है। अब तक जिले के 40 बच्चों का सफल इलाज किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना हृदय रोगी बच्चों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। इसमें ऑपरेशन के साथ-साथ यात्रा और देखभाल की पूरी व्यवस्था सरकार करती है, ताकि गरीब परिवारों को किसी भी प्रकार की आर्थिक परेशानी न हो।
सिविल सर्जन डा. राजेश कुमार ने बताया कि जिले में आरबीएसके की टीम द्वारा लगातार हृदय रोग से पीड़ित बच्चों की पहचान कर उन्हें इलाज के लिए रेफर किया जा रहा है। उन्होंने बताया, “इस योजना के तहत गरीब परिवारों के बच्चों को निःशुल्क हृदय उपचार मिल रहा है। जिले के माता-पिता से मेरी अपील है कि अगर उनके बच्चे में कोई असामान्य लक्षण जैसे जल्दी थकान, सांस लेने में तकलीफ या बार-बार बुखार की समस्या हो, तो वे तुरंत अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर जांच कराएं।”
जिलाधिकारी विशाल राज ने इस अवसर पर कहा कि सरकार की इस अनूठी योजना का अधिक से अधिक जरूरतमंद बच्चों तक लाभ पहुंचाने के लिए समाज के हर व्यक्ति को जागरूक होने की जरूरत है। उन्होंने कहा, “सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ लेकर हम अपने बच्चों का भविष्य सुरक्षित कर सकते हैं। हृदय रोग से पीड़ित बच्चों के अभिभावकों को चाहिए कि वे घबराएं नहीं, बल्कि स्वास्थ्य केंद्र जाकर जानकारी लें और सरकारी सुविधाओं का पूरा लाभ उठाएं।”
डीपीएम स्वास्थ्य डा. मुनाजिम ने बताया कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक नियमित स्वास्थ्य जांच शिविरों का आयोजन किया जाता है, जिसमें जन्मजात बीमारियों, हृदय रोग, कटे होंठ, एनीमिया, आंखों और कानों की बीमारियों समेत 38 प्रकार की बीमारियों की पहचान की जाती है। उन्होंने बताया कि 0 से 6 वर्ष तक के बच्चों की जांच आंगनबाड़ी केंद्रों पर और 6 से 18 वर्ष तक के बच्चों की जांच विद्यालय स्तर पर की जाती है।
सिविल सर्जन डा. राजेश कुमार ने बताया कि मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना के तहत हजारों बच्चों को नया जीवन मिल रहा है। यह समाज के हर नागरिक की जिम्मेदारी बनती है कि वे अपने आसपास जरूरतमंद परिवारों को इस योजना की जानकारी दें, ताकि कोई भी बच्चा सिर्फ पैसों की कमी के कारण इलाज से वंचित न रहे। जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग का यह प्रयास है कि अधिक से अधिक बच्चे इस योजना का लाभ लें और स्वस्थ जीवन जी सकें। अगर आपके आसपास कोई बच्चा हृदय रोग से ग्रसित है, तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या आरबीएसके टीम से संपर्क करें।