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किशनगंज : सदर अस्पताल में संचालित डायलिसिस सुविधा मरीजों के लिए संजीवनी साबित, विगत वर्ष कुल 1223 से अधिक मरीजों को मिली सुविधा

954 पूर्विक्ता हाउसिंग होल्डर (पीएचएच) सूची के लाभुकों मिली नि:शुल्क सेवा, 269 बिना कार्डधारकों को देना बाजार दर से भी कम शुल्क, लाभुकों को मिला लाभ, जताई ख़ुशी।

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, जब किसी व्यक्ति के गुर्दे (किडनी) सही से काम नहीं कर रहे होते हैं यानी किडनी पूरी तरह से फेल हो जाता है। किडनी से जुड़े रोगों, लंबे समय से डायबिटीज के रोगी, उच्च रक्तचाप जैसी स्थितियों में कई बार डायलिसिस की आवश्यकता पड़ती है। डायलिसिस की जरूरत होने पर पहले लोगों को निजी अस्पतालों के चक्कर लगाने पड़ते एवं इसके लिए उन्हें बड़ी धनराशि भी खर्च करनी पड़ती थी। लेकिन जिले के सदर अस्पताल में डायलिसिस यूनिट की शुरुआत होने से इस समस्या से लोगों को निज़ात मिल रही है। विशेषकर ऐसे गरीब लोगों को अधिक फ़ायदा हुआ है जो डायलिसिस के लिए निजी अस्पताल में अधिक पैसे खर्च करने में असमर्थ होते थे। सरकारी अस्पतालों में मरीजों को बेहतर सुविधा प्रदान कराने के उद्देश्य से अत्याधुनिक सुविधाएं मुहैया करायी जा रही हैं। अब सदर अस्पताल में डायलिसिस सेंटर शुरू होने के बाद किडनी के मरीजों को आर्थिक राहत भी मिल रही है। सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने सदर अस्पताल में जानकारी देते हुए बताया कि हैदराबाद की कंपनी अपोलो डायलिसिस प्राइवेट लिमिटेड, हैदराबाद यहां पीपीपी मोड पर डायलिसिस यूनिट का बेहतर संचालन कर रही है। इस दौरान डायलिसिस यूनिट द्वारा विगत 01 वर्ष में 1223 लोगों को सुविधा दी गयी है। जिसमें अप्रैल माह में 61, मई में 63 तथा जून में 68, जुलाई में 100, अगस्त में 103, सितम्बर में 105, अक्टूबर में 107, नवम्बर में 118, दिसम्बर में 121, जनवरी में 126, फ़रवरी में 120 तथा 31 मार्च तक 131 मरीजों ने डायलिसिस की सुविधा का लाभ उठाया है। जिसमें कुल 954 पूर्विक्ता हाउसिंग होल्डर (पीएचएच) सूची के लाभुकों के लिए फ्री सेवा उपलब्ध कराई गयी है। वहीं अन्य 269 लाभुको को मात्र बाजार दर से कम मूल्य में डायलिसिस की सेवा उपलब्ध करवाई गयी है, जो बाजार दर से काफी कम है। 95 प्रतिशत किडनी डैमेज होने पर मरीज का डायलिसिस होता है। नतीजतन ऐसे मरीजों को आनन-फानन में पटना या सिलीगुड़ी रेफर करना पड़ता था। यह सुविधा सदर अस्पताल में शुरू हो जाने से अब मरीजों को पटना नहीं भेजना पड़ता है। सिविल सर्जन डॉ किशोर ने बताया कि डायलिसिस रक्त शोधन की एक कृत्रिम विधि होती है। इस डायलिसिस की प्रक्रिया को तब अपनाया जाता जब किसी व्यक्ति के वृक्क यानि गुर्दे सही से काम नहीं कर रहे होते हैं। गुर्दे से जुड़े रोगों, लंबे समय से मधुमेह के रोगी, उच्च रक्तचाप जैसी स्थितियों में कई बार डायलिसिस की आवश्यकता पड़ती है। स्वस्थ व्यक्ति में गुर्दे द्वारा जल और खनिज (सोडियम, पोटेशियम क्लोराइड, फॉस्फोरस सल्फेट) का सामंजस्य रखा जाता है। डायलिसिस स्थायी और अस्थाई होती है। यदि डायलिसिस के रोगी के गुर्दे बदल कर नये गुर्दे लगाने हों, तो डायलिसिस की प्रक्रिया अस्थाई होती है। यदि रोगी के गुर्दे इस स्थिति में न हों कि उसे प्रत्यारोपित किया जाए, तो डायलिसिस अस्थायी होती है। जिसे आवधिक किया जाता है। ये आरंभ में एक माह से लेकर बाद में एक दिन और उससे भी कम होती जाती है।जिले के चुरीपट्टी निवासी मकसूद अहमद ने कहा कि महंगी स्वास्थ्य सेवाओं के कारण आम लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। सदर अस्पताल का डायलिसिस केंद्र इस मामले में आम मरीजों को राहत प्रदान कर रहा है। पूर्विक्ता हाउसिंग होल्डर (पीएचएच) सूची पर निःशुल्क डायलिसिस की सुविधा मुझे मिली है। वहीं शहर के मनोरंजन क्लब निवासी सुनीता देवी ने कहा कि उन्हें किडनी की समस्या है। उनकी तबीयत अचानक खराब हो गयी थी। लेकिन कोरोना काल में भी सदर अस्पताल के डायलिसिस सेंटर में उन्हें बेहतर सुविधा मिली। इसके लिए उन्होंने सभी स्वास्थ्यकर्मी और प्रशासन के प्रति में आभार प्रकट किया उन्होंने कहा कि डायलिसिस का इलाज कराने के लिए निजी सेंटरों का सहारा लेना पड़ता था। जो काफी खर्चीला था। 4-5 हजार प्रति डायलिसिस लग जाता था लेकिन जिला के सदर अस्पताल में सुविधा शुरू होने से कम खर्च में सहूलियत मिल गई है। सरकार के द्वारा प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत बीपीएल परिवार के मरीजों को पांच लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज के लिए गोल्डन हेल्थ ई- कार्ड की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। वैसे मरीज भी डायलिसिस सेंटर में निःशुल्क डायलिसिस करा सकेंगे, जिनके पास गोल्डन हेल्थ ई-कार्ड की सुविधा उपलब्ध है।

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