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जिलाधिकारी ने की लोक शिकायत निवारण एवं आरटीपीएस की समीक्षा

त्रिलोकी नाथ प्रसाद/ जिलाधिकारी, पटना डॉ. त्यागराजन एस.एम. द्वारा लोक शिकायत निवारण एवं आरटीपीएस से संबंधित मामलों की समीक्षा की गयी। सभी लोक प्राधिकारों एवं अधिकारियों को आवेदनों का त्वरित निष्पादन करने का निदेश दिया गया। उन्होंने कहा कि बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम के तहत प्राप्त परिवादों का निर्धारित समयावधि में निष्पादन तथा पारित आदेशों का अक्षरशः क्रियान्वयन अनिवार्य है। साथ ही बिहार लोक सेवाओं का अधिकार अधिनियम (आरटीपीएस) के अंतर्गत तय समय-सीमा के अंदर नागरिकों को सेवा प्रदान करना आवश्यक है। इन मानकों के अनुपालन में किसी भी प्रकार की शिथिलता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। संबंधित पदाधिकारी इसका हर हाल में पालन सुनिश्चित करेंगे।

जिलाधिकारी ने कहा कि बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम के तहत प्राप्त परिवादों के सिर्फ निष्पादन से काम नहीं चलेगा। शिकायतों का निवारण अपरिहार्य है तथा जनता की संतुष्टि अनिवार्य है। पदाधिकारीगण इसे विशेष रुचि लेकर सुनिश्चित करें।

जिलाधिकारी ने कहा कि आरटीपीएस के मामलों में जिन-जिन अंचलों/प्रखंडों में शिथिलता बरती जा रही है वहाँ संबंधित अपीलीय प्राधिकार अनुमंडल पदाधिकारी समीक्षा करते हुए मामलों की स्वतः सुनवाई करेंगे तथा लापरवाह अधिकारियों के विरूद्ध नियमानुसार दंड अध्यारोपित करेंगे। यही नियम लोक शिकायत निवारण के मामलों में भी लागू होगा।

समीक्षा में पाया गया कि जिला में लोक शिकायत निवारण में विगत एक सप्ताह में 314 मामलों को निष्पादित किया गया है जबकि 184 परिवाद प्राप्त हुआ था। *कोई भी आवेदन एक्सपायर्ड नहीं है*। जिलाधिकारी द्वारा इस पर प्रसन्नता व्यक्त की गई। उन्होंने कहा कि प्राप्त परिवादों की तुलना में आवेदनों का निष्पादन तेजी से किया जा रहा है। सभी आवेदनों का निष्पादन निर्धारित समय अवधि के अंदर किया जा रहा है। *60 (साठ) कार्य दिवस से अधिक एक भी मामले लंबित नहीं है*। इसके लिए पदाधिकारीगण प्रशंसा के पात्र हैं। उन्होंने अधिकारियों को कहा कि हमेशा यह सुनिश्चित करें कि एक भी आवेदन एक्सपायर्ड न हो। सभी आवेदनों का निष्पादन समय-सीमा के अंदर करें। समीक्षा में पाया गया कि विगत 30 कार्य दिवस से अधिक निष्पादन हेतु प्रक्रियाधीन मामलों की संख्या 479 है तथा विगत 45 कार्य दिवस से अधिक निष्पादन हेतु प्रक्रियाधीन मामलों की संख्या 405 है। 60 (साठ) कार्य दिवस से अधिक एक भी मामले लंबित नहीं है। समय-सीमा के अंदर निष्पादन हेतु प्रक्रियाधीन परिवादों की कुल संख्या 2,774 है। जिलाधिकारी ने सभी संबंधित पदाधिकारियों को इन सभी मामलों को निर्धारित समय सीमा के अंदर निष्पादन करने का निदेश दिया।

लोक शिकायत निवारण के अपीलीय मामलों की समीक्षा में पाया गया कि प्रथम अपील के लिए दायर 11,295 मामलों में 11,005 मामलों को निष्पादित कर दिया गया है। शेष का निष्पादन भी निर्धारित समय-सीमा के अंदर किया जा रहा है। जिलाधिकारी द्वारा संबंधित पदाधिकारियों को इसे सुनिश्चित करने का निदेश दिया गया। 60 कार्य दिवस से कम 290 मामले निष्पादन हेतु प्रक्रियाधीन है। 60 कार्य दिवस से अधिक एक भी मामले लंबित नहीं है। द्वितीय अपील के लिए दायर 4,204 मामलों में 4,079 मामलों को निष्पादित किया गया है। 60 कार्य दिवस से कम 118 मामले निष्पादन हेतु प्रक्रियाधीन हैं। 60 कार्य दिवस से अधिक एक भी मामले लंबित नहीं है। जिलाधिकारी ने कहा कि 111 मामलों में लोक प्राधिकार के विरुद्ध आर्थिक दण्ड लगाया गया है जिसमें 3,13,800 रूपये की राशि दण्ड स्वरूप अध्यारोपित है। 25 मामलों में अनुशासनिक कार्रवाई हेतु अनुशंसा की गई है। जिलाधिकारी ने कहा कि जिन-जिन अधिकारियों पर दंड लगाया गया है वे अविलंब दंड की राशि जमा कर दें अन्यथा उनके वेतन से कटौती की जाएगी। उन्होंने जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी को इस संबंध में कोषागार पदाधिकारी को पत्र देने का निदेश दिया। उन्होंने यह भी निदेश दिया कि संबंधित पदाधिकारी द्वारा दंड की राशि जमा करने का यदि साक्ष्य उपलब्ध नहीं कराया जाता है तो उनका वेतन निकासी अवरूद्ध कर दिया जाएगा।

