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डा॰ के नारायणा राष्ट्रीय सचिव, एवं का॰ राम नरेश पाण्डेय राज्य सचिव सीपीआई ने पलिस्तीनी और लेबनान की संघर्षशील जनता के साथ अपनी एकजुटता जाहिर किया है।

कुणाल कुमार  / युद्धोन्मादी इजरायल के कारगुजारियों की घोर भर्त्तसना किया है। संयुक्त राष्ट्रसंघ के बार-बार अपील के बावजुद इजरायल पलिस्तीन एवं उसके समर्थक देशों पर मिसाईल एवं अन्य घातक हथियारों से आक्रमण जारी रखा है। शरणार्थी शिविरों, अस्पतालों एवं स्कूलों को भी नहीं बक्शा जा रहा है। भारत एक शांतिप्रिय देश है। भारत के प्रधानमंत्री को इजरायल एवं पलिस्तीन के बीच चल रहे युद्ध को समाप्त करने की अपील करनी चाहिए। समस्याओं का निदान युद्ध के मैदान में नहीं बल्कि बातचीत के माध्यम से होना चाहिए। आगामी 07 अक्टूबर को बिहार के सभी जिलाओं में पलिस्तीन एकजूटा दिवस वाम पार्टीयों के आहान पर मनाया जाएगा।
डा॰ नारायणा ने बिहार में आई भयंकर बाढ़ से उत्पन्न स्थिति पर चिन्ता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि नेपाल में हुए अतिवृष्टी के कारण बिहार बाढ़ से तबाह हो रहा है। नेपाल हमारा पड़ोसी देश है। बाढ़ के स्थायी समाधान की जिम्मेवारी केन्द्र सरकार एवं प्रधानमंत्री की है, क्योंकि यह अर्न्तराष्ट्रीय मुद्धा है। बिहार के 22 जिलों में लाखों लोग बाढ़ से प्रभावित है। बड़े पैमाने पर जान-माल का नुक्सान हुआ है। गंडक, कोसी, बागमती, महानन्दा आदि नदियों में बाढ़ के बजह से फसलों का काफी नुक्सान पहुँचा है। इसके अलावा गंगा में भी पानी बढ़ने से बिहार के 13 जिले प्रभावित हुए है। अनगिनीत पशु बाढ़ में बह कर मर गयेे है। केन्द्र एवं राज्य सरकार समुचित राहत कार्य चलाने के बजाय नेपाल को कोसने में व्यस्त है। भारतीय कम्युनिस्ट के प्रतिनिधिमंडल ने बाढ़ग्रस्त इलाकों का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया है। सीतामढ़ी जिला के बाढ़ग्रस्त इलाकों में डा॰ नारायणा, का॰ जय प्र्रकाश राय, जिला मंत्री सीतामढ़ी, का॰ विश्वजीत (जिला मंत्री, पटना) एवं अन्य साथियों ने दौरा किया। दरभंगा जिला के दो प्रखंड किरतपुर एवं घनश्यामपुर, सहरसा एवं मधुबनी जिला के कोसी नदी के बाढ़ से प्रभावित इलाकों का दौरा डा॰ नारायणा ने दूसरे दिन किया।
का॰ नारायणा के अलावा का॰ प्रमोद प्रभाकर, का॰ मिथिलेश झा (राष्ट्रीय परिषद सदस्य), महिला नत्रीे का॰ राजश्री किरण, एवं का॰ नारायणजी झा जिला सचिव दरभंगा प्रतिनिधिमंडल में शामिल थे।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने मांग की है किः-
1. बाढ़ एवं अतिवृष्टी को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाए एवं तदनुसार राहत कार्य चलाया जाए।
2. सिंचाई के लिए समुचित डैम आदि का निर्माण हो।
3. केन्द्र सरकार नेपाल सरकार से वार्त्ता कर समस्या का अविलम्ब निदान करे।
4. प्रति एकड़ 50,000 फसल क्षतिपूर्त्ति दी जाए।
5. सभी निवासियों को पक्का मकान सुनिश्चित किया जाए।
6. बाढ़ पीड़ितो को अविलम्ब राशन, पानी टेंट एवं दवा का इन्तजाम किया जाए।

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