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आर्थिक तंगी से उठकर फर्नीचर कारीगर की भारोत्तोलक बेटी ने खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 के माध्यम से जीता जीवन का पहला पदक

त्रिलोकी नाथ प्रसाद/ महाराष्ट्र की पूजा थेपेकर ने बिहार के राजगीर में जारी खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 की वेटलिफ्टिंग स्पर्धा की 49 किग्रा केटेगरी में कांस्य पदक जीता। उल्लेखनीय बात यह है कि यह पूजा के जीवन का पहला पदक है।

15 वर्षीय वेटलिफ़्टर पूजा महाराष्ट्र के यवतमल जिले के एक छोटे से गांव पुसड से आती हैं। पूजा ने कहा, ” यह मेरे जीवन का पहला पदक है। इससे पहले मैंने सिर्फ़ स्कूल स्टेट और स्कूल नेशनल लेवल वेटलिफ़्टिंग प्रतियोगिता में भाग लिया था, लेकिन कोई भी पदक अर्जित करने में नाकाम रही थी। खेलो इंडिया यूथ गेम्स में भी मैं पहली बार भाग ले रही हूं और पहली ही कोशिश में पदक पा कर बहुत ज़्यादा खुश हूं।”

उन्होंने आगे कहा, ”मेरे पिता एक फर्नीचर की दुकान में काम करते हैं और परिवार की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं है , लेकिन मेरे स्कूल के शारीरिक शिक्षक रोशन देशमुख सर ने मेरी प्रतिभा को पहचाना और मुझे 12 साल की उम्र से प्रशिक्षण देना शुरू किया।”

पूजा के कोच रोशन देशमुख यवतमल के गुणवतराओ देशमुख़ स्कूल में शारीरिक शिक्षक हैं। उन्होंने पूजा को स्कूल की अलग-अलग प्रतिस्पर्धाओं में हिस्सा लेते देखा और उनकी क्षमता को पहचान प्रशिक्षण देना शुरू किया।

खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 के मंच तक आने की पूजा की यात्रा आसान नहीं थी। उसे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जैसे कि आर्थिक तंगी, पेशेवर ट्रेनिंग, सुविधाएं और उपकरणों की कमी।

पूजा ने साई मीडिया को बताया, ” मेरे कोच का समर्थन और विश्वास मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण रहा।उन्होंने ही मेरे प्रशिक्षण का पूरा खर्चा उठाया, हर तरीक़े से आर्थिक सहायता कर मुझे आज यहाँ तक आने के काबिल बनाया है। आज में जो भी अर्जित कर पायी हूँ सब उन्हीं की बदौलत है।”

थेपेकर ने पुणे के बालिवड़ी स्पोर्ट्स काम्पलेक्स में आयोजित खेलो इंडिया ट्रायल कैम्प में इसी साल हिस्सा लिया और वहां से चयनित हो बिहार में आयोजित हो रहे खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 में अपनी जगह अर्जित की।

उन्होंने खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 में 49 किग्रा केटेगरी में स्नैच में 60 किग्रा व क्लीन एंड जर्क में 72 किग्रा वजन उठाया और कुल 132 किग्रा के साथ कांस्य पदक अपने नाम किया।

पूजा ने खेलो इंडिया की पहल की सराहना की और कहा, “मैं खेलो इंडिया यूथ गेम्स के मंच के लिए आभारी हूं, जिसने मुझे अनुभवी एथलीटों के साथ प्रतिस्पर्धा करने का मौका दिया। मैं उनसे प्रेरित हूं और अगली बार अपने आप को और बेहतर करने की कोशिश करूंगी।”

आगे वह बताती हैं, “मैंने कभी नहीं सोचा था कि यह खेल इतने बड़े स्तर पर आयोजित किए जाते हैं। यहां हर कोई बहुत पेशेवर है और सुविधाएं भी बहुत अच्छी हैं।”

पूजा की कहानी उन सभी युवा एथलीटों के लिए प्रेरणा है जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं। उसकी उपलब्धि दिखाती है कि मेहनत, दृढ़ संकल्प और सही समर्थन से कुछ भी संभव है।

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