बैठक में अंचलाधिकारियों एवं थानाध्यक्षों की संयुक्त बैठक की समीक्षा की गई। इसमें पाया गया कि 23 अंचलों में संयुक्त बैठक के कुल 12,421 कार्यवाही को अपलोड किया गया है। जिलाधिकारी ने कहा कि संयुक्त शनिवारीय बैठक का भूमि विवादों के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने सभी अनुमंडल पदाधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निदेश दिया कि नियमित तौर पर अंचलाधिकारी एवं थानाध्यक्ष का हरएक शनिवार को संयुक्त शनिवारीय बैठक आयोजित हो। साथ ही इसे भू-समाधान पोर्टल पर भी अपलोड किया जाए।

आरटीपीएस में प्रगति की समीक्षा की गई। इसमें कुल एक्सपायर्ड मामलों की संख्या 103 है। मोकामा में आवासीय प्रमाण-पत्र के 70 मामले; मसौढ़ी में राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना (आरपीएलवाई) के 5 मामले, मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना (एमकेवीवाई) के 5 मामले एवं पेंशन के 15 मामले कुल 25 मामले; पटना सदर (दीदारगंज) में जाति प्रमाण-पत्र के 3 मामले; पटना सदर (पटना सिटी) में ईडब्ल्यूएस के 2 मामले; बख्तियारपुर में श्रमिक दुर्घटना योजना के 1 मामले; फतुहा में एलपीसी के 1 मामले तथा पालीगंज में अन्य पिछड़ा वर्ग (एनसीएल) के 1 मामले एक्सपायर्ड है। जिलाधिकारी ने संबंधित पदाधिकारियों से स्पष्टीकरण करते हुए इन आवेदनों को अविलंब नियमानुसार निष्पादित करने का निदेश दिया। जिन मामलों में तकनीकी समस्याओं के कारण ऑनलाइन निष्पादन प्रदर्शित नहीं हो रहा है उन मामलों में विभाग से समन्वय कर ऑनलाइन एक्सपायरी की संख्या नियमानुसार शून्य करने का निदेश दिया गया।

जिलाधिकारी ने कहा कि संबंधित अनुमंडल पदाधिकारी अपने-अपने क्षेत्रांतर्गत सभी प्रखंडों में आरटीपीएस के तहत मामलों के निष्पादन की समीक्षा करें। जिन पदाधिकारियों द्वारा समय-सीमा के अंदर आवेदनों का निष्पादन नहीं किया जा रहा है वैसे पदाधिकारी के विरूद्ध हर एक एक्सपायर्ड आवेदन पर विधिवत दंड लगाते हुए संबंधित अनुमंडल पदाधिकारी दो दिन के अंदर प्रतिवेदन देंगे। जिलाधिकारी ने कहा कि एक्सपायर्ड मामलों की संख्या हर हाल में शून्य रहनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आरटीपीएस अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप समय-सीमा के अंदर आवेदनों का गुणवत्तापूर्ण निष्पादन सुनिश्चित करें। आम जनता को सेवा प्रदान करने में कोई कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

जिलाधिकारी द्वारा अनुमंडल पदाधिकारियों को आरटीपीएस के तहत राशन कार्ड से संबंधित मामलों का त्वरित गति से निष्पादन करने का निदेश दिया गया। साथ ही क्षेत्रीय स्तर पर लाभुकों के बीच कैम्प लगाकर राशन कार्ड का वितरण सुनिश्चित करने का निदेश दिया गया। उन्होंने कहा कि विधि-व्यवस्था संधारण के साथ खाद्यान्न आपूर्ति से संबंधित कार्य अनुमंडल पदाधिकारियों का कोर कार्य है। जिलाधिकारी द्वारा अनुमंडल पदाधिकारियों को इस पर विशेष ध्यान देने का निदेश दिया गया।

ज़िलाधिकारी ने कहा कि बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम, 2015 तथा बिहार लोक सेवाओं का अधिकार अधिनियम, 2011 का सफल क्रियान्वयन सरकार की सर्वाेच्च प्राथमिकता है। सभी पदाधिकारी इसके लिए सजग, तत्पर एवं प्रतिबद्ध रहें। निदेशों के अनुपालन में शिथिलता, अनियमितता एवं लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

जिलाधिकारी ने अधिकारियों को जनता दरबार, सीपीग्राम तथा मुख्यमंत्री डैशबोर्ड से संबंधित मामलों को तत्परता से निष्पादित करने का निदेश दिया।

 

